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नाबालिग के रेप और हत्‍या मामले में माता-पिता को 10 लाख का मुआवजा, कोर्ट ने आरोपी को किया बरी

नाबालिग बच्ची से दुष्कर्म फिर उसकी हत्या मामले में पटना हाईकोर्ट ने पीड़ित बच्ची के माता- पिता को दस लाख रुपये बतौर मुआवजा देने का आदेश दिया है। कोर्ट ने सीवान जिला के बिहार विविक सेवा प्राधिकार को...

नाबालिग के रेप और हत्‍या मामले में माता-पिता को 10 लाख का मुआवजा, कोर्ट ने आरोपी को किया बरी
शंभू शरण सिंह,पटना Fri, 22 Oct 2021 06:57 AM

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नाबालिग बच्ची से दुष्कर्म फिर उसकी हत्या मामले में पटना हाईकोर्ट ने पीड़ित बच्ची के माता- पिता को दस लाख रुपये बतौर मुआवजा देने का आदेश दिया है। कोर्ट ने सीवान जिला के बिहार विविक सेवा प्राधिकार को तीस दिनों के भीतर मुआवजा राशि का भुगतान करने का आदेश दिया है। वहीं बलात्कार व हत्या के आरोप में मौत की सजा पाए नाबालिग आरोपित को भी बरी कर दिया।

न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार सिंह तथा न्यायमूर्ति अरविंद कुमार श्रीवास्तव की खंडपीठ ने मामले पर सुनवाई की। कोर्ट ने मामले पर सुनवाई के बाद चार वर्षीय बच्ची के साथ हुए दुष्कर्म तथा हत्या के आरोपित को मिली मृत्यु दंड सजा को कोर्ट ने निरस्त कर दिया। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि देश का कानून नाबालिग को सजा देने की इजाजत नहीं देता। ऐसे में आरोपित को बरी करना न्याय संगत हैं। कोर्ट ने कहा कि दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 357 में पीड़िता को मुआवजा देने का प्रावधान है। यही नहीं सुप्रीम कोर्ट ने भी सभी राज्यों को पीड़ित को मुआवजा देने के लिए अलग से फंड सृजत करने का आदेश दिया है। राज्य सरकार ने भी सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आलोक में बिहार विक्टिम कंपन्सेसन स्कीम बनाई है। इसके तहत पीड़िता को मुआवजा तथा पुनर्वास का प्रावधान है। नाबालिग पीड़िता को तीन से सात लाख तक का मुआवजा दिये जाने का प्रावधान किया गया है, लेकिन कोर्ट चाहे तो मुआवजा राशि को दोगुना कर सकता है।

क्या था पूरा मामला

मामला सीवान जिला के बड़हरिया थाना क्षेत्र का है। वर्ष 2018 में इस क्षेत्र की चार वर्षीय बच्ची के साथ दुष्कर्म तथा बाद में उसकी हत्या किये जाने की प्राथमिक दर्ज की गई है। पुलिस अनुसंधान के बाद सीवान की निचली अदालत ने अभियुक्त को दोषी करार देते हुए 24 अप्रैल 2019 को मौत की सजा सुनाई थी और दी गई सजा की पुष्टि के लिए केस का सारा रिकॉर्ड हाईकोर्ट को भेज दिया था। आरोपी ने अपने आप को नाबालिग घोषित करने के लिए एक अर्जी निचली अदालत में दी थी, लेकिन निचली अदालत ने उसकी अर्जी को खारिज कर मौत की सजा दे दी।

हाईकोर्ट ने नाबालिग घोषित करने के लिए दी गई अर्जी पर मेडिकल बोर्ड का गठन करने का आदेश दिया। कोर्ट के आदेश पर मेडिकल बोर्ड ने सजायाफ्ता की उम्र जांच की। बोर्ड ने अपने रिपोर्ट में माना कि गत 3 अगस्त को जांच के दिन आरोपी की उम्र 19-20 साल है। रिपोर्ट के आधार पर कोर्ट ने कहा कि घटना के दिन आरोपी 17 वर्ष एक माह 8 दिन का था। कोर्ट ने माना कि आरोपी 16 वर्ष से ज्यादा और 18 वर्ष से कम का है। ऐसे में घटना के दिन आरोपी नाबालिग था। कोर्ट ने कहा कि देश का कानून नाबालिग को सजा देने की इजाजत नहीं देता है। कोर्ट ने इस आधार पर उसे अविलम्ब जेल से रिहा करने का आदेश दिया।

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