मैरवा में कोल्ड स्टोर नहीं रहने से किसानों को हो रही क्षति
गुठनी, दरौली, आंदर, नौतन, और जीरादेई प्रखंडों में कोल्ड स्टोरेज और प्रोसेसिंग यूनिट की कमी के कारण किसान गंभीर आर्थिक नुकसान झेल रहे हैं। किसान महंगे दाम पर बीज खरीदने को मजबूर हैं। सरकार किसानों को...

गुठनी, एक संवाददाता। मैरवा, दरौली, गुठनी, आंदर, नौतन, जीरादेई प्रखंड में कोल्ड स्टोरेज और प्रोसेसिंग यूनिट नहीं रहने से किसानों को काफी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है। किसानो का कहना था कि अगर हर प्रखंड मुख्यालय में प्रोसेसिंग यूनिट लगा रहता तो उनको महंगे दाम पर गेहूं और धान के बीज को नहीं खरीदना पड़ता। वह खुद के खेतो से उपजे फसलों के बीजों को बेहतर तरीके से प्रोसेसिंग करा सकते हैं। हालांकि किसान रबी और खरीफ फसलों के बुआई के समय काफी परेशान रहते हैं। बीएओ दीनानाथ राम ने बताया कि कई योजनाएं किसानो के लिए चलाई जा रही है। जिससे उनको खेती करने में सीधा लाभ मिलेगा। कृषि विभाग की तरफ से किसानों को समय समय पर जागरूक किया जाता है। किसानो को फसलों की बर्बादी से होती है आर्थिक क्षति मैरवा, दरौली, गुठनी, आंदर, नौतन, जीरादेई प्रखंड में कोल्ड स्टोरेज नहीं रहने से किसानों को काफी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है। किसानों द्वारा बोए गए आलू टमाटर, गोभी तथा अन्य तरह के उत्पाद खराब हो जाते हैं। वहीं मैरवा में सब्जी मंडी रहने के बावजूद भी सरकारी कोल्ड स्टोरेज ना रहना किसानों के हित में नहीं है। लोगों की मानें तो व्यापारी किसानों से सस्ते दामों पर सब्जी खरीद कर कोल्ड स्टोरेज में तो रख देते हैं। लेकिन जब आलू और प्याज का बाजार में आवक कम हो जाता है। तब वह बाजार में उसे गिराते हैं। किसानो की करने तो कभी मौसम की मार झेलनी पड़ती है, तो कभी फसलों का उचित मूल्य न मिलने पर आर्थिक नुकसान उठानी पड़ती है। किसानो को कोल्ड स्टोरेज बनाने के लिए मिलेगी मदद किसानों को कोल्ड स्टोरेज बनाने के लिए विभाग से आर्थिक मदद भी मिलेगी। जिला उद्यान पदाधिकारी विपिन कुमार पोद्दार ने बताया कि इसके लिए बैंक से डीपीआर तैयार कर उन्हें आवेदन करना होगा। जिसके बाद उनके आवेदन पर जांच कर उन्हें आर्थिक मदद दी जाएगी। साथ ही लाइट की समस्या के निवारण हेतु उस पर सोलर प्लांट भी बनवाया जा रहा है। किसानों को इसके लिए कहीं भटकने की जरूरत नहीं है। उन्हें हर तरह से आर्थिक सहयोग की जाएगी। किसानों का भी कहना है की कोल्ड स्टोरेज ना रहने से उनको न सिर्फ और सुविधाओं का सामना करना पड़ रहा है बल्कि आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ रहा है। क्या कहते हैं उप निदेशक सारण कमिश्नरी के उप निदेशक बिपिन कुमार पोद्दार ने बताया कि किसानों को 35 प्रतिशत आर्थिक सहयोग दिया जा रहा है। इसके लिए उन्हें बैंक से डीपीआर तैयार कर आवेदन करना होगा।
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