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अपनी क्यारी- अपनी थाली: आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों को मिल रही है मशरूम की सब्जी के साथ पौष्टिक आहार

‘अपनी क्यारी-अपनी थाली’ योजना राज्य के चार जिलों में कोरोना से जंग लड़ रही है। आंगनबाड़ी केन्द्रों के बच्चे भी मशरूम जैसी पौष्टिक सब्जी खा रहे हैं। उन्हें टेकहोम राशन में भी मशरूम दिया जाता...

अपनी क्यारी- अपनी थाली: आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों को मिल रही है मशरूम की सब्जी के साथ पौष्टिक आहार
पटना, हिन्दुस्तान टीमTue, 09 Jun 2020 11:45 AM
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‘अपनी क्यारी-अपनी थाली’ योजना राज्य के चार जिलों में कोरोना से जंग लड़ रही है। आंगनबाड़ी केन्द्रों के बच्चे भी मशरूम जैसी पौष्टिक सब्जी खा रहे हैं। उन्हें टेकहोम राशन में भी मशरूम दिया जाता है। बिहार कृषि विश्वविद्यालय द्वारा संचालित आईसीडीएस की यह योजना कुपोषण दूर करने का मूल मंत्र बन गई है। 

योजना के माध्यम से पांच वर्ष तक के बच्चों को पौष्टिक आहार दिया जाता है। महिलाओं को भी जानकारी के साथ उन्हीं के आसपास की उपजी सब्जियां भी दी जाती हैं। खास बात यह है कि पोषक तत्वों वाली इन सब्जियों का उत्पादन भी आंगनबाड़ी केन्द्रों में ही होता है। बच्चों को टेक होम राशन में भी मशरूम व अन्य पोषक तत्वों वाली सब्जियां दी जाती है। इसके अलावा किसान कम्युनिटी रेडियो से भी पौष्टिक आहार की जानकारी गांव की महिलाओं को दी जा रही है। 

योजना अभी चार जिलों में चल रही है। पटना में उत्पादन नहीं होता है। यहां की महिलाओं व बच्चों को किसान रेडियो के माध्यम से जागरूक किया जाता है। इसके अलावा नालंदा में कुपोषण दूर करने का प्रयास मशरूम उत्पादन से हो रहा है तो खगड़िया व पूर्णिया में भी सब्जियों की खेती हो रही है। अब तक खगड़िया के 40, नालंदा के 25 और पूर्णिया के 50 केन्द्रों में 21 हजार 26 किलो सब्जियों का उत्पादन इस साल हुआ है। योजना की सफलता को देख अब इसके दूसरे जिलों में विस्तार पर भी चर्चा होने लगी है। 

सरकार न सिर्फ पोषक तत्वों से भरपूर खाद्य पदार्थ की व्यवस्था कर रही है बल्कि कुपोषण से होने वाली परेशानियों की जानकारी भी लोगों को दे रही है। बाढ़ के कम्युनिटी रेडियो स्टेशन से वैज्ञानिकों के सुझाव और कुपोषित बच्चों के लिए माताओं को क्या करना चाहिए, इसकी जानकारी भी दी जा रही है।     - डा. आरके सोहाने, प्रसार शिक्षा निदेशक, बीएयू

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