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बिहार की अनोखी शादी, शादी से पहले गांव में आई बाढ़, नाव से दुल्हन के घर पहुंचे बाराती

बिहार के गोपालगंज जिले में गंडक की बाढ़ ने इस वर्ष जून महीने में ही तबाही मचा दी है। जिले के पांच अंचलों के 42 गांव या तो बाढ़ से घिर चुके या इन गांवों में बाढ़ का पानी प्रवेश कर चुका है। करीब चार हजार...

बिहार की अनोखी शादी, शादी से पहले गांव में आई बाढ़, नाव से दुल्हन के घर पहुंचे बाराती
गोपालगंज हिन्दुस्तान टीमSat, 19 Jun 2021 10:17 PM
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बिहार के गोपालगंज जिले में गंडक की बाढ़ ने इस वर्ष जून महीने में ही तबाही मचा दी है। जिले के पांच अंचलों के 42 गांव या तो बाढ़ से घिर चुके या इन गांवों में बाढ़ का पानी प्रवेश कर चुका है। करीब चार हजार घरों में पानी घुस गया है। सोलह हजार की आबादी विस्थापित हुई है। वहीं बाढ़ की त्रासदी के बीच जादोपुर थाने के भगवानपुर गांव से दूल्हे राजा गाड़ियों के काफिले के साथ बारात लेकर मांझागढ़ के निमुइयां गांव में पहुंचे कि रास्ते मे बाढ़ देखकर हैरान रह गए। इसके बाद आनन-फानन में शादी के लिए नाव से बरात को लेकर जाना पड़ा। 

बताया गया है कि जादोपुर थाना क्षेत्र के भगवानपुर गांव के रामवचन यादव के पुत्र रामकुंवर यादव की शादी निमुइयां के माघी गांव में कन्हैया यादव की पुत्री किरण से होनी थी। इसको लेकर शनिवार को दूल्हे व उनके परिवार वाले गाड़ियों के काफिले के साथ बारात लेकर पहुंचे। इसी बीच निमुइयां जाने वाले रास्ते में बाढ़ का पानी मिल गया। हालांकि निमुइयां गांव के लोगों ने नाव की व्यवस्था की। जिसके बाद दूल्हे राजा की बारात जा सकी। बाढ़ के पानी से घिरे गांव में शादी की रस्में पूरी की गईं। ग्रामीणों ने बताया कि शादी की तिथि पहले से ही निर्धारित थी।  

चूड़ा-गुड़ फांक कर भूख मिटाने की मजूबरी 
गोपालगंज जिले के सदर प्रखंड के खाप मकसुदपुर गांव के सतेन्द्र राम, गकरेन राम, मनोज राम, मिथुन राम, हरेराम राम, देवी राम, धर्मेन्द्र राम, मंजीत राम व सत्यनारायण राम के बच्चे अपनी भूख चूड़ा व गुड़ खाकर मिटाने को विवश हैं। कोई कटोरी में चूड़ा लेकर फांक रहा था कोई  थाली में लेकर खा रहा था। पिछले तीन दिनों पूर्व बाढ़ आने के बाद अपने घरों से छोड़कर पलायन करने को विवश हुए। पूछने पर उनलोगों ने बताया कि बाढ़ आने के दो दिनों तक वे घर पर ही रहें। लेकिन शुक्रवार को वे रजोखर गांव स्थित विद्यालय में बनाए गए शरणस्थली पर पहुंचे थे। उन  लोगों ने बाल-बच्चों व परिवार के साथ वे अपनी बकरियों को लेकर लेकर सुरक्षित स्थान पर आ गए हैं। 

उनका कहना था कि वे कुछ देर तक भूख बर्दाश्त तो कर लेंगे। लेकिन उनके बच्चे कैसे अपने भूख को रोकर पाएंगे। छोटे-छोटे बच्चों को रुखा-सुखा तो घर खाने के लिए दिया ही नहीं जाता है। मगर मजबूरी में वे अपने कलेजे के टुकड़ों को चूड़ा-गुड़ खिलाकर पेट की ओग को बुझा रहे हैं।  खाप मकसूदपुर गांव से पलायान करने वाले लोगों को रहने के लिए रजोखर स्कूल में शरणस्थली बनाया गया है। वहीं नीचे फर्श पर सोकर गुजारा तो कर ले रहे हैं। लेकिन बकरियों वे मवेशियों के चारे र्की चिंता सता रही है। बाढ़ पीड़ित लोगों ने बताया कि पिछले तीन दिनों से बाढ़ व बारिश के कारण मजदूरी करने के लिए भी कहीं नहीं जा रही हैं। अपने सामानों को समेटकर दूसरे जगह जाने में ही परेशान हैं। इसकारण मजदूरी भी छूट गई है। 

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