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रैकेटियर निकला मुजफ्फरपुर ट्रांसपोर्ट ऑफिस का कर्मी, चोरी की गाड़ियों की ऐसे बना लेता था पेपर

जिस ट्रक को पिछले डीटीओ ने ब्लैक लिस्टेड कर दिया था उसका भी फिटनेस और पेपर तैयार करने का जुगाड़ किया जा रहा था। चेसिस नंबर से छेड़छाड़ के भी सबूत मिले हैं।

रैकेटियर निकला मुजफ्फरपुर ट्रांसपोर्ट ऑफिस का कर्मी, चोरी की गाड़ियों की ऐसे बना लेता था पेपर
Sudhir Kumar हिन्दुस्तानFri, 9 Aug 2024 02:20 AM
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बिहार के मुजफ्फरपुर जिला परिवहन कार्यालय में चोरी के वाहनों का दस्तावेज बनाने वाला गिरोह लंबे समय से सक्रिय है। अधिकारी की आंख में धूल झोंक विभाग के कर्मचारी ही दलालों की मदद से यह रैकेट चला रहे हैं। ऐसा ही एक मामला गुरुवार को मुजफ्फरपुर डीटीओ कार्यालय में पकड़ा गया। चोरी की वाहन होने की आशंका में ब्लैक लिस्टेड किए गए ट्रक का फिटनेस कराने का प्रयास किया जा रहा था। चेसिस में टेंपरिंग होने के कारण भौतिक जांच के दौरान एमवीआई ने पकड़ लिया। इसके बाद संबंधित कर्मी को काउंटर के कार्य से हटाकर सामान्य कार्यालय कार्य में लगा दिया गया। साथ ही पूरे मामले की जांच शुरू कर दी गई है।

विभागीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, ट्रक के चेसिस को टेंपर करके बदला गया था। उस ट्रक को पिछले डीटीओ के कार्यकाल के समय ही ब्लैक लिस्टेड कर दिया गया था। इसके बाद ट्रक मालिक और दलाल द्वारा काउंटर क्लर्क से मिलीभगत कर दोबारा फिटनेस एवं अन्य कागजात बनाने का प्रयास किया जा रहा था। लेकिन, पहले से नंबर ब्लॉक होने के कारण गड़बड़ी पकड़ी गई। इसके बाद काउंटर क्लर्क को बुला कर सख्ती से पूछताछ की गई तो उसने एक साथ लॉट में बहुत पेपर की इंट्री करने के दौरान अनजाने में ऐसा होने की बात कही। साथ ही भविष्य में इस तरह की गलती दोबारा नहीं करने की बात कही। इसके बाद उसे चेतावनी देकर उसे दूसरी जगह शिफ्ट कर दिया गया और जांच चल रही है।

इस बारे में एमवीआई राकेश रंजन ने बताया कि उन्होंने पहले ही इस ट्रक का भौतिक सत्यापन किया था।। उसके चेसिस नंबर के साथ छेड़छाड़ किए जाने की बात सामने आने पर ट्रक के चोरी के होने की आशंका पर उसके नंबर को ऑनलाइन सिस्टम में लॉक कर दिया था। लेकिन, एक बार फिर से उसका फिटनेस प्रमाण प्रत्र गलत तरीके से हासिल करने का प्रयास किया जा रहा था। वहीं, डीटीओ कुमार सत्येंद्र यादव ने बताया कि ऑनलाइन व डबल लेयर चेकिंग में गड़बड़ी की संभावना न के बराबर होती है। ऑनलाइन सिस्टम होने के बाद बिचौलियों की गतिविधियों पर एक हद तक लगाम लगाया जा चुका है। कहा कि हाल ही में 15 साल पुराने गाड़ी के निबंधन में भौतिक सत्यापन के दौरान अब तक करीब दो दर्जन वाहनों के आवेदनों को चेसिस प्रिंट नहीं दिखने व टेंपर्ड होने के कारण निरस्त किया जा चुका है।

वाहन चोरी के शातिर को दिया था ब्लैंक स्मार्ट कार्ड

जिला परिवहन कार्यालय से ब्लैंक स्मार्ट कार्ड वाहन चोर गिरोह से जुड़े चोरी के वाहनों का कागजात बनाने वाले मास्टर माइंड पवन श्रीवास्तव को सौंप दिया गया था। कांटी के दामोदरपुर में उसके ठिकाने से गाड़ियों के ओनरबुक बनाने में उपयोग होने वाला दर्जनों ब्लैंक स्मार्ट कार्ड जब्त किया गया था। इसके अलावा दर्जनों लोगों का लाइसेंस भी उसके ठिकाने से जब्त किए गए थे। तीन साल में अब तक डीटीओ कार्यालय ने पुलिस को यह नहीं बताया कि ब्लैंक स्मार्ट कार्ड मास्टर माइंड पवन श्रीवास्तव को किसने और कैसे सौंपा था।

एक ही नंबर के दो बोलेरो के सामने आए कागजात

डीटीओ कार्यालय में एक ही नंबर के दो बोलेरो गाड़ी कागजात बनाने के लिए पहुंच गए थे। दोनों गाड़ियों के ओनर को डीटीओ कार्यालय से एक ही नंबर के ओनरबुक जारी किया गया था। जांच में एक गाड़ी के चेसिस नंबर में टेंपरिंग पाया गया था। इसके बाद डीटीओ कार्यालय ने नगर थाने में मामले की एफआईआर दर्ज कराई थी। इस मामले में भी डीटीओ कार्यालय ने दो साल बीतने के बाद भी पुलिस को यह नहीं बता पाया है कि एक ही नंबर के दो अलग-अलग वाहनों का ओनरबुक कैसे बन गया था। जबकि एक बोलेरो चोरी की थी।

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