पटना में 20 एकड़ में बने मकानों पर कभी भी चल सकता है बुलडोजर, जानें क्या है वजह
सीओ ने इस भूमि को बिहार राज्य आवास बोर्ड की जमीन मानते हुए स्थानीय लोगों द्वारा दिए गए साक्ष्य को खारिज कर दिया।प्रशासन इस 20 एकड़ में बने 70 मकानों व चहारदीवारी पर कभी भी बुलडोजर चला सकता है।
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पटना के राजीव नगर में 23 खेसरा के अधीन लगभग 20 एकड़ में बने मकान, चहारदीवारी और अस्थायी निर्माण को पटना सदर के अंचलाधिकारी ने अवैध घोषित कर दिया है। सीओ ने इस भूमि को बिहार राज्य आवास बोर्ड की जमीन मानते हुए स्थानीय लोगों द्वारा दिए गए साक्ष्य को खारिज कर दिया। इस भूमि पर पटना उच्च न्यायालय के जजों के लिए आवास बनाया जाना है। सीओ के आदेश के बाद अब प्रशासनिक कार्रवाई शुरू होगी। प्रशासन इस 20 एकड़ में बने 70 मकानों व चहारदीवारी पर कभी भी बुलडोजर चला सकता है।
स्थानीय लोगों का कहना है
केस की सुनवाई के दौरान दीघा कृषि भूमि आवास बचाओ संघर्ष समिति के सदस्यों के द्वारा कहा गया कि खतियानी रैयतों से विधि मान्य तरीके से जमीन की खरीद की गई है। वर्णित खेसरा की जमीन पर आवास बोर्ड का कोई दखल कब्जा नहीं है और न ही उनके द्वारा जमीन मालिकों को मुआवजे का भुगतान किया गया है। निराला सहकारी गृह निर्माण समिति केशरी नगर द्वारा पक्ष रखते हुए कहा गया कि 1982 से 1988 के बीच निबंधन कराए लोगों द्वारा जमीन मालिकों से खरीद की गई है जिसे अन्य लोगों द्वारा उचित मूल्य चुकाकर समिति से क्रय किया गया है। सुनवाई के दौरान उपस्थित 10 लोगों द्वारा दावा किया गया कि जमीन आवास बोर्ड की नहीं है। यह जमीन रैयती है। वहीं सीओ ने अपने आदेश में कहा है कि दीघा आशियाना रोड के पश्चिमी भाग में स्थित 400 एकड़ खाली भूमि को बोर्ड अपने कब्जे में रखने का हकदार है। वर्तमान समय में 20 एकड़ भूमि पश्चिमी भाग की 400 एकड़ का ही हिस्सा है जो बंदोबस्ती स्कीम में नहीं है, इसलिए यहां बने मकान अवैध हैं तथा इसे अतिक्रमण माना जा रहा है।
बिहार लोक भूमि अतिक्रमण अधिनियम 1956 की धारा-03 के तहत को नोटिस दी गई थी। जमीन की जांच एवं मापी के समय वहां रहने वाले लोगों ने नाम एवं पता नहीं बताया।
इन खेसरा की जमीन अधिग्रहित होनी है
खेसरा संख्या 2422, 2586, 2587, 2588, 2589, 2590, 2591, 2598, 2599, 2600, 2601, 2602, 2603, 2605, 2606, 2610, 2612, 2613, 2614, 2617, 2618, 2619 तथा 2620 रकबा की 20 एकड़ भूमि को अतिक्रमण मुक्त कराने के लिए अंचलाधिकारी के न्यायालय में वाद प्रारंभ किया गया था।
आवास बोर्ड का तर्क
सीओ के यहां सुनवाई के दौरान आवास बोर्ड के अधिकारियों ने जानकारी दी कि विकास एवं निर्माण के लिए गजट घोषणा संख्या- पीएलए-94/- 4 द्वारा 1024.52 एकड़ भूमि भू-अर्जन प्रक्रिया के तहत बोर्ड के लिए 1976 में अर्जित की गई। जिसकी गजट की घोषणा भी उसी वर्ष की गई। इसके बाद 28 फरवरी 1983 को दखल कब्जा भी बोर्ड को प्राप्त हुआ। बोर्ड द्वारा अर्जित भूमि के लिए भू-अर्जन प्रक्रिया के तहत जिला भू-अर्जन पदाधिकारी पटना के यहां 8 करोड़ 33 लाख 43 हजार 958 रुपये 28 जनवरी 1982 को जमा किया गया। सर्वोच्च न्यायालय ने भी भू-अर्जन को सही ठहराया है। इसलिए स्थानीय लोगों द्वारा बेवजह विवाद खड़ा किया जा रहा है तथा अवैध कब्जा किया गया है। अब तक राजीवनगर थाने में 300 लोगों पर प्राथमिकी भी दर्ज कराई जा चुकी है।