मानसून पूर्व आठ नालों की उड़ाही की नप ने बनाई कार्ययोजना
सीवान, हिन्दुस्तान संवाददाता।देशरत्न के परिवार के स्थापित हाईस्कूल में आज शिक्षकों की भारी कमी देशरत्न के परिवार के स्थापित हाईस्कूल में आज शिक्षकों की भारी कमी देशरत्न के परिवार के स्थापित हाईस्कूल...

सीवान, हिन्दुस्तान संवाददाता। अगर सबकुछ ठीकठाक रहा तो बरसात में जलजमाव से डूबने वाला शहर का कई प्रमुख इलाका इस बार जलजमाव से दूर रहेगा। दरअसल, बरसात में नगर परिषद क्षेत्र को जलजमाव की समस्या से निजात दिलाने के लिए नगर परिषद ने मानसून आने से पूर्व शहर के प्रमुख नालों की उड़ाही की कार्ययोजना तैयार कर ली है। इसके बताया जा रहा कि प्रत्येक वर्ष नप के सफाई कर्मियों से मानसून आने से पूर्व नालों की उड़ाही कराने वाले नगर परिषद ने करीब 25 साल बाद एजेंसी के माध्यम से नालों की उड़ाही की योजना तैयार की है। 80 लाख की लागत से होगा काम इस क्रम में करीब 80 लाख रुपये की लागत से शहर के आठ प्रमुख बड़े व मुख्य नालों की उड़ाही की जानी है। नालों की उड़ाही के दौरान जिन नालों पर रखे गए स्लैब टूट चुके हैं, उन्हें भी ढंकने का प्रस्ताव है। बताते हैं कि नगर परिषद क्षेत्र के 8 प्रमुख नालों की उड़ाही के लिए सीवान नगर परिषद की ओर से नगर विकास विभाग, सारण प्रमंडल को प्रस्ताव भेजा गया है। प्रस्ताव की स्वीकृति मिलने के बाद इसी माह टेंडर निकाले जाने की बात कही जा रही है। बहरहाल, शहर के जिन 8 बड़े नालों की उड़ाही मानसून से पूर्व कराए जाने का प्रस्ताव नगर आवास विभाग सारण प्रमंडल को भेजा गया है, उनमें लाल कोठी से गल्ला मंडी होकर सब्जी मंडी के रास्ते दाहा नदी तक जाने वाला मुख्य नाला शामिल है। इनके अलावा शहर के जेपी चौक से महादेवा ओपी तक, फतेहपुर बाईपास से हॉस्पिटल मोड़ तक सड़क के दोनों तरफ के नाला, आंदर ढाला से खाड़ी तक, जेपी चौक से तरवारा मोड़ तक सड़क के दोनों तरफ के मुख्य नाला, पुराने बाटा मोड़ से डीएवी कॉलेज तक, कचहरी ढाला से श्रीनगर दाहा पुल तक व डीएवी कॉलेज से नवलपुर दाहा तक जाने वाला मुख्य नाला शामिल है। नालों की उड़ाही के लिए जमादार से लेकर अधिकारी तक की जवाबदेही तय की जायेगी। साधन व संसाधन के अभाव में उड़ाही का कार्य कोरम बनकर रह जाता बताते हैं कि टेंडर के माध्यम से नालों की उड़ाही होने से उड़ाही का कार्य सही तरीके से हो सकेगा। साधन व संसाधन के अभाव में नगर परिषद के सफाई कर्मी सही से नालों की उड़ाही हर साल नहीं कर पाते। परिणाम, नाला उड़ाही के नाम पर राशि तो खर्च हो जाती लेकिन धरातल पर इसका असर नहीं दिखता। ऐसे में नाला उड़ाही का कार्य बस कोरम बन कर रह जाता। लिहाजा, इस बार उम्मीद की जा रही कि उड़ाही का कार्य धरातल पर दिखेगा। बहरहाल, शहर के कई प्रमुख इलाके मानसून शुरू होने के साथ जलजमाव की समस्या से जूझने लगते हैं। मुख्य रूप से लाल कोठी नाला के जगह-जगह जाम रहने से शहर में जलजमाव की समस्या दूर होने का नाम नहीं ले रही है। यह स्थिति फतेहपुर बाईपास मुख्य नाला समेत अन्य नालों की भी है। मुख्य नालों के जाम रहने से छोटे-छोटे नाला-नालियों से पानी की निकासी व ओवरफ्लो पानी का बहाव नहीं हो रहा है।
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