जिले में पहली बार कराया जा रहा रबी फसलों का डिजिटल सर्वे
सीवान, हिन्दुस्तान संवाददाता। जिले में खेतीबारी अब सहज नहीं रही, यह अब बीते दिनों की बात हो गई है। पारंपरिक खेती के साथ आधुनिक तरीके से खेती कर जिले के किसान सीवान, हिन्दुस्तान संवाददाता। जिले में...

सीवान, हिन्दुस्तान संवाददाता। जिले में खेतीबारी अब सहज नहीं रही, यह अब बीते दिनों की बात हो गई है। पारंपरिक खेती के साथ आधुनिक तरीके से खेती कर जिले के किसान न सिर्फ अपनी आमदनी बढ़ा रहे हैं, बल्कि कृषि के क्षेत्र में जिले को एक अहम मुकाम भी दिला रहे हैं। बताया जा रहा कि जिले के किसान खेती के तौर-तरीकों में बदलाव कर रहे हैं। कह सकते कि इस समय तकरीबन 50 प्रतिशत से अधिक किसान आधुनिक खेती को अपना रहे हैं। जिला कृषि विभाग का प्रोत्साहन विभिन्न सरकारी योजनाओं का लाभ भी किसानों को मिल रहा है। बहरहाल, कृषि के क्षेत्र में जहां आने वाले नए साल में काफी कुछ नया करने की कृषि विभाग ने तैयारी कर रखी है, वहीं बिदा हो रहे साल 2024 में भी कई महत्वपूर्ण कार्य कृषि के क्षेत्र में किए गए हैं। इसमें सबसे अहम है, पहली बा जिले में रबी सीजन में 8 लाख 31 हजार 095 भूखंडों में लगी रबी फसलों का डिजिटल सर्वे। सीवान जिले के 19 प्रखंडों के 276 पंचायतों के 1091 गांवों के 8,31, 095 भूखंड का सर्वे हो रहा है। रबी मौसम में 45 दिनों में तय लक्ष्य के अनुसार डिजिटल सर्वे का काम पूरा करना है। वहीं, पहली बार, एक हजार क्विंटल हरा मटर का वितरण अनुदान पर किया जा रहा है। बाजार में 300 रुपये किलो बिकने वाले मटर पर 50 प्रतिशत अनुदान दिया गया है। तरल उर्वरक, खर-पतवार समेत अन्य प्रकार के उर्वरकों के खेतों में छिड़काव के लिए लक्ष्य के अनुसार, पांच ड्रोन खरीदने का कार्य लॉटरी के माध्यम से इस वर्ष शुरू कर दिया गया है। इसके अलावा चार गोदाम बनाने का लक्ष्य है। इसमें आंदर में 200 मीट्रिक टन व जीरादेई में एक सौ मीट्रिक टन के करीब गोदाम बनाने का कार्य प्रथम चरण में शुरू कर दिया गया है। दो सौ मिट्रिक टन के गोदाम पर पांच लाख व एक सौ मिट्रिक टन के गोदाम पर ढाई लाख रुपये अनुदान मिल रहा है। इसके अलावा आत्मा के माध्यम से आम, केला, पपीता, अमरुद, आंवला व ड्रैगन फ्रूट आदि का उत्पादन बढ़ाने के लिए किसानों के दलों को बाहर भेजकर प्रशिक्षि करने का कार्य किया जा रहा है। पराली निस्तारण हमेशा से परंपरागत खेती की बड़ी समस्या रही है, लेकिन अब फसल अवशेष प्रबंधन से सम्बद्ध कृषि संयंत्रों ने इसे बेहद उपयोगी बना डाला है, जो जैविक खाद का विकल्प भी साबित हो रहा है। क्या कहते कृषि पदाधिकारी सीवान सदर अनुमंडल के कृषि पदाधिकारी आलेख कुमार शर्मा ने बताया कि जिले में इस वर्ष कृषि के क्षेत्र में कई अहम कार्य हुए हैं। आधुनिक कृषि उन्नत तकनीक का उपयोग करती है। किसानों को कम श्रम व कम संसाधनगत उपयोग के अधिक उपज पाने व इस कारण अधिक कमाई कर पाने की सोच ने अब जिले के किसानों को पुरातन खेती पद्धति का त्याग कर आधुनिक खेती की ओर आकृष्ट होने को प्रेरित किया जा रहा है। पारम्परिक कृषि की तुलना में कम श्रम गहन है, उपज की मात्रा बड़ी है क्योंकि इसमें उत्पादन को अधिकतम करने व लगातार गुणवत्ता बनाए रखने पर ध्यान दिया जाता है।
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