ट्रेंडिंग न्यूज़

Hindi News बिहारLJP में वर्चस्व की लड़ाई! चिराग ने बागी सांसदों को दल से निकाला, सूरजभान पारस गुट के कार्यकारी अध्यक्ष

LJP में वर्चस्व की लड़ाई! चिराग ने बागी सांसदों को दल से निकाला, सूरजभान पारस गुट के कार्यकारी अध्यक्ष

चाचा-भतीजे के गुट में बंटी लोजपा की अंदरूनी लड़ाई मंगलवार को परवान चढ़ गई। चाचा पशुपति कुमार पारस ने संसदीय दल के नेता की हैसियत से राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाकर भतीजे चिराग पासवान को राष्ट्रीय...

LJP में वर्चस्व की लड़ाई! चिराग ने बागी सांसदों को दल से निकाला, सूरजभान पारस गुट के कार्यकारी अध्यक्ष
Malay Ojhaपटना, हिन्दुस्तान टीमTue, 15 Jun 2021 08:54 PM
ऐप पर पढ़ें

चाचा-भतीजे के गुट में बंटी लोजपा की अंदरूनी लड़ाई मंगलवार को परवान चढ़ गई। चाचा पशुपति कुमार पारस ने संसदीय दल के नेता की हैसियत से राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाकर भतीजे चिराग पासवान को राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से मुक्त कर दिया। थोड़ी ही देर बार राष्ट्रीय अध्यक्ष की हैसियत से भतीजे चिराग पासवान ने भी राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाकर पशुपति कुमार पारस सहित पांच सांसदों को दल से निकाल दिया। दोनों ही गुटों ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी के अधिसंख्य सदस्यों के भाग लेने का दावा किया है। 

लोजपा संसदीय दल के नेता की हैसियत से पशुपति कुमार पारस ने अचानक अपने दिल्ली आवास पर राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुला ली। पार्टी प्रवक्ता श्रवण कुमार अग्रवाल ने दिल्ली से दावा किया कि इसमें राष्ट्रीय कार्यकारिणी के अधिसंख्य सदस्य उपस्थित थे। सदस्यों ने तय किया है कि पार्टी के संविधान के अनुसार एक व्यक्ति को एक पद ही लेना है। लिहाजा चिराग पासवान को राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से मुक्त कर दिया गया। साथ ही, सूरजभान को कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष मनोनीत किया गया। नये अध्यक्ष के चुनाव के लिए सूरजभान को ही चुनाव अधिकारी मनोनीत किया गया। साथ ही, चुनाव के लिए पांच दिन में राष्ट्रीय परिषद की बैठक पटना में बुलाने को कहा गया। बताया जाता है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव कराने के बाद ही पारस चुनाव आयोग जाकर पार्टी पर अपना दावा ठोकेंगे। 

चिराग ने सांसदों को दल से निकाला 
चिराग पासवान ने भी चार बजे शाम में लोजपा राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाई। उन्होंने राष्ट्रीय अध्यक्ष की हैसियत से यह बैठक बुलाई। इसमें सर्वसम्मति से पार्टी के पांच सांसदों पशुपति कुमार पारस, चौधरी महबूब अली कैसर,  वीणा सिंह, चंदन सिंह और प्रिंस राज लोजपा को पार्टी से निकाल दिया। बैठक में चिराग ने यह भी फैसला लिया कि अगले साल जिन चार राज्यों में चुनाव होना है, वहां लोजपा अपना उम्मीदवार देगी। बैठक के बाद प्रवक्ता अशरफ ने बताया कि आज निकाले गये सभी पांच सांसद लंबे समय से पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल थे। राष्ट्रीय प्रधान महासचिव अब्दूल खालिक ने पहले पांचों सांसदों को नोटिस दिया था। कोई सुधार नहीं आया तो अंत में पार्टी को उन्हें बाहर का रास्ता दिखाना पड़ा।    

यह भी पढ़ें: LJP में अपने तख्‍ता पलट को लेकर चाचा पर बरसे चिराग, बोले- मां के साथ धोखा नहीं करते 

पहले चुनाव को छोड़ बाकी सबमें पिछड़ती रही लोजपा
गठन के बाद लोक जनशक्ति पार्टी अपने पहले चुनाव को छोड़कर कभी भी चुनाव में बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पाई। खासकर बिहार विधानसभा चुनाव में वह दो बार अकेले और बाकी समय कई दलों के साथ चुनाव लड़ चुकी है पर उसे अपने कोर वोटर से अधिक मत हासिल नहीं हो सके हैं। लोजपा की स्थापना 2000 में रामविलास पासवान (अब दिवंगत) ने की थी। पार्टी ने पहला चुनाव 2004 के लोकसभा का लड़ा। 12 राज्यों में 40 सीटों पर चुनाव लड़ने वाली लोजपा को बिहार की मात्र चार सीटों पर जीत हासिल हुई। लोजपा को 10.02 फीसदी ही मत हासिल हुए। साल 2005 के फरवरी में हुए चुनाव में पार्टी ने पहली बार विधानसभा के चुनावी मैदान में ताल ठोकी। अकेले अपने दम पर चुनावी मैदान में 178 सीटों पर उतरी लोजपा को 29 सीटें हासिल हुईं। यही नहीं पार्टी के खाते में 12.62 फीसदी वोट भी आए जो अब तक का सबसे अधिक है। तब रामविलास पासवान बंगले (पार्टी का चुनाव चिह्न) की चाभी को सत्ता की चाभी से जोड़कर दंभ भरते रहे, लेकिन संयोग ऐसा रहा कि उस समय किसी की भी सरकार नहीं बन सकी। 

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें