सरयू नदी के इलाकों में 04 थानों के किसानों के पशुओं को नहीं मिलता चारा
गुठनी और दरौली प्रखंडों में सरयू नदी के कटाव और बाढ़ ने किसानों और पशुपालकों के लिए समस्याएँ खड़ी कर दी हैं। नदी के प्रवाह में बदलाव के कारण किसान सिंचाई में परेशान हैं, जबकि पशुपालकों को अपने पशुओं...

गुठनी, एक संवाददाता। दरौली और गुठनी प्रखंड मुख्यालयों से गुजरने वाली सरयू नदी में करीब 10 सालों से बदलाव दिख रहा है। जहां बाढ़ और कटाव से नदी के कई क्षेत्रों में बदलाव आया हैं। तो कई जगहों पर नदी ग्रामीण इलाकों की तरफ मुड़ गई है। जहां खेती करने वाले किसान सिंचाई के लिए परेशान और विवश नजर आ रहे हैं। तो कई जगहों पर पशुपालकों द्वारा पशुओं के नहलाने और उनके चारे को लेकर दूर जाना पड़ता है। हालांकि दियारा इलाकों में बसे स्थानीय लोगों को भी इस समस्या से परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। उनकी माने तो सरयू नदी में जहां 8 महीना तक पानी भरा रहता है।
वही विगत कुछ सालों से नदी में बहुत पहले ही बाढ़ आ जाती है। जिससे उनकी दूरी ग्रामीण इलाकों से काफी करीब हो जाती है। ग्रामीणों का कहना है कि दरौली और गुठनी प्रखंड क्षेत्र में नदी का पाट ठीक था। लेकिन कई जगहों पर जल संसाधन विभाग द्वारा बाढ़ निरोधी कार्य को लेकर नदी की धार में बदलाव हुआ है। वही किसान सरयू नदी के जल से जहां पहले खेती किसानी तो पशुपालक अपने पशुओं को नहलाते पिलाते थे। लेकिन अब नदियां जाड़े में ही सिमट कर रह जाती हैं। बाढ़ और कटाव सैकड़ों एकड़ भूमि रेत में हो जाती है तब्दील प्रखंड में आने वाले बाढ़ से जहा आम जनमानस परेशान रहता है। वही सबसे अधिक प्रभावित किसान रहते हैं। उनका कहना था की कटाव से खेती योग्य भूमि नदी में समा जाती है। जिसपर कभी भी खेती नही किया जा सकता। वह भूमि रेत में तब्ददिल हो जाती है। इन गांवों में ग्यासपुर, खडौली, मैरिटार, डूमरहर, केवटलिया, नरौली, बरौली, दुबा, अमरपुर शामिल है। जिनकी दो सौ एकड़ भूमि हर साल कटाव से पानी में बह जाता हैं। पशुपालकों को पशुओं के चारे की हो रही है परेशानी प्रखंड में सरयू नदी किनारे बसे और दियारा में रह रहे सैकड़ों पशुपालकों के समाने कई तरह की समस्या खड़ी हो रही है। जिसमें बाढ़ और कटाव से नदी सिकुड़ती जा रही है। वहीं, दियारा से भी लोगों का पलायन धीरे धीरे हो रहा है। वहीं पशुओं के रहने और चारे की लोगों के सामने समस्या उत्पन्न हो गई है। पहले दियारा में ग्रामीण क्षेत्रों से लोग पशुओं को लेकर भी चारे के लिए जाते थे। लेकिन अब यह बात धीरे धीरे खत्म हो गई है। दियारा में मिलने वाले हरे चारे और जंगल धीरे धीरे खत्म हो गए हैं। बाढ़ जेई मदन मोहन ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों की तरफ कटाव स्थलों पर विभाग द्वारा काफी तेजी से काम किया गया है। वही गोगरा तटबंध पर रैंनकट्स और कटाव निरोधी कार्य किए गए हैं।

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