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कृषि सखियों को सीखाए गए प्राकृतिक खेती के गुर

भगवानपुर हाट में कृषि विज्ञान केन्द्र पर प्राकृतिक खेती पर पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का समापन हुआ। 24 कृषि सखियों को जैविक खेती के बारे में सिखाया गया। विशेषज्ञों ने बताया कि जैविक खेती से गंभीर...

Newswrap हिन्दुस्तान, सीवानMon, 8 Sep 2025 04:46 PM
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  कृषि सखियों को सीखाए गए प्राकृतिक खेती के गुर

भगवानपुर हाट, एक संवाददाता। प्रखंड मुख्यालय के कृषि विज्ञान केन्द्र में राष्ट्रीय मिशन के अंतर्गत प्राकृतिक खेती विषय पर चल रहा कृषि सखियों का पांच दिवसीय आवासीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का रविवार को समापन हो गया। इसमें जिले के विभिन्न प्रखंडों के 24 कृषि सखियों को प्रशिक्षण दिया गया। इसमें उन्हें प्राकृतिक खेती के गुर सिखाए गए। प्रशिक्षण के अंतिम दिन रविवार को कृषि विज्ञान केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक सह अध्यक्ष डॉ. जितेन्द्र प्रसाद ने उनसे कहा कि सबसे पहले अपने खेतों में प्राकृतिक खेती(जैविक खेती) करके इसकी शुरुआत करें , तभी दूसरे किसान आपका अनुसरण करेंगे। उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में जैविक खेती से हीं देश से कैंसर, मधुमेह, बीपी तथा किडनी की खराबी जैसी गंभीर बीमारियों को रोका जा सकता हैं।

कृषि वैज्ञानिक डॉ. पवन कुमार शर्मा ने कृषि सखियों से कहा कि जैविक खेती करने तथा करवाने की जिम्मेदारी आपके कंधे पर है। उन्होंने कहा कि प्रशिक्षण में बताए गए जीवामृत और बीजामृत का प्रयोग कर अपने परिवार से इसकी शुरुआत करें। उन्होंने कहा कि रसायनिक खेती में उर्वरक को दुकान से खरीद कर लाया जाता है और समस्या आने पर खेतों में डाल दिया जाता है। लेकिन जैविक खेती में समस्या आने से पहले तैयारी करनी होती हैं। डॉ. कन्हैया लाल रैगर ने कहा कि हर प्रशिक्षण का कुछ नियम होता है, जिसमें टेक्निकल, प्रायोगिक तथा अनुभव शामिल होता है। उन्होंने कहा कि गांव के लोगों का आप पर विश्वास होगा, इसीलिए आप सभी को ट्रेनिंग दी गई है। कृषि अभियंता कृष्ण बहादुर छेत्री ने कहा कि बीमारी होने पर नर्स इलाज करती है, लेकिन कृषि सखियों को जैविक खेती कर लोगों को बीमार होने से बचाने की जिम्मेदारी है। जब लोग बीमार नहीं होंगे तो उनका दवा पर होने वाला खर्च बच जाएगा। उन्होंने कहा यूरिया विदेश से आता है, जिसपर सरकार का ज्यादा खर्च होता हैं। जैविक खेती में सभी खाद अपने घर हीं तैयार होता है। इसे हम गोबर, गोमूत्र, जैव संसाधन का प्रयोग कर कम लागत में इसे तैयार कर सकते हैं। प्रशिक्षण के दौरान प्रशिक्षुओं को प्राकृतिक खेती के गुर सिखाए गए। उन्हें प्राकृतिक खेती करने विधि, जैविक खाद बनाने तथा उसके उपयोग की जानकरी दी गई। प्रशिक्षण की समाप्ति पर उनके बीच प्रशिक्षण के प्रमाण पत्र का वितरण किया गया। मौके पर लाली कुमारी, बबली देवी, विनीता देवी, पूनम देवी, अर्चना देवी, पूर्णिमा देवी, किरण देवी, अरुण कुमार, मास्टर सुरेन्द्र सिंह व अन्य लोग थे।

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