शत-प्रतिशत गेहूं की बुआई का लक्ष्य पूरा होने के करीब, पटवन तेज
सीवान/रघुनाथपुर, एक संवाददाता। जिले में बेसहारा बच्चों को शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ने में समाज कल्याण विभाग एवं राज्य बाल संरक्षण समिति द्वारा संचालित प्रायोज

सीवान/रघुनाथपुर, एक संवाददाता। प्रखंड में गेहूं की बुआई का कार्य तेजी से चल रहा है। हालांकि, प्रतिशत तक बुआई का लक्ष्य भी पूरा होने के करीब है। रघुनाथपुर में करीब 6 हजार हेक्टेयर में गेहूं की बुआई का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। बुआई में तेजी आ गई है। हालांकि, 10 दिन पहले तक बुआई का लक्ष्य 90 फीसदी भी पूरा नहीं हो सका था। इधर के एक सप्ताह में गेहूं की बुआई तेज हो गई है। किसानों का कहना है कि आगत बोई गई गेहूं की अब पहली सिंचाई भी शुरू हो चुकी है। चंवरी क्षेत्र में अब बुआई रह गया है। उम्मीद है कि अगले एक सप्ताह के अंदर बुआई का कार्य पूरा कर लिया जाएगा। किसान भगन राम ने बताया कि इस साल सूखे की स्थिति होने के कारण खेत में नमी नहीं होने के काऱण बुआई में कुछ देरी जरूर हुई। लेकिन, गेहूं की बुआई का कार्य 90 प्रतिशत तक पूरा हो चुका है। किसान सत्येन्द्र राय ने कहा कि गेहूं की बुआई का उत्तम समय तो 15 दिसम्बर होता है। लेकिन, किसान 31 दिसम्बर तक भी गेहूं की बुआई करते रहे हैं। 31 दिसम्बर तक बुआई का कार्य हो जाएगा पूरा रघुनाथपुर प्रखंड क्षेत्र के किसानों का कहना है कि 31 दिसम्बर तक रघुनाथपुर प्रखंड में गेहूं की बुआई का लक्ष्य पूरा कर लिया जाएगा। गेहूं की बुआई का काम तेजी से हो रहा है। किसानों का पूरा ध्यान खेती पर ही है। किसान ठंड की परवाह नहीं करते हुए पूरे दिन खेत में कार्य करने में व्यस्त हैं। गेहूं की बुआई के साथ ही पटवन का कार्य शुरू कर दिया गया है। 21 दिन के बाद गेहूं की पहली सिंचाई की जाती है। किसान शम्भुनाथ राय ने कहा कि रविवार को उन्होंने 25 दिन पूरे होने पर गेहूं का पटवन शुरू दिया है। किसान ध्रुव भगत ने कहा कि 25 नवम्बर से पहले बोई गई गेहूं का पटवन जारी है। खर-पतवार की दवा का छिड़काव भी कर रहे किसान गेहूं की पटवन के सप्ताह भर बाद खेत में उग आए खर-पतवार की दवा का छिड़काव भी कर रहे हैं। दवा महंगा होने से सभी किसान इसका प्रयोग तो नहीं कर रहे हैं। लेकिन, जिले के अधिकांश दवा का छिड़काव करके ही इस पर नियंत्रण करने की कोशिश कर रहे हैं। इधर, गेहूं की पहली सिंचाई के बाद किसान खेत में खाद का प्रयोग भी कर रहे हैं। बाजार में यूरिया खाद की उपलब्धता के बावजूद दुकानदार किसानों को टरकाने से बाज नहीं आ रहे हैं।
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