Wheat Sowing and Irrigation in Ragunathpur Farmers Face Challenges गेहूं की पहली सिंचाई में जुटे हैं किसान, पंपसेट ही बना सहारा, Siwan Hindi News - Hindustan
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गेहूं की पहली सिंचाई में जुटे हैं किसान, पंपसेट ही बना सहारा

रघुनाथपुर में गेहूं की बुआई लगभग 90 प्रतिशत हो चुकी है। किसान पहली सिंचाई कर रहे हैं और उर्वरक का छिड़काव भी कर रहे हैं। पहली सिंचाई फसल के विकास के लिए महत्वपूर्ण है। किसानों को सिंचाई में 200 रुपये...

Newswrap हिन्दुस्तान, सीवानThu, 26 Dec 2024 11:54 AM
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गेहूं की पहली सिंचाई में जुटे हैं किसान, पंपसेट ही बना सहारा

रघुनाथपुर, एक संवाददाता। जिले में गेहूं की बुआई अब अंतिम दौर में है। करीब 90 प्रतिशत हिस्से में गेहूं की बुआई पूरी हो गई है। इसी के साथ गेहूं की पहली सिंचाई में भी तेजी आ चुकी है। जिनके खेतों में समय से गेहूं की बुआई हो गई थी, वे इस समय गेहूं की पहली सिंचाई कर रहे हैं और जिन्होंने सिंचाई कर दी है वे खेतों में उर्वरकों और खरपतवार नाशक का छिड़काव भी कर रहे हैं। किसानों का कहना है कि गेहूं की बढ़िया पैदावार के लिए समय पर बीज बोने के साथ-साथ समय पर और सही विधि से सिंचाई करना महत्वपूर्ण होता है। गेहूं की पहली सिंचाई बहुत ही महत्वपूर्ण होती है, जो बुआई के सामान्यतः 21 से 25 दिनों के अंदर कर देनी चाहिए। इसे क्राउन रुट इनिटिएशन अवस्था कहा जाता है। इस अवस्था में गेहूं की जड़ों का विकास सबसे तीव्र गति में होता है। इन्हीं जड़ों के विकास पर ही फसल के कल्लों का विकास निर्भर करता है। इस अवस्था में गेहूं की सिंचाई में अगर थोड़ी सी भी लापरवाही हुई तो पैदावार पर इसका बुरा व नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। निखती खुर्द के गांव के अनुभवी किसान शुभनारायण राम कहते हैं कि गेहूं की पहली सिंचाई में इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि खेत में ज्यादा पानी नहीं लगने पाये। क्योंकि, अधिक जलजमाव से गेहूं की फसल पीली पड़ने लगती है। सोमवार को गेहूं का पटवन कर रहे किसान ने कहा कि इसी वजह से हत्था (हाथ से लकड़ी का बना पानी को दूर फेंकने वाला उपकरण) का उपयोग भी किया जा रहा है। जिले में अंतिम दौर में है गेहूं की बुआई बांगर क्षेत्र में गेहूं की बुआई खत्म हो चुकी है। अब सिंचाई का कार्य जो रहा है। वहीं चंवरी क्षेत्र में गेहूं की बुआई अंतिम दौर में है। चंवरी क्षेत्र में गेहूं की बुआई देर से होने का मुख्य कारण धान की फसल देर से पककर तैयार हुई और कटनी भी देर से ही हुई। इस वजह से इधर बुआई का कार्य देर से शुरू हुआ है। जबकि, बांगर क्षेत्र में 15 नवंबर से पहले ही गेहूं फसल की बुआई शुरू हो गई थी। अब, इधर इसकी सिंचाई में तेजी आ गई है। सिंचाई के साथ ही खेतों में उग आये खर-पतवार पर किसान दवा का भी छिड़काव कर रहे हैं। जिले में 1 लाख 10 हजार हेक्टेयर में गेहूं की बुआई का लक्ष्य निर्धारित है। 200 रुपये घंटा करना पड़ रहा है खर्च गेहूं की सिंचाई में किसानों को 200 रुपये प्रति घंटा डीजल पंप सेट मालिकों को देना पड़ रहा है। एक घंटे में 3 से 4 कट्ठा तक ही पटवन हो रहा है। इससे किसानों को सिंचाई में ज्यादा खर्च लग रहा है। हालांकि, जहां मोटर चलित पंपसेट है, वहां पर कुछ रियायत है। हर गांव में पांच-दस लोगों के पास ही अपना सिंचाई का साधन है। अधिकतर किसान भाड़े के पानी से अपनी फसल की सिंचाई कर रहे हैं। किसानों का कहना है कि कृषि फीडर भी अब तक चालू नहीं हुआ। इस वजह से उन्हें मजबूरी में डीजल पंपसेट का उपयोग करना पड़ रहा है।

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