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मुजफ्फरपुरः शाही लीची के बाद आया 'लौंगान' का मौसम, 10 जुलाई से ले सकेंगे स्वाद

राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केन्द्र के निदेशक डॉ. शेषधर पांडेय ने बताया कि यह पौधा लीची प्रजाति का है। यह थाइलैंड और मलेशिया में सर्वाधिक पाया जाता है। केन्द्र में दस वर्ष पूर्व लौंगान का पौधा लगाया ग

मुजफ्फरपुरः शाही लीची के बाद आया 'लौंगान' का मौसम, 10 जुलाई से ले सकेंगे स्वाद
Sudhir Kumarहिन्दुस्तान,मुजफ्फरपुरSat, 25 Jun 2022 03:40 PM

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बिहार का मुजफ्फरपुर अपनी रसीली शाही लीची के लिए विश्व भर में प्रसिद्ध है। लीची का मौसम खत्म हो गया है। लेकिन लीची के स्वाद वाला इसी प्रजाति का फल लौंगान का मौसम आ गया है। जल्द ही लौंगान पकने वाला है जिसके बाद आप सभी लोगों को यह फल चखने का मौका मिलेगा। 

दस जुलाई के बाद लौगान पकना शुरू हो जाएगा। इसके बाद इसे आमलोगों को भी उपलब्ध कराया जाएगा। राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केन्द्र मुशहरी में लौगान के पौधे को प्रयोग के रूप में लगाया था। अब वहां वृहद रूप में लौगान का उत्पादन होने लगा है। इसका सीजन 15 जुलाई से 15 अगस्त तक रहता
है। इस बार पांच दिन पहले ही इसके पकने की उम्मीद है। 

इसमें कीड़ा नहीं लगता

राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केन्द्र के निदेशक डॉ. शेषधर पांडेय ने बताया कि यह पौधा लीची प्रजाति का है। यह थाइलैंड और मलेशिया में सर्वाधिक पाया जाता है। केन्द्र में दस वर्ष पूर्व लौंगान का पौधा लगाया गया था। बीते पांच वर्षों से लौगान फलने लगा है। यहां से काफी लोग लौगान के पौधे खरीद कर ले गए हैं। अभी लोग एक-दो की संख्या में ही पौधे लगा रहे हैं। आने वाले दिनों यह संख्या बढ़ सकती है। निदेशक ने बताया
कि लौंगान लीची शाही व चाइना से अधिक मीठा होता है। इसके छिलके मजबूत होते हैं। इसमें कीड़ा नहीं लगता है। केन्द्र में लौगान का पल्प व लीचमिश भी तैयार किया जाता है। बीते वर्ष 20 रुपये किलो में आम लोगों को लौगान उपलब्ध कराया गया था।

सौ रुपये में उपलब्ध है लौगान के पौधे

निदेशक ने बताया कि लोग अपने गार्डेन या बगीचे में लगाने के लिए लौगान के पौधे तैयार किए गए हैं। महज सौ रुपये में किसान या शौकीन इसे प्राप्त कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि लौगान पौधे की आयु लीची की तरह ही होती है। अगर व्यवसायिक दृष्टिकोण से भी लगाया जाए तो इससे बेहतर लाभ प्राप्त किया जा सकता है।
 

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