यूरिया की खपत बढ़ी तो किसानों को होने लगी परेशानी
रघुनाथपुर, एक संवाददाता। खाद की कालाबाजारी रोकने के लिए विभाग अलर्ट, 13 दुकानों से स्पष्टीकरणदो उर्वरक अनुज्ञप्ति निलंबित, दो उर्वरक अनुज्ञप्ति को रद्द करने की कार्रवाईखाद की कालाबाजारी व जमाखोरी पर...

रघुनाथपुर, एक संवाददाता। पूर्वा नक्षत्र की बारिश शुरू होते ही किसान खेतों में खाद डालना शुरू कर दिए हैं। यूरिया खाद की खपत भी काफी बढ़ गई है। यूरिया की खपत बढ़ने के साथ किसानों की परेशानी भी बढ़ गयी है। यूरिया के लिए किसान खाद-बीज के दुकानों का चक्कर लगाने को मजबूर हैं। यूरिया नहीं मिलने से किसान मायूस होकर खाली हाथ वापस लौट रहे हैं। दुकानदार किसानों को आज-कल कहकर टरकाने लगे हैं। किसानों का कहना है कि यूरिया का स्टॉक रहने पर भी दुकानदार आनाकानी कर रहे हैं। देर शाम में चुपके से अधिक कीमत देने पर उपलब्ध करा रहे हैं।
हालांकि, यूरिया की खपत बढ़ने से कई दुकानों में यूरिया उपलब्ध भी नहीं है। किसी दुकान पर मिल भी रहा तो दुकानदार अधिक कीमत पर बेच रहे हैं। जिले में धान की रोपनी पूरी होने के बाद धान में रेड़ा भी लगना शुरू हो गया। पिछले 3-4 दिनों से पूर्वा नक्षत्र में थोड़ी बहुत बारिश हो रही है। ऐसे में किसानों धान के खेत में यूरिया खाद डालने की जरूरत है। लेकिन, यूरिया खाद की किल्लत से किसानों की परेशानी बढ़ गयी है। गौर करने वाली बात है कि जिले में खरीफ सीजन की फसलों में यूरिया की मौजूदा समय में जरूरत पड़ गई है। जिंक व जाइम पर भी किसानों का खर्च किसानों को यूरिया के साथ जिंक व जाइम खाद दुकानदारों से खरीदनी पड़ रही है। इस पर अच्छी-खासी रकम खर्च करनी पड़ रही है। बहुत सारे किसान जिनके पास पैसे हैं वह डीएपी व पोटाश भी डाल रहे हैं। किसानों का कहना है कि उनकी बात तो कोई सुन ही नहीं रहा। किसानों का कहना है कि दुकानदार यूरिया के साथ जिंक, जाइम या अन्य कोई उत्पाद जबरन दे रहे हैं। कृषि विभाग के अधिकारियों की माने तो जिले में यूरिया की कोई किल्लत नहीं है, लेकिन, किसानों को परेशान होना पड़ रहा है। 14 सितंबर को चढ़ रहा उतरा नक्षत्र भादो का महीना खत्म हो चुका है। पूर्वा नक्षत्र भी अब समाप्त होने को है। लेकिन, अब तक गड्ढे व पोखर बारिश के पानी से भरे नहीं है। कहा जाता है कि सितंबर के दूसरे सप्ताह व पूर्वा नक्षत्र के बाद मानसून भी लौटने लगता है। हालांकि, अभी उतरा व हथिया नक्षत्र बाकी है। मानसून के लौटते ही तालाब-पोखर व गड्ढे भर जाते हैं। ऐसा कई बार देखने को मिला है। किसानों का कहना है कि अच्छी बारिश होगी तब ही रबी सीजन के फसल भी अच्छे होंगे। कम बारिश होने से इस साल गर्मी के सीजन में चापाकल सूख गए थे। पिछले तीन साल से अच्छी बारिश नहीं हो रही है। इसे लेकर किसान परेशान हैं। त
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