JDU में एक साथ ही जा सकेंगे उपेंद्र कुशवाहा के दोनों विधायक, जानें क्यों
रालोसपा प्रमुख उपेन्द्र कुशवाहा को लेकर चाहे जो भी बाते हो लेकिन उनकी पार्टी के जन प्रतिनिधि एनडीए में रहने के हिमायती हैं। उनकी पार्टी के विधायक सुधांशु शेखर का तो जदयू में जाना तय हो ही गया है,...
रालोसपा प्रमुख उपेन्द्र कुशवाहा को लेकर चाहे जो भी बाते हो लेकिन उनकी पार्टी के जन प्रतिनिधि एनडीए में रहने के हिमायती हैं। उनकी पार्टी के विधायक सुधांशु शेखर का तो जदयू में जाना तय हो ही गया है, सांसद राम कुमार शर्मा भी एनडीए में ही रहने का दबाव बनाए हुए हैं। विधायक ललन पासवान तकनीकी रूप में भले उनकी पार्टी से जुड़े हों लेकिन उन्होंने अलग गुट बना लिया है। ऐसे, वह भी पिछले हफ्ते मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मिलकर अपनी राय बता चुके हैं।
जहां तक दोनों विधायकों के एक साथ जदयू में जाने की चर्चा है तो उसके लिए बहुत हद तक दल बदल कानून को वजह माना जा रहा है। इसके तहत रालोसपा के दोनों विधायक अलग-अलग किसी दल में नहीं जा सकेंगे। कारण कि नियमत: किसी दल में जाने के लिए विधायकों की संख्या दो-तिहाई होना चाहिए। यह कोई एक विधायक के जाने पर संभव नहीं हो सकेगा। गौरतलब है कि पिछले चुनाव में रालोसपा के सिम्बल पर दो विधायक-ललन पासवान और सुधांशु शेखर जीते थे।
लोजपा के जीते हुए तीन सांसदों में एक तो खुद उपेन्द्र कुशवाहा, केन्द्र में राज्य मंत्री हैं। दूसरे सांसद डॉ. अरुण कुमार अपनी अलग पार्टी बना चुके हैं। तीसरे सांसद राम कुमार शर्मा भी एनडीए के हिमायती हैं। उनका कहना है कि अपने दल को एनडीए में बनाये रखने की पुरजोर वकालत वह पार्टी प्रमुख के सामने करते रहे हैं। व्यक्तिगत रूप से वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बहुत बड़े प्रशंसक हैं, लेकिन उपेन्द्र कुशवाहा ने पंचायत से उठाकर हमें संसद में भेजा है, इसका ख्याल है।
उधर, ललन पासवान ने कहा कि उनकी इच्छा सासाराम लोस सीट से एनडीए उम्मीदवार बनना है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी से उनकी बात होती रहती है। पिछले हफ्ते सीएम से मिलकर उन्होंने अपनी इच्छा जता दी है, लेकिन इतना तय है कि हम अकेले नहीं हैं। कहीं भी बात होगी तो सबके बारे में होगी। सुधांशु शेखर भी रविवार को जदयू के रष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर से मिल चुके हैं। उनका जदयू में जाना लगभग तय है।