पटना में जमकर हुई आतिशबाजी, राजधानी बनी गैस चेंबर, रोक के बावजूद खूब फूटे पटाखे
एनजीटी का आदेश पटना में बेअसर रहा। दीपावली को देर रात तक जमकर आतिशबाजी होती रही। वातावरण में धूलकण और जहरीली गैस की मात्रा काफी बढ़ गयी थी। रविवार की सुबह सात बजे तक पटना के 10 वर्ग किमी में वायु...
एनजीटी का आदेश पटना में बेअसर रहा। दीपावली को देर रात तक जमकर आतिशबाजी होती रही। वातावरण में धूलकण और जहरीली गैस की मात्रा काफी बढ़ गयी थी। रविवार की सुबह सात बजे तक पटना के 10 वर्ग किमी में वायु प्रदूषण का स्तर खतरनाक श्रेणी में पहुंच चुका था। पटना शहरी क्षेत्र के छह प्रमुख स्थलों में से पांच का वायु गुणवत्ता सूचकांक 276 पर पहुंच गया। इसका मतलब पूरे पटना की हवा खराब हो चुकी थी।
वहीं चिड़ियाघर, ईको पार्क, गांधी मैदान, पटना सिटी, तारामंडल परिसर, डाकबंगला चौराहा समेत कई इलाकों में मोटे और महीन धूलकण की मात्रा 356 से 528 माइक्रोग्राम प्रतिघनमीटर पायी गयी है। जबकि मानक है पीएम 10 का 100 माइक्रोग्राम प्रतिघन मीटर और पीएम 2.5 का मानक है 60 माइक्रोग्राम प्रतिघन मीटर। शहर में तय मानक 125 डेसिबल से अधिक आवाज वाली क्षमता के पटाखे का उपयोग जमकर किया गया। इस कारण ध्वनि प्रदूषण में भी इजाफा हुआ।
प्रदूषण बोर्ड ने पहले दी थी सूचना
बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद ने 10 नवंबर को ही राज्य के सभी बड़े अधिकारियों को एनजीटी के आदेश के संबंध में सूचना दे दी थी। पिछले वर्ष नवंबर 2019 में पटना, गया और मुजफ्फरपुर में वायु गुणवत्ता सूचकांक 200 से अधिक होने के आधार पर इस वर्ष इन तीनों शहरों में इस बार पटाखा की ब्रिकी और उपयोग पर पूर्ण रूप से एनजीटी ने प्रतिबंध लगा दिया था। प्रदूषण बोर्ड ने स्थानीय जिला प्रशासन से एनजीटी के आदेश का पालन करवाने के लिए अनुरोध किया था। बावजूद इसके पटना और मुजफ्फरपुर में वायु गुणवत्ता फिर से खराब हो गयी। मुजफ्फरपुर का वायु गुणवत्ता सूचकांक 266 पहुंच गया है। गया का सूचकांक 162 यानी यहां की हवा थोड़ी ही खराब रही। पिछले वर्ष पटना में वायु गुणवत्ता निगरानी केन्द्र एक ही जगह तारामंडल परिसर में लगा हुआ था। जिसके आधार पर ही पूरे पटना के वायु गुणवत्ता का आकलन किया जाता था। लेकिन इस वर्ष दीपावली में वायु गुणवत्ता के आकलन के लिए छह जगहों पर स्टेशन लगाए जा चुके हैं। इन सभी के आधार पर राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता सूचकांक के आकड़े मिले हैं।
पिछले साल से बढ़ा ध्वनि प्रदूषण
शहर में ध्वनि प्रदूषण भी काफी बढ़ गया है। शांत, व्यावसायिक, औद्योगिक क्षेत्रों में मानक से अधिक ध्वनि प्रदूषण दीपावली के दिन पाया गया है। बोरिंग रोड चौराहे पर पिछले साल की तुलना में कम ध्वनि प्रदूषण हुआ है। वर्ष 2019 में यहां 83 डेसिबल ध्वनि थी तो वहीं इस बार 82.01 डेसिबल ध्वनि पायी गयी। वर्ष 2017 में 81 और 2018 में 81.09 डेसिबल पायी गयी। वहीं नाइट्रोजन डाइऑक्साइड की मात्रा भी मानक से अधिक पायी गई है।
दीपावली वाली रात की हवा
पटना का वायु गुणवत्ता सचूकांक 276
पटना में करीब आठ से दस करोड़ के पटाखे फोड़े गये
पटाखे की बिक्री पर रोक के बावजूद शहर में करीब आठ से दस करोड़ के पटाखे फोड़े गये। देहात क्षेत्रों में भी इससे अधिक का धूम-धड़ाका हुआ। पटाखों की मांग बढ़ने के कारण शहर के तमाम मोहल्लों में न केवल पटाखा की दुकानें खुली रहीं, बल्कि इन दुकानों पर जमकर पटाखे खरीदे और बेचे गये। ऐसे में पटाखे की दुकानों पर रोक लगाने का आदेश कागजी साबित हुआ।
खूब हुई मनमानी
दीपावली के दिन शनिवार देर रात तक मोहल्लों में पटाखों की खूब बिक्री हुई। आमतौर पर कम कीमत में बिकने वाले पटाखे प्रशासन द्वारा रोक का निर्देश जारी करने के बाद ज्यादा कीमत पर बिके। 30 से 40 रुपये वाला बीड़ी बम 60 रुपये से लेकर सौ रुपये पैकेट तक बिका। पौने तीन सौ से सवा तीन सौ रुपये में बिकने वाला सात आवाज दीपावली में शाम के बाद 375 रुपये से 400 रुपये के बीच बिका। आमतौर पर बच्चों की फुलझड़ी 75 रुपये से तीन सै रुपये प्रति पैकेट बिकी। बाजार से जुड़े जानकार विक्की कुमार कहते हैं कि रोक लगने के बाद पटाखा बाजार में तेज बिक्री देखी गई। इस साल का पटाखा बाजार 8 से दस करोड़ रुपये के बीच होने का अनुमान लगाया जा रहा है।