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सेब की खेती कर दूसरों को भी रोजगार दे रहे बिहार के मुन्ना, पढ़ाई छूटी तो करने लगे खेती

विपरित परिस्थितियों से लड़कर आगे बढ़ने वाले को ही सफलता मिलती है। ऐसी ही विषम परिस्थितियों से लड़कर उद्यान रत्न बनने वाले किसान का नाम मुन्ना प्रजापति है। हमेशा नया करने की ललक की वजह से मुन्ना प्रजापति...

सेब की खेती कर दूसरों को भी रोजगार दे रहे बिहार के मुन्ना, पढ़ाई छूटी तो करने लगे खेती
पटना, हिन्दुस्तान टीमTue, 03 Aug 2021 02:59 PM

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विपरित परिस्थितियों से लड़कर आगे बढ़ने वाले को ही सफलता मिलती है। ऐसी ही विषम परिस्थितियों से लड़कर उद्यान रत्न बनने वाले किसान का नाम मुन्ना प्रजापति है। हमेशा नया करने की ललक की वजह से मुन्ना प्रजापति ने सेब की खेती शुरू कर खुद के साथ औरों की भी किस्मत बदल रहे हैं। गर्मियों में उत्पादित होने वाले सेब हरमन 99 प्रजाति की खेती शुरू की है। 

31 वर्षीय मुन्ना बताते हैं कि वह केला और पपीता की खेती करते थे। हर दिन खेती में नया प्रयोग करते रहते थे। साल 2019 में ऑनलाइन ऑर्डर करके प्रयोग के लिए शिमला से हरमन 99 प्रजाति के सेब का पौधा मंगवा लिया। सिर्फ प्रयोग के लिए पांच पौधे लगाए थे। एक साल में पांच पेड़ से 50 किलो सेब का उत्पादन हो गया। अच्छे उत्पादन को देखते हुए अब एक एकड़ में सेब का पौधा लगा दिए हैं। मुन्ना बताते हैं कि शुरू-शुरू में खेती में कई दिक्कतें आयीं। खासकर कीड़े का प्रकोप और मौसम के अनुकूल खेती में कैसे करें, समझ नहीं पाते थे, इसके कारण उत्पादन से अधिक नुकसान होता था। फिर कृषि वैज्ञानिकों की सलाह से खेती करने लगे। इससे उत्पादन में सुधार आया और गुणवत्ता भी अच्छी होने लगी।

केला, पपीता और सब्जियों की अच्छी ओर गुणवत्तापूर्ण उत्पादन के लिए मुन्ना कुमार को साल 2018 में केन्द्रीय मंत्री गिरिराज सिंह की ओर से उद्यान रत्न अवार्ड से सम्मानित हो चुके हैं। मुन्ना बताते हैं कि उनके पिता रामशंकर प्रजापति किसान हैं।  

मुन्ना प्रजापति ने साल 2008 में स्नातक पास किया था। जिसके बाद उच्च शिक्षा के लिए बाहर जाना चाहते थे, लेकिन घर की आर्थिक तंगी ने पढ़ने नहीं दिया। इसके गांव में जमीन लेकर केले की खेती शुरू की। केले के बम्पर उत्पादन के बाद पपीते की खेती शुरू की। खेती में ही दो लोगों को स्थायी व दर्जनभर लोगों को पार्ट टाइम रोजगार दे रहे हैं। मुन्ना बताते हैं कि स्नातक करने के बाद केंद्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा की तैयारी करने लगे। खेती का एक फायदा यह रहा कि पढ़ाई का भी समय मिल जाता था। यही कारण था कि इस साल एसटीईटी पास कर गये हैं।

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