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बारिश के अभाव में धान के खेत में फटने लगी दरार

सीवान/रघुनाथपुर, एक संवाददाता। सकर तीखी धूप और गर्मी की वजह से धान की फसल सबसे अधिक प्रभावित हो रही है। खेतों में दरार पड़ गई है, अब इसमें मौजूद नमी भी जा रही है। इस वजह से धान की फसल अब सूखने के...

 बारिश के अभाव में धान के खेत में फटने लगी दरार
हिन्दुस्तान टीम,सीवानSun, 14 Aug 2022 04:31 PM
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सीवान/रघुनाथपुर, एक संवाददाता।

लगातार कई दिनों से बारिश नहीं होने से दिन और रात का तापमान चढ़ने लगा है। इस वजह लोग तो परेशान हो ही रहे हैं, फसलें भी पानी बिन प्यास गईं हैं। मौसम का मिजाज मौजूदा समय में खरीफ सीजन की फसलों के लिहाज से अच्छा नहीं है। खासकर तीखी धूप और गर्मी की वजह से धान की फसल सबसे अधिक प्रभावित हो रही है। खेतों में दरार पड़ गई है, अब इसमें मौजूद नमी भी जा रही है। इस वजह से धान की फसल अब सूखने के कगार पर पहुंच गई है। बारिश नहीं होने से मक्का और बाजरा की फसल पर भी इसका असर दिखने लगा है। किसानों का कहना है कि बारिश नहीं होने से मक्का में भुट्टा लगने में देरी हो रही है। मड़ुआ की फसल में बालियां तो निकलने लगी हैं, लेकिन पानी के अभाव में इनका आकार छोटा दिख रहा है। इसे लेकर किसान काफी चिंतित दिख रहे हैं। जिले में मक्का, अरहर, बाजरा और ज्वार आदि का करीब-करीब रोपनी पूरी कर ली गयी है। लेकिन, धान की रोपनी लगभग 90 प्रतिशत तक ही हो सकी है। बारिश नहीं होने से धान की रोपनी पर भी ब्रेक लग गया है। बारिश के अभाव में धान के बावग छींटने वाले किसान माथा पकड़ लिए हैं। नहर में पानी ही नहीं और ट्यूबेल चालू नहीं है।

खाद के दुकानों पर नहीं दिख रहे किसान

बारिश नहीं होने से जिले में खाद की बिक्री भी अब ठप पड़ गयी है। जब तक बारिश नहीं होती खाद की बिक्री नहीं होगी। खाद के दुकानदारों का कहना है कि उनके पास पर्याप्त मात्रा में यूरिया खाद उपलब्ध है। निखती गांव के किसान बादशाह भगत ने कहा कि धान की रोपनी तो किसी तरह से करा ली है। जब इसमें खाद छींटने का समय आया तो बारिश होना ही बंद हो गयी है। ऐसी स्थिति में धान में न तो हरियाली ही आ रही है न पौधों का ग्रोथ ही हो रहा है। खेत में नमी नहीं होने के कारण किसान यूरिया खाद नहीं डाल पा रहे हैं। अगर बारिश हो रही होती तो किसान अब तक दूसरी बार यूरिया की खाद डाल चुके होते। किसानों ने बताया कि मक्का और मड़ुआ के खेत में भी नमी नहीं दिख रही है। इस वजह से इन फसलों में खाद का चाहकर भी कोई प्रयोग नहीं कर पा रहा है।

डीजल अनुदान का फॉर्म भरने में परेशानी

किसानों को डीजल अनुदान का अभी तक कोई लाभ नहीं मिला है। डीजल अनुदान का फॉर्म 29 जुलाई से भरा जा रहा है। लेकिन, इसका लाभ अब तक किसानों को नहीं मिल पाया है। जबकि 1 हजार 300 से अधिक आवेदनों का निपटारा हो चुका है। विभागीय सूत्रों के अनुसार जिले में अब तक 8 हजार किसानों ने ही डीजल अनुदान के लिए ऑनलाइन आवेदन किया है। जबकि, जिले में करीब 78 हजार पंजीकृत किसान हैं। किसानों को डीजल के अनुदान के लिए फॉर्म भरने में कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। सबसे बड़ी परेशानी है कि सभी किसानों के पास पंपसेट नहीं है कि वे डीजल की खरीद किए होंगे। दूसरा यह कि पेट्रोल पंप से लिए गए डीजल रसीद पर किसान रजिस्ट्रेशन का नंबर होना चाहिए। तीसरा यह कि बिचड़ा डालने और धान की रोपनी लगभग पूरी होने के बाद सरकार ने इसकी घोषणा की। ऐसे में किसान डीजल का रसीद लाएं तो कहां से लाएं।

अश्लेषा ने किया धोखा मघा से उम्मीद

रघुनाथपुर। सावन मास में चढ़े अश्लेषा नक्षत्र ने किसानों के साथ भारी धोखा किया है। जिससे किसानों की चिंताएं बढ़ गयी है। अब किसानों को अक्सर ही धोखा देने वाले नक्षत्र मघा से उम्मीदें लगी हुई हैं। अश्लेषा नक्षत्र में दो-तीन दिनों तक कहीं-कहीं हल्की बारिश को छोड़ दिया जाए तो यह नक्षत्र सूखा ही रह गया। तीन दिनों तक लगातार तेज पुरवइया हवा चलने के कारण धान की फसल में रही-सही नमी भी गायब हो गयी है। इधर दो दिनों से काफी गर्मी पड़ रही है। मघा नक्षत्र 17 अगस्त को चढ़ रहा है। इसी दिन अश्लेषा नक्षत्र उतर जाएगा। मघा नक्षत्र धान और मक्का आदि के फसल के लिए बहुत जरूरी होता है। चुकी मक्के में भुट्टे पकड़ रहे होते हैं और धान की फसल जवां हो रही होती हैं।

पेज-5. नहरों में पानी नहीं मिलने से धान की रोपनी हुई कम

- कृषि विभाग की उदासीनता और लापरवाही से किसानों को नही मिलता लाभ

- धान, मक्का, अरहर, बाजरा, रागी, मडुआ की खेती सिर्फ 55 फीसदी हुई

- डीएम के आदेश को भी नहीं मानते कृषि विभाग के कर्मी और अधिकारी

फोटो-19. गुठनी में सूखी पड़ी नहर।

गुठनी, एक संवाददाता।

प्रखंड में विगत 7 वर्षों से नहरों में मिलने वाले सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध नहीं रहने से किसानों को काफी असुविधा का सामना करना पड़ रहा है। यही नहीं विभाग के द्वारा नहरों का पक्कीकरण का कार्य अभी आधा अधूरा ही किया गया है। इससे किसानों के सामने भुखमरी की स्थिति पैदा हो गई है। किसानों का आरोप है कि विगत 7 वर्षों में रवि और खरीफ की फसलों का काफी नुकसान हुआ है। वहीं, प्रखंड में करीब एक हजार एकड़ से अधिक भूमि में खेती नहीं हो पा रही है। इनमें सेलौर, बेलौर, केलहुरुआ, कोढ़वलिया, ओदिखोर, बाजीदही, सुरुआर गुण्डी, कुडेसर, चकिया, भलुआ, पचनेरुआ, रेवासी, खाप जतौर, जतौर गांव शामिल हैं। जिनमें धान, मक्का, रहर, मूंगफली, गेहूं, मौसमी सब्जी की खेती होती थी। किसानों ने सांसद, विधायक, डीएम, एसडीओ, बीडीओ, सीओ और नहर विभाग के कार्यपालक अभियंता , एसडीओ, जेईई, पर मनमानी करने का आरोप लगाया है। उनका कहना था कि लगातार विभागीय उदासीनता के चलते प्रखंड में नहरों का सुंदरीकरण नहीं किया गया। इससे किसानों के सामने समस्या उत्पन्न हो गई है। लोगों में अरविंद कुमार सिंह, कन्हैया कुमार, शिवजी दीक्षित, डब्लू सिंह, समरजीत सिंह, मुन्ना पाठक, नीतीश तिवारी, सोनू तिवारी, ने त्वरित कार्रवाई की मांग की है।

विभाग की उदासीनता से किसानो को नही मिलता लाभ

प्रखंड में कृषि विभाग के उदासीनता से किसानों को राज्य व केंद्र सरकार से मिलने वाले लाभों की सही जानकारी समय से नहीं मिल पाती है। इससे वह उन लाभों को लेने से वंचित हो जाते हैं। किसानों का कहना है कि उन्हें प्रधानमंत्री किसान सम्मान योजना, कृषि संयंत्रों पर लाभ, यूरिया पर लाभ देने, बीजों पर मिलने वाले लाभ सहित तमाम योजनाओं की जानकारी कृषि समन्वयक, किसान सलाहकार और बीएओ की तरफ से नहीं मिल पाती। किसानों का आरोप है कि प्रखंड स्तर पर काम करने वाले कृषि विभाग के अधिकारी व कर्मी मनमाना करते हैं। उन्होंने ऐसे अधिकारियों और कर्मियों पर कार्रवाई की मांग की है।

डीएम के आदेश को भी नहीं मानते विभाग के कर्मी

प्रखंड में सरकारी योजनाओं की जांच के लिए पहुंचे डीएम ने सबसे अधिक कृषि से जुड़ी समस्याओं और उससे पीड़ित किसानों पर विशेष फोकस किया। उन्होंने इस दौरान डीएओ, बीडीओ, सीओ, बीएओ, कृषि समन्वयक, किसान सलाहकारों को किसानों की समस्या का निस्तारण करने का सख्त आदेश दिया था। बावजूद प्रखंड स्तर के कर्मी और अधिकारी डीएम के भी आदेशों का पालन करना मुनासिब नहीं समझते। किसानों और स्थानीय लोगों का आरोप है कि कृषि विभाग प्रखंड स्तर पर पूरी तरह निष्क्रिय हो चुका है। उसके कर्मी और अधिकारी किसानों और उससे जुड़े समस्याओं पर कोई रुचि नहीं रखते हैं।

क्या कहते हैं बीएओ

बीएओ विक्रमा मांझी का कहना है कि राज्य सरकार और जिला प्रशासन से मिले आदेशों का पालन किया गया है। हमारी टीम किसानों के लिए हमेशा काम कर रही है।

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