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अगलगी में झुलसे बाप-बेटे व इलेक्ट्रिशियन

पेज पर सेंकड लीड पीएमसीएच रेफर एयरसेल के टावर में लगी आग से हुआ हादसा खाना बनाने के दौरान सिलेंडर में लिकेज से हादसा फोटो संख्या - 2 कैप्शन - एयरसेल के टावर में आगलगी के बाद सदर अस्पताल में गार्ड...

अगलगी में झुलसे बाप-बेटे व इलेक्ट्रिशियन
हिन्दुस्तान टीम,सीवानWed, 21 Feb 2018 03:53 PM
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हुसैनगंज प्रखंड मुख्यालय के समीप एयरसेल के टावर में बुधवार की दोपहर करीब 12 बजे आग लगने से अफरातफरी मच गई। आग टावर के गार्ड रूम में खाना बनाने के दौरान लगी है। आशंका जताई जा रही है कि आग लगने का कारण गैस सिलेंडर का लिकेज होना है। अगलगी में टावर के गार्ड व उसके बेटे समेत इलेक्ट्रिशियन भी गंभीर रूप से झुलस गया है। आनन-फानन में ग्रामीणों ने तीनों को पीएचसी में इलाज के लिए भर्ती कराया। जानकारी मिलने पर मौके पर पहुंचे थानाध्यक्ष मनोज कुमार ने स्थिति को नियंत्रित किया। पीएचसी में प्राथमिक इलाज के बाद पिता-पुत्र व इलेक्ट्रिशियन को सदर अस्पताल रेफर कर दिया गया है। हालांकि तीनों की गंभीर स्थिति को देखते हुए सदर अस्पताल से भी डॉक्टर ने उन्हें पीएमसीएच रेफर कर दिया।

प्रखंड मुख्यालय के समीप एयरसेल के टावर में बुधवार को अचानक आग लग गई। टावर के गार्ड 40 वर्षीय रामेश्वर सिंह उस समय गैस सिलेंडर पर खाना बना रहे थे। जीबीनगर थाने के सतवार गांव के कतालपुर से सुबह में ही पिता से मिलने 25 वर्षीय बेटा बुलेट सिंह भी वहां पहुंचा था। बाप-बेटे दोनों आग को बुझाने में लग गए। इसी क्रम में टावर के बाहर खड़े इलेक्ट्रीशियन व दरौंदा के खड़सरा गांव के अनिल कुमार वर्मा व उनकी बाइक भी आग की चपेट में आ गई। अगलगी में कपड़ा समेत पचास लीटर से अधिक डीजल भी स्वाहा हो गई। हालांकि ईश्वर का शुक्र था कि आग की लपटें बगल में रखे गए जेनरेटर तक नहीं पहुंची, अन्यथा इससे भी बड़ा हादसा हो सकता था। ध्यान देने वाली बात है कि हुसैनगंज प्रखंड मुख्यालय में एयरसेल का टावर खानपुर खौराटी के पूर्व मुखिया स्व. इमरोज अली की जमीन में बैठाई गई है।

परिजनों के विलास से माहौल गमगीन

हुसैनगंज प्रखंड मुख्यालय में एयरसेल के टावर में आग लगने से गंभीर रूप से झुल गए रामेश्वर सिंह व उनके बेटे बुलेट सिंह के परिजन जानकारी मिलते ही सदर अस्पताल पहुंच गए। शहर के अलावा प्रखंड मुख्यालय के भी लोग सदर अस्पताल आ गए थे। परिजनों के चीत्कार से सदर अस्पताल का माहौल गमगीन हो गया था। महिलाएं फफक रही थीं। कुछ लोग एक-दूसरे को ढाढस बंधा रहे थे। उधर, एक ही परिवार के दो लोगों को देख लोग सहम जा रहे थे। किसी को कुछ समझ में नहीं आ रहा था।

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