बिहार गर्भाशय घोटाला: पीड़िताओं को डेढ़ माह में दें मुआवजा- कोर्ट
केंद सरकार की स्कीम का फायदा उठाने के लिए अवैध रूप से महिलाओं का गर्भाशय निकाले जाने के मामले में पटना हाईकोर्ट ने घटना को शर्मनाक बताते हुए पीड़ित महिलाओं को डेढ़ महीने के भीतर मुआवजा देने का आदेश...
केंद सरकार की स्कीम का फायदा उठाने के लिए अवैध रूप से महिलाओं का गर्भाशय निकाले जाने के मामले में पटना हाईकोर्ट ने घटना को शर्मनाक बताते हुए पीड़ित महिलाओं को डेढ़ महीने के भीतर मुआवजा देने का आदेश राज्य सरकार को दिया है। अदालत ने 20 से 40 साल की महिलाओं को ढाई लाख और 40 साल से ऊपर की महिलाओं को डेढ़ लाख रुपये मुआवजा 6 सप्ताह के भीतर देने का आदेश दिया है।
साथ ही अदालत ने मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया को वैसे सभी नर्सिंग होम तथा डॉक्टरों का लाइसेंस रद्द करने का भी आदेश दिया है। 2012 में अवैध रूप से महिलाओं का गर्भाशय निकाले जाने की जानकारी मीडिया के जरिए उजागर हुई थी। इसमें पता चला था कि नेशनल हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी के तहत अनियमितता की गई है। इस पर मानवाधिकार आयोग ने संज्ञान लेते हुए पीड़ित महिलाओं को मुआवजा दिलाने की पहल की थी। बाद में राज्य सरकार ने पीड़ित महिलाओं को मात्र 50-50 हजार रुपए देने की घोषणा की थी। सरकार के फैसले के खिलाफ़ वेटरन फ़ोरम संस्था ने हाईकोर्ट में लोकहित याचिका दायर की। मामले पर मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एमआर शाह तथा न्यायमूर्ति आशुतोष कुमार की खंडपीठ ने सुनवाई की। कोर्ट ने संबंधित पुलिस अधिकारियों को 6 सप्ताह के भीतर अनुसंधान पूरा कर आरोप पत्र दायर करने का भी आदेश दिया है।
तेल की कीमत से जल्द निजात नहीं,कच्चा तेल तोड़ सकता हैं 4साल का रिकॉर्ड
वकील दीनू कुमार तथा ऋतिका रानी ने कोर्ट को बताया कि प्रदेश के 27 हजार 511 महिलाओं का गर्भाशय निकाला गया था लेकिन जांच के दौरान 540 महिलाओं की रिपोर्ट मिली। वही जांच में कुछ महिलाओं ने कहा कि बच्चादानी निकाले जाने की बात प्रकाश में आई थी। जमुई के जिलाधिकारी की रिपोर्ट के तहत गड़बड़ियों का आलम यह रहा कि जमुई के 82 पुरुष का नाम लाभान्वित में शामिल कर इस योजना का लाभ उठा लिया गया। इसी प्रकार अरवल के दो पुरुषों का नाम देकर महिला का लाभ ले लिया गया। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 6 सप्ताह के बाद करने का आदेश दिया है।