Sonpur Mela : कब से शुरू हो रहा सोनपुर मेला, इस बार टॉक शो-बाइक राइडिंग समेत कई चीजें होंगी खास
यह मेला भले ही पशु मेला के नाम से विख्यात है लेकिन इस मेले की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यहां सूई से लेकर अन्य सामान की खरीददारी की जा सकती है। इस वर्ष यह मेला 13 नवम्बर से शुरू होगा और 14 दिसम्बर को खत्म होगा।
बिहार की राजधानी पटना से करीब 25 किलोमीटर दूर सारण जिले के सोनपुर के हरिहर क्षेत्र में प्रतिवर्ष लगने वाला विश्वविख्यात सोनपुर मेला का आयोजन 13 नवंबर से शुरू होगा। प्रतिवर्ष कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर लगने वाला सोनपुर पशु मेला एशिया का सबसे बड़ा पशु मेला है। यह मेला भले ही पशु मेला के नाम से विख्यात है लेकिन इस मेले की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यहां सूई से लेकर अन्य सामान की खरीददारी की जा सकती है। इस वर्ष यह मेला 13 नवम्बर से शुरू होगा और 14 दिसम्बर को खत्म होगा।
स्थानीय स्तर पर इस मेले को 'छत्तर मेला' भी कहा जाता है। विश्व प्रसिद्ध सोनपुर मेला में इस बार बाइक राइडिंग, प्रसिद्ध हस्तियों का टॉक शो एवं स्टार कलाकारों की शानदार प्रस्तुति होगी। इस साल फुटबॉल और क्रिकेट के साथ-साथ नए एडवेंचर स्पोर्ट्स भी मेले का हिस्सा होंगे। पुस्तक मेला के आयोजन के लिये प्रयास किया जा रहा है। मेले का प्रचार-प्रसार पूरे जोर-शोर से किया जाएगा। मेले में आयोजित दैनिक कार्यक्रमों को लोगों तक पहुचाने के लिए सोशल मीडिया का उपयोग किया जाएगा। मेला को वृहत स्वरूप प्रदान करने के उद्देश्य से राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय पार्टनर के साझेदारी के लिये प्रयास किया जा रहा है।
प्रतिवर्ष कार्तिक मास के पूर्णिमा स्नान के साथ यह मेला शुरू हो जाता है जो पूरे एक माह तक चलता है। इस मेले के ऐतिहासिक महत्व के बारे में कहा जाता है कि इसमें कभी अफगानिस्तान, ईरान, इराक जैसे देशों के लोग पशुओं की खरीददारी करने आया करते थे। यह भी कहा जाता है कि चंद्रगुप्त मौर्य ने भी इसी मेले से बैल, घोड़े, हाथी और हथियारों की खरीददारी की थी। मेला में पक्षी मेला भी लगता है।
हरिहर क्षेत्र मेले का एक बड़ा आकर्षण मीना बाजार भी होता है। यहां देश के विभिन्न स्थानों से व्यापारी अपने सामनों के साथ पहुंचते है। सोनपुर मेला की प्रसिद्धि इतनी है कि विदेशों से सैलानी इस मेले को देखने बड़ी संख्या में पहुंचते है। मेले में सैलानियों के ठहरने के लिए खास इंतजाम किये जाते है। यह मेला पहले हाजीपुर में लगता था।सिर्फ हरिहर नाथ की पूजा सोनपुर में होती थी लेकिन बाद में मुगल बादशाह औरंगजेब के आदेश से मेला भी सोनपुर में ही लगने लगा।
सोनपुर का मेला अपने आप में समृद्ध विरासत को समेटे हुए है| प्राचीनकाल से लगनेवाले इस मेले का स्वरूप भले कुछ बदला हो लेकिन महत्ता आज भी वही है।करीब 20 वर्ग किलोमीटर में फैले इस मेले की भव्यता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि मेले के एक छोर से दूसरे छोर तक घूमते-घूमते लोग भले ही थक जाएं लेकिन उत्सुकता बनी रहती है।
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