Hindi Newsबिहार न्यूज़सीवानPeople breathed a sigh of relief as the water level decreased

जलस्तर कम होने से लोगों ने ली राहत की सांस

गुठनी,एक संवाददाता। सरयू नदी का जलस्तर पांच दिनों में लागतार कम होने से लोगों ने राहत की सांस ली है। हालांकि 24 घंटे में इसमें हल्की से महज 33 सेमी की बढोतरी दर्ज की गई। लेकिन नदी के उग्र रुप धारण...

जलस्तर कम होने से लोगों ने ली राहत की सांस
Newswrap हिन्दुस्तान, सीवानThu, 1 Aug 2024 10:15 AM
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गुठनी,एक संवाददाता। सरयू नदी का जलस्तर पांच दिनों में लागतार कम होने से लोगों ने राहत की सांस ली है। हालांकि 24 घंटे में इसमें हल्की से महज 33 सेमी की बढोतरी दर्ज की गई। लेकिन नदी के उग्र रुप धारण करने से लोग अभी भी दहशत में हैं। वहीं ग्यासपुर गांव के समीप भारी बारिश होने से कटान तेज होने से गांव पर खतरा मंडरा रहा है। सोमवार को जलस्तर 60.320 मीटर रहा, जबकि मंगलवार को यह 60.390 मीटर पर था। 24 घंटे में नदी के जलस्तर में 33 सेमी की बढोतरी दर्ज की गई। इस समय नदी डेंजर लेबल 60.82 मीटर से मात्र .50 सेमी नीचे बह रही थी। जलस्तर घटने से तटवर्ती इलाके के लोग यह सोच कर बेचैन हैं कि कहीं नदी एक बार फिर बढ़ी तो उनकी भी मुश्किलें बढ़ जाएंगी। नदी का दबाव अभी भी ग्यासपुर, बलुआ, तिरबलुआ गांव की तरफ अधिक है। उधर, क्षेत्र के ग्यासपुर, तिरबलुआ, मैरिटार, अमरपुर, नरौली, केवटलिया गांव के समीप कटान जारी रहने से लोगों की मुश्किलें बढ़ती ही जा रही है।

जलस्तर कम होने के बाद भी नदी की धार में नही हुई कमी

सरयू नदी का जलस्तर विगत 48 घंटे में जहां तेजी से बढ़ा हुआ है। वहीं ग्रामीणों की माने तो उसके धार में कोई बदलाव नहीं हुआ है। सरयू नदी के तेज धार से जहां ग्रामीण अभी भी सहमे हुए हैं। वही उनको चिंता इस बात की है कि जलस्तर कम होने के बाद कटाव का खतरा अधिक बढ़ जाता है। जिससे ग्रामीण इलाकों के नजदीक मौजूद खेती योग्य भूमि, ऊंचे टीले, निचले इलाके व गांव के समीप कटाव तेजी से होता है। जिस पर करीब 200 एकड़ भूमि जलमग्न हो चुकी है।

ग्रामीणों को संदेह नहीं टला है अभी भी खतरा

सरयू नदी के किनारे बसे ग्रामीणों का कहना है कि जलस्तर कम होने से बाढ़ का खतरा व कटाव का खतरा अभी भी बरकरार है। उनका कहना है कि जुलाई के मध्य और अगस्त तक नदी का जलस्तर बढ़ते घटते रहता है। नदी कब किस रूप में आ जाए इसकी कोई गारंटी नहीं है। उन्होंने कटाव स्थल पर तेजी से काम करने की मांग की ताकि गांव को और भी नुकसान न हो।

क्या कहते हैं जेई

जेई मदन मोहन ने बताया कि नदी के जलस्तर में कमी आने के बाद कटाव निरोधी कार्य तेजी से होगा। हमारी टीम गोगरा तटबंध और आसपास के इलाकों में घूम रही है।

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