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दूसरे राज्य की बेटियां यहां नहीं लड़ रही आरक्षित पदों पर चुनाव

पेज चार की लीड के साथ प्रादेशिक भी उलझन ग्राम पंचायत सदस्य से लेकर पंच, सरपंच, मुखिया, जिला पार्षद सदस्य व बीडीसी का पद है आरक्षित यह नियम सामान्य वर्ग के महिलाओं के लिए नहीं लागू है आरक्षित पदों पर...

दूसरे राज्य की बेटियां यहां नहीं लड़ रही आरक्षित पदों पर चुनाव
हिन्दुस्तान टीम,सीवानThu, 09 Sep 2021 06:40 PM
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पेज चार की लीड के साथ प्रादेशिक भी

उलझन

ग्राम पंचायत सदस्य से लेकर पंच, सरपंच, मुखिया, जिला पार्षद सदस्य व बीडीसी का पद है आरक्षित

यह नियम सामान्य वर्ग के महिलाओं के लिए नहीं लागू है

आरक्षित पदों पर लिए होने वाले चुनाव के लिए अयोग्य

फोटो संख्या-05 सदर प्रखंड में गुरुवार को नामांकन पत्र जमा करने के लिए खड़ी महिलाएं।

सीवान। निज प्रतिनिधि

जिले में पंचायत चुनाव का बिगुल बज चुका है। सदर प्रखंड के पंचायतों के उम्मीदवारों ने अपना-अपना नामांकन भी शुरू कर दिया है। लेकिन, इसी बीच सरकार के एक महत्वपूर्ण निर्देश ने आरक्षित सीटों पर लड़ने वाली दूसरे राज्य की सैकड़ों बेटियां को संकट में डाल दिया है। नए निर्देश के अनुसार इस बार के चुनाव में उत्तरप्रदेश या अन्य राज्य की शादी करके यहां बसने वाली एससी-एसटी व पिछड़ी जाति की बेटियां आरक्षित पदों के लिए होने वाले चुनाव का हिस्सा नहीं ले सकती हैं। चुनाव में लगे पदाधिकारी दूसरे प्रदेश से निर्गत जाति प्रमाणपत्र को स्वीकार नहीं कर रहे हैं और उन उम्मीदवारों को आरक्षित पदों पर लिए होने वाले चुनाव के लिए अयोग्य करार दे रहे हैं। हालांकि यह नियम सामान्य वर्ग के महिलाओं के लिए नहीं है। कारण है कि उनके उम्मीदवारी के लिए जाति प्रमाणपत्र की जरूरत नहीं होती है। यूपी मायका और बिहार ससुराल होने की पीड़ित एक महिला उम्मीदवार समसुजहां ने बताया कि वह मूल रूप से यूपी के देवरिया जिले के बनकटा के परसौनी, रधुनाथपुर की रहने वाली है। उसकी शादी स्थानीय जिले के सदर प्रखंड के कलिंजरा निवासी शहीद मियां के साथ हुई है। पिछले पंचायत चुनाव के दौरान वह ग्राम पंचायत सदस्य के रूप से निर्वाचित भी हुई थी। लेकिन, इस बार उसका जाति प्रमाणपत्र यूपी के होने के कारण उसे आरक्षित पद के लिए चुनाव लड़ने से वंचित किया जा रहा है। प्रशासनिक सूत्रों की मानें तो जिले में एससी-एसटी व पिछड़ी जाति के सैकड़ों पद उम्मीदवारों के लिए आरक्षित हैं। इसमें ग्राम पंचायत सदस्य से लेकर पंच, सरपंच, मुखिया, जिला पार्षद सदस्य व बीडीसी का पद शामिल है।

हजारों परिवारों का संबंध का गवाह है यूपी व बिहार

स्थानीय जिला भौगोलिक मानचित्र के अनुसार यूपी व बिहार का सीमावर्ती जिला है। यूपी के लोगों का बिहार और बिहार के लोगों का यूपी में आना जाना रोजमर्रा की जरूरत जैसी है। ऐसे में दोनों ही प्रदेशों के बीच आपसी रिश्तो का होना भी आम बात है। बताया जाता है कि हजारों की संख्या में यूपी और बिहार के लड़की व लड़कों की शादियां एक दूसरे के साथ हुई हैं। ऐसे में चुनाव के दौरान यूपी की एससी-एसटी व पिछड़ी जाति के महिलाओं को आरक्षित पदों पर होने वाले चुनाव में उम्मीदवार होने से वंचित होने से लोगों में गुस्सा है।

क्या कहते हैं सदर प्रखंड के बीडीओ

सदर प्रखंड के बीडीओ विनीत कुमार ने बताया कि पंचायत चुनाव नियमावली के अनुसार यूपी मायके और बिहार में ससुराल वाली एससी-एसटी व पिछड़ी जाति के महिलाओं को आरक्षण का लाभ नहीं मिल सकेगा। हालांकि ऐसा सिर्फ इसलिए है कि यूपी से निर्गत जाति प्रमाणपत्र बिहार पंचायत चुनाव के आरक्षित पदों के लिए वैध नहीं है। जबकि उन्हें सामान्य पदों पर लड़ने का पूरा अधिकार है। यदि महिलाएं उम्मीदवार आरक्षण का लाभ लेना चाहती हैं तो उन्हें यूपी से निर्गत अपने जाति प्रमाण के आधार पर बिहार से भी उसी कैटेगरी का जाति प्रमाणपत्र हासिल करना होगा।

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