Bihar: रेमडेसिविर के नाम पर नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं निजी अस्पताल, ड्रग कंट्रोलर से लेकर विभाग के अधिकारी तक ने साधी चुप्पी
बिहार में कोरोना संक्रमण के मामलों में बढ़ोतरी के साथ ही निजी अस्पताल निरंकुश हो गए हैं। इनपर स्वास्थ्य विभाग का कोई नियंत्रण नहीं है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी खुद बीमार होने पर एम्स, पटना की शरण...

बिहार में कोरोना संक्रमण के मामलों में बढ़ोतरी के साथ ही निजी अस्पताल निरंकुश हो गए हैं। इनपर स्वास्थ्य विभाग का कोई नियंत्रण नहीं है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी खुद बीमार होने पर एम्स, पटना की शरण लेते हैं, किंतु आम आदमी निजी अस्पतालों के शोषण का शिकार बन रहा है। यह अब किसी से छिपा नहीं है कि स्वास्थ्य विभाग के आदेशों और निर्देशों का पालन निजी अस्पतालों द्वारा नहीं किया जा रहा है।
रेमडेसिविर दवा के लिए मरीजों को पुर्जा पकड़ा रहें हैं निजी अस्पताल
राज्य के निजी अस्पतालों में भर्ती मरीजों के परिजनों को रेमडेसिविर दवा बाजार से लाने के लिए पुर्जा पकड़ाया जा रहा है। जबकि स्वास्थ्य विभाग ने अस्पतालों से मांग पत्र ऑनलाइन ड्रग कंट्रोलर को देने और फिर उसके आधार पर संबंधित अस्पताल को दवा की आपूर्ति करने का निर्देश लागू कर रखा है।
निगरानी की कोई व्यवस्था नहीं
हद तो, यह है कि इसकी निगरानी के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। निजी अस्पताल मरीजों को बाजार में कालाबाजारी के माध्यम से रेमडेसिविर लाने को मजबूर कर रहे हैं, तो उसे कैसे रोका जाए, इसको लेकर ड्रग कंट्रोलर से लेकर अधिकारी तक चुप्पी साधे हुए हैं। इसकी भी निगरानी नहीं हो रही कि जिस मरीज के नाम पर रेमेडिसिवर आवंटित किया जा रहा है, वह वास्तविक मरीज को मिल रहा है या कालाबाजार में पहुंचा दिया जा रहा है।
बाजार से दवा मंगवाने के पीछे गहरी साजिश
राज्य में सोमवार रात को ही 14 हजार रेमडेसिविर दवा गई लेकिन इसके बावजूद मरीजों को बाजार से दवा लाने के लिए मजबूर किये जाने के पीछे गहरी साजिश है। स्वास्थ्य विभाग और स्थानीय प्रशासन के अधिकारी इस साजिश के खिलाफ कार्रवाई करने में अक्षम साबित हो रहे हैं। विभाग और जिला प्रशासन की लापरवाही का खामियाजा पत्रकारों व अन्य फ्रंटलाइन वर्करों को भी झेलना पड़ रहा है। विभाग में अधिकारी यह सब जानते हुए अनजान बने हैं।
मरीज को मैसेज कर नहीं दी जाती सूचना : जब स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से मीडिया ने पूछा कि रेमडेसिविर के आवंटन की सूचना मरीज को क्यों नहीं दी जाती है, तो उन्होंने इसे जल्द लागू करवाने का आश्वासन देकर पल्ला झाड़ लिया।
नई व्यवस्था के तहत सभी अस्पतालों को रेमडेसिविर की मांग को लेकर ऑनलाइन मांग पत्र ड्रग कंट्रोलर के ई-मेल पर भेजना है, जहां से इसे अस्पताल को मरीज के नाम आवंटित किया जाता है।
-आरके सिन्हा, ड्रग कंट्रोलर, बिहार
