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Bihar diwas 2024: कब से मनाया जा रहा है बिहार दिवस? क्यूं है खास? जानिए

बिहार दिवस पर कार्यक्रम का आयोजन वर्ष 2010 से शुरू हुआ और हर साल होता रहा है। इस बार लोकसभा चुनाव का ऐलान होने के कारण बिहार दिवस पर राज्य स्तरीय कार्यक्रम नहीं होंगे।

हिन्दुस्तान पटनाThu, 21 March 2024 07:28 PM
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लोकसभा चुनाव को लेकर बिहार में लागू आचार संहिता के कारण इस साल 22 मार्च को बिहार दिवस पर राज्य स्तरीय कार्यक्रम नहीं होंगे। हालांकि बिहार दिवस पर सभी जिलों में स्थानीय प्रशासन के दिशा-निर्देश के अनुसार कार्यक्रम होंगे। साथ ही विभाग अपने स्तर पर आयोजन करेगा। बता दें कि बिहार दिवस पर राज्य स्तर पर गांधी मैदान और आस-पास के सभागारों में भव्य कार्यक्रम होते रहे हैं। इस राजकीय कार्यक्रम में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर के कलाकारों की प्रस्तुति भी होती रही है। राज्यपाल और मुख्यमंत्री भी कार्यक्रम में भाग लेते रहे हैं। साथ ही जिलों, प्रखंड और पंचायत के स्तर पर भी अलग-अलग आयोजन होते हैं।

गौरतलब है कि बिहार दिवस पर कार्यक्रम का आयोजन वर्ष 2010 से शुरू हुआ और हर साल होता रहा है। वहीं, वर्ष 2012 में बिहार शताब्दी दिवस मनाया गया था। बता दें कि शिक्षा विभाग इस समारोह का नोडल है जबकि सरकार के अन्य विभागों की भी इसमें भागीदारी होती रही है। 

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार दिवस पर प्रदेश एवं देशवासियों को बधाई एवं शुभकामनाएं दी है। उन्होंने आशा व्यक्त की है कि बिहार निरंतर प्रगति और समृद्धि के पथ पर आगे बढ़ता रहेगा। बिहारवासी आपसी एकता, भाईचारा, सामाजिक समरसता एवं सद्भाव बनाये रखेंगे। हम सब मिलकर बिहार को प्रगति की नई ऊंचाई पर पहुंचाएंगे तथा बिहार के गौरव को और आगे बढ़ाएंगे।

बता दें कि बिहार महापुरुषों और सूफी संतों की धरती रही है। बिहार का इतिहास काफी गौरवशाली है। महात्मा बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति यहीं हुई थी। भगवान महावीर का जन्म, ज्ञान की प्राप्ति और निर्वाण यहीं हुआ। सिखों के प्रथम गुरु गुरुनानक देव जी महाराज, सिखों के 9वें गुरु तेगबहादुर जी महाराज भी यहां आये थे। सिखों के दसवें गुरु गोविंद सिंह जी महाराज का जन्म भी यहीं हुआ था। वर्ष 2017 में गुरु गोविंद सिंह जी महाराज का 350वां प्रकाशपर्व धूमधाम से यहां मनाया गया था। प्रकाव पर्व का आयोजन प्रति वर्ष किया जाता है।

बिहार सूफी संतों की भी कर्मभूमि रही है। मनेर शरीफ, खानकाह मुजीबिया, खनाकाह मुनिबिया, मित्तन घाट सूफी संतों की भूमि रही है। बिहार सबसे पौराणिक स्थल है। यह चंद्रगुप्त मौर्य, चाणक्य, सम्राट अशोक, आर्यभट्ट की भूमि रही है। महान विभूतियों के नाम पर हमलोगों ने चंद्रगुप्त प्रबंधन संस्थान, सम्राट अशोक कन्वेंशन केंद्र, चाणक्य विधि विवि और आर्यभट्ट ज्ञान विवि की स्थापना करायी। विश्व प्रसिद्ध पुराने नालंदा विवि को भी फिर से शुरू कराया गया है। बिहार म्यूजिमय अंतर्राष्ट्रीय स्तर का बिहार में बना है। बिहार म्यूजियम को पटना म्यूजियम से अंडरग्राउंड से जोड़ा जा रहा है। 

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