खनन से खनकेगा बिहार का खजाना, भागलपुर में कोयले के दो बड़े भंडार मिले, 25-30 साल चलेगी माइनिंग
झारखंड से सटे बिहार में भी कोयले की दो बड़ी खदानों का पता चला है। जो आने वाले वक्त में कोयले की आपूर्ति को बेहतर बना देंगी। भागलपुर के मिर्जागांव और लक्ष्मीपुर इलाके में दोनों खदाने हैं।
बिहार के भागलपुर जिले में दो और कोयला खदानों का पता लगा है। जिससे अब आने वाले वक्त में कोयला भंडार और बेहतर हो जाएगा। जिसकी जानकारी कोयला मंत्रालय के एक अधिकारी ने दी। रांची स्थित सेंट्रल पब्लिक सेक्टर एंटरप्राइज (सीपीएसई) के गहन अन्वेषण और भूवैज्ञानिक विश्लेषण के बाद कोल माइन प्लानिंग और डियाइन इंस्टीट्यूट लिमिटेड (CMPDIL) ने मिर्जागांव और लक्ष्मीपुर में दो नए कोयला खदान की पहचान की है। सीएमपीडीआई ने कहलगांव रेलवे स्टेशन से लगभग 10 किमी दूर मंदार पर्वत के पास बिहार में पहले कोयले के भंडार का पता लगाया था। इसके पास लगभग 340 मिलियन टन का भंडार है। कोयला मंत्रालय द्वारा हाल ही में 141 खानों की बोली में मंदार पर्वत कोयला ब्लॉक को नीलामी के लिए रखा गया था। हालांकि, इसे कोई बोली लगाने वाला नहीं मिला।
भागलपुर में मिले दो बड़े कोयला भंडार
सीएमपीडीआई रिपोर्ट के अनुसार, मिर्जागांव कोयला ब्लॉक, जिसका अनुमानित भंडार 2300 मीट्रिक टन है, जो 37 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है एमपीडीआई के विशेषज्ञ ने बताया कि मिर्जागांव ब्लॉक एक विशाल रिजर्व है और इसलिए इसे आसान खनन के लिए दो उप-ब्लॉकों, उत्तर और दक्षिण में बांटा गया है। रिपोर्ट के अनुसार, मिर्जागाँव का उत्तरी ब्लॉक 16.60 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है, जिसमें खिदरपुर, लछमीपुर, बसंतपुर, चौधरी बसंतपुर, बिजयरामी चक, मोहेशराम, मदनगोपाली, सादीपुर और पीरपैती तहसील के रिफदपुर सहित दस गांव शामिल हैं। इसमें 1030 मिलियन टन का कोयला रिजर्व है। साउथ ब्लॉक 20.30 वर्ग किमी क्षेत्र में फैला हुआ है और इसमें जी-2 से जी-17 तक के विभिन्न ग्रेड के 1260 मिलियन टन कोयले का भंडार है।
लक्ष्मीपुर कोयला ब्लॉक भागलपुर से 51 किमी दूर और कहलगांव रेलवे स्टेशन से 21 किमी दूर स्थित है। जो 14.9 वर्ग किमी से अधिक क्षेत्र में फैला है। सिमरलपुर, ककरघाट, खिदरपुर, इमामनगर, मोहेशरम और हरिनकोल सहित सात गांवों के आसपास 1035 मीट्रिक टन का अस्थायी कोयला भंडार है। 2000 में बिहार से झारखंड के निर्माण के बाद, राज्य में कोयले की कोई खदान नहीं है।
कोयला भंडार से आपूर्ति की समस्या हल होगी
राज्य के वित्त मंत्री विजय कुमार चौधरी ने कहा कि कोयला खनन, जिसके बाद पर्यावरणीय चुनौती भी जुड़ी है। जो राज्य के राजस्व में इजाफा करेगा। कोयले का खनन, एक बार शुरू हो जाने के बाद, बिहार में थर्मल पावर स्टेशनों और अन्य उद्योगों को कोयले की आपूर्ति की समस्या भी कम हो जाएगी।
सीएमपीडीआईएल के एक वरिष्ठ विश्लेषक ने कहा कि अब तक पहचाने गए और आंशिक रूप से खोजे गए सभी ब्लॉकों में कोयले की अच्छी गुणवत्ता है और लगभग 25-30 वर्षों तक खनन किया जा सकता है। हालांकि, मुख्य मुद्दा ओवरबर्डन के रूप में जलोढ़ मिट्टी का विशाल जमाव है। झारखंड और देश के अन्य कोयला उत्पादक क्षेत्रों के विपरीत, कोयला ब्लॉक की बाहरी सतह इतनी कमजोर है. कि भारी बारिश के मामले में यह धराशायी हो सकती है। हमें इसके लिए विशेष तकनीक की जरुरत पड़ेगी।
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