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नक्सलियों को 15 लाख रुपये लेवी देने के बाद मुखिया कैद से छूटकर लौटे घर, कारोबारी अब भी कब्जे में

बिहार के लखीसराय जिले के भलूई पंचायत के मुखिया गणेश रजक को नक्सलियों ने बुधवार की देर रात रिहा कर दिया। वहीं सूद कारोबारी राजेंद्र यादव को अबतक रिहा नहीं किया गया है। रिहाई के बाद मुखिया रात भर कजरा...

नक्सलियों को 15 लाख रुपये लेवी देने के बाद मुखिया कैद से छूटकर लौटे घर, कारोबारी अब भी कब्जे में
लखीसराय। कार्यालय संवाददाताThu, 06 Aug 2020 02:17 PM
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बिहार के लखीसराय जिले के भलूई पंचायत के मुखिया गणेश रजक को नक्सलियों ने बुधवार की देर रात रिहा कर दिया। वहीं सूद कारोबारी राजेंद्र यादव को अबतक रिहा नहीं किया गया है। रिहाई के बाद मुखिया रात भर कजरा स्थित अपने ननिहाल में रूके और फिर गुरुवार की सुबह एसपी आवास पर जाकर उनसे मुलाकात की और अपने रिहाई के बारे में जानकारी दी। सूत्र बताते हैं कि 10 से 15 लाख की लेवी देने के बाद नक्सलियों ने मुखिया को रिहा किया है। हालांकि मुखिया इसबात से इन्कार कर रहे हैं। 

रिहा हुए मुखिया गणेश रजक ने कहा कि सोमवार की रात नौ बजे वे अपने कार्यालय में अपने भांजे के साथ मौजूद थे। इसी दौरान पांच की संख्या में हथियारबंद नक्सली आए और उनसे पूछा कि मुखिया जी आप ही हैं। जब उन्होंने हामी भरी तो नक्सली उन्हें साथ लेकर चले गए। उनका भांजा शिक्षक रविंद्र रजक भी पीछे-पीछे साथ चला गया था। हालांकि उन्हें बाद में नक्सलियों ने डांट-डपटकर भगा दिया गया। मुखिया के मुताबिक उनसे किसी तरह की लेवी नहीं मांगी गई। नक्सलियों को कुछ गलतफहमी हो गई थी। जब उन्होंने गुहार लगाई कि उनके बारे में कोई गलत इन्फॉर्मेशन दे दिया गया है। बाद में नक्सलियों ने जांच-पड़ताल के बाद मुखिया को रिहा कर दिया। बुधवार की रात करीब 11 बजे कजरा स्टेशन से दो किलोमीटर पहले नक्सलियों ने उन्हें छोड़ दिया। वहां से वे अपने ननिहाल में ठहर गए। 

कहां ले गए, हमें भी मालूम नहीं
कहां ले गए थे के सवाल पर मुखिया ने कहा कि गांव तक उनकी आंखें खुली थी, लेकिन आगे फिर पट्टी बांध दिया गया। नक्सलियों ने वाहन का भी उपयोग किया। वाहन में बिठाकर वे कहां ले गए हमें भी मालूम नहीं है। सुबह के 11 बजे भोजन दिया गया। उन्होंने बताया कि नक्सलियों द्वारा किसी तरह का टॉर्चर नहीं किया गया। 

लेवी के बाद छोड़ा, पर मुखिया का इन्कार
पुख्ता सूत्रों की मानें तो मुखिया की रिहाई लेवी लेने के बाद हुई है। लखीसराय में 10 से 15 लाख में डील फाइनल होने की बातें हो रही हैं, तो वहीं जमुई में 20 लाख रुपये देने के बाद रिहाई होने की चर्चा है। बताया यह भी जा रहा है कि नक्सलियों की तरफ से 50 लाख की डिमांड की गई थी। यह भी बताया जा रहा है कि मुखिया के भांजे को लेवी की राशि जुटाने की शर्त पर ही रिहा किया गया था। हालांकि लेवी की सभी बातों से मुखिया ने साफ इन्कार कर दिया है। उन्होंने कहा कि ये सब महज अफवाह है। 

सूद कारोबारी को अबतक नहीं छोड़ा
सूद कारोबारी अब भी नक्सलियों के कब्जे में हैं। सूद कारोबारी के बारे में मुखिया ने बताया कि गांव तक दोनों साथ ही थे। बाद में जब आंखों पर पट्टी बांध दी गई, तो उन्हें भी नहीं मालूम कि सूद कारोबारी को कहां ले गए। जिस जगह पर उन्हें रखा गया था, वहां सूद कारोबारी की कोई आवाज या नक्सलियों द्वारा किसी तरह की बातचीत नहीं सुनी गई। इधर यह भी बताया जा रहा है कि सूद कारोबारी से भी डीलिंग की लगातार बातें हो रही है। संभवत: डील फाइनल नहीं होने की वजह से उन्हें नहीं छोड़ा गया है। शाम तक उनकी रिहाई की भी बात सूत्र बता रहे हैं। 

अंधेरे में तीर चलाती रही पुलिस
इस पूरे मामले में पुलिसिया गतिविधि महज दिखावा रही। आम दिनों की तरह कॉम्बिंग ऑपरेशन चलाकर मुखिया को तलाशने की खानापूर्ति की जाती रही। बताया यह भी जा रहा है कि पुलिस किसी भी तरह का रिस्क नहीं लेना चाह रही थी। शायद इसी वजह से डिलिंग के बाद मुखिया को रिहा भी कर दिया गया और पुलिस को भी अधिक माथापच्ची नहीं की गई। 

मुखिया को नक्सलियों ने छोड़ दिया है। पुलिस के दबाव में नक्सलियों ने मुखिया गणेश रजक को रिहा किया है। सूद कारोबारी भी जल्द ही छूट जाएंगे। पुलिस लगातार कार्रवाई में जुटी है। जल्द ही सफलता मिल जाएगी। - सुशील कुमार, एसपी, लखीसराय

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