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बाल हृदय योजना: समस्तीपुर के 3 बच्चों को मिली नई जिन्दगी, जानें क्या है यह योजना

सिविल सर्जन डॉ.एसके चौधरी ने बताया कि राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत बच्चों का इलाज किया जाता है। इसके लिए जिले की राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम की पूरी टीम धन्यवाद की पात्र हैं।

बाल हृदय योजना: समस्तीपुर के 3 बच्चों को मिली नई जिन्दगी, जानें क्या है यह योजना
हिन्दुस्तान,समस्तीपुरMon, 23 May 2022 03:46 PM

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बिहार सरकार के द्वारा संचालित बाल हृदय योजना के तहत  समस्तीपुर जिले के तीन बच्चों के दिल का सफल ऑपरेशन कराया गया। बाल हृदय योजना के तहत राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम की टीम जिले के विभिन्न स्कूलों तथा आंगनबाड़ी केंद्रों पर बच्चों की स्क्रीनिंग कर दिल में छेद से ग्रसित बच्चों को चिह्नित करती है । इसके बाद  एम्बुलेंस से बच्चों को इंदिरा गांधी हृदय रोग संस्थान, पटना में भेजकर स्क्रीनिंग करायी जाती है। स्कीनिंग में चिन्हित बच्चों के दिल का ऑपरेशन के लिए अहमदाबाद के सत्य साईं हॉस्पिटल में निःशुल्क ऑपरेशन कराया जाता है।  बच्चे के साथ एक अटेंडेंट भी  हवाई यात्रा कर अहमदाबाद जाते हैं । रहने खाने, चिकित्सकीय प्रबंधन, दवा  की व्यवस्था निःशुल्क दी जाती है।

 

आरबीएसके के जिला समन्वयक डॉ विजय कुमार ने बताया कि जिले में हृदय में छेद के साथ जन्में रोसड़ा बैजनाथपुर के हरिओम कुमार, मोरबा हरपुर भिंडी के अंकुश कुमार तथा लरुआ गांव के हर्ष कुमार की स्क्रीनिंग की गयी। जिसका सफलतापूर्वक ऑपरेशन किया गया। वह सभी बच्चे अभी स्वस्थ्य हैं। उन्होंने बताया कि  आत्मनिर्भर बिहार के सात निश्चय-2 में शामिल ‘‘सबके लिए अतिरिक्त स्वास्थ्य सुविधा’’ अन्तर्गत हृदय में छेद के साथ जन्में बच्चों के निःशुल्क उपचार की व्यवस्था की नई योजना ‘‘बाल हृदय योजना’’ कार्यक्रम के तहत इलाज किया गया है। 

बच्चों में होने वाले जन्मजात रोगों में हृदय में छेद होना एक गंभीर समस्या व बीमारी है। एक अध्ययन के अनुसार जन्म लेने वाले एक हजार बच्चों में से 9 बच्चे जन्मजात हृदय रोग से ग्रसित होते हैं, जिनमें से लगभग 25 प्रतिशत नवजात बच्चों को प्रथम वर्ष में सर्जरी की आवश्यकता रहती है।

जिले के 20 पीएचसी मे 34टीम करती है स्क्रीनिंग

आरबीएसके जिला समन्वयक डॉ विजय ने बताया बताया जिले में 20 प्रखंड में 34 आरबीएसके की टीम जिले के विभिन्न स्कूलों तथा आंगनबाड़ी केंद्रों पर जाकर बच्चों का स्क्रीनिंग करती है। जिसके तहत जिले के आंगनवाड़ी सेंटर से 36268 बच्चे का स्क्रीनिंग किया गया। जिसमें 280 बच्चे को रेफर किया गया। वहीं स्कूल से 59,721 बच्चों का स्क्रीनिंग किया गया,बजिसमें 446 बच्चों का रेफर किया गया। आंगनवाड़ी केंद्र के स्कूलों से 95,999 बच्चों का स्क्रीनिंग किया गया। जिसमें 726 बच्चों को रेफर किया गया।

18 वर्ष तक के बच्चों के लिए कार्य करती है आरबीएसके की टीम

सिविल सर्जन डॉ.एसके चौधरी ने बताया कि बच्चों का राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत  बच्चों का सफल इलाज किया जाता है। इसके लिए जिले की राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम की पूरी टीम धन्यवाद की पात्र है। 0 से 18 वर्ष तक के बच्चों को किसी प्रकार की गंभीर समस्या होने पर आईजीआईएमएस, एम्स, पीएमसीएच भेजा जाता है। टीम में शामिल एएनएम, बच्चों का वजन, उनकी लंबाई व सिर  एवं  पैर आदि की माप व नापतौल आदि करती हैं। फॉर्मासिस्ट रजिस्टर में स्क्रीनिंग किये गये बच्चों का ब्योरा तैयार करते हैं।

राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत 0 से 18 साल तक के सभी बच्चों को चार मुख्य समस्याओं पर केंद्रित किया जाता है। इनमें डिफेक्ट एट बर्थ, डिफिशिएंसी डिसीज, डेवलपमेंट डीले तथा डिसएबिलिटी आदि शामिल हैं। इससे जुड़ी सभी तरह की बीमारी या विकलांगता को चिह्नित  कर इलाज किया जाता है।

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