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नूरसराय, हरनौत व बिन्द में एमबीबीएस से अधिक आयुष डॉक्टर रोगियों का कर रहे इलाज

नूरसराय, हरनौत व बिन्द में एमबीबीएस से अधिक आयुष डॉक्टर रोगियों का कर रहे इलाजनूरसराय, हरनौत व बिन्द में एमबीबीएस से अधिक आयुष डॉक्टर रोगियों का कर रहे इलाजनूरसराय, हरनौत व बिन्द में एमबीबीएस से अधिक...

नूरसराय, हरनौत व बिन्द में एमबीबीएस से अधिक आयुष डॉक्टर रोगियों का कर रहे इलाज
हिन्दुस्तान टीम,बिहारशरीफFri, 25 Mar 2022 10:51 PM
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नूरसराय, हरनौत व बिन्द में एमबीबीएस से अधिक आयुष डॉक्टर रोगियों का कर रहे इलाज

आयुष डॉक्टरों की तैनाती हेल्थ एंड वेलनेस व ग्रामीण अस्पतालों में

बिहारशरीफ, हिन्दुस्तान टीम।

लोगों के इलाज व अस्पतालों पर बढ़ते दबाव को कम करने के लिए आयुष डॉक्टरों की सेवा ली जा रही है। नूरसराय, हरनौत व बिन्द प्रखंड में एमबीबीएस डॉक्टर से अधिक आयुष डॉक्टर ही रोगियों का इलाज कर रहे हैं। हालांकि, आयुष डॉक्टरों की तैनाती ग्रामीण अस्पतालों या हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर की गयी है। लेकिन, कभी कभार उनकी सेवा पीएचसी या अन्य अस्पतालों में भी ली जाती है।

हरनौत के हेल्थ मैनेजर राजेश कुमार ने बताया कि गोखुलपुर व गोनावां में आयुष डॉक्टर हैं। वहां प्रतिदिन औसतन ये डॉक्टर डेढ़ सौ रोगियों का इलाज कर रहे हैं। वहीं खरथुआ में आयुष डॉक्टर 70 से 80 रोगियों का इलाज करते हैं। हैरत करने वाली बात है कि हरनौत अस्पताल में भी रोजाना लगभग डेढ़ सौ रोगियों का ही इलाज किया जा रहा है। जबकि, वहां एमबीबीएस डॉक्टर की तैनाती है।

138 रोगियों में से 86 का इलाज किया आयुष डॉक्टर ने

नूरसराय अस्पताल में एक आयुष, तीन एमबीबीएस व एक दंत चिकित्सक हैं। यहां रोजाना ओपीडी में आयुष व एमबीबीएस डॉक्टरों की तैनाती रहती है। गत चार दिनों में नूरसराय अस्पताल में 283 मरीजों का इलाज हुआ। 22 व 24 मार्च को आयुष व एमबीबीएस डॉक्टरों की तैनाती थी। इन दो दिनों में यहां 138 रोगी इलाज के लिए आए। इनमें से 86 रोगियों का इलाज आयुष डॉक्टर ने की। महज 52 रोगियों का इलाज अन्य डॉक्टरों ने की।

बिन्द के चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. उमाकांंत प्रसाद ने कहा कि यहां एक आयुष डॉ. धर्मेन्द्र प्रसाद कार्यरत हैं। वे स्कूल व आंगनबाड़ी केन्द्रों के बच्चों की स्वास्थ्य जांच करते हैं। आंगनबाडी केन्द्र ताजनीपुर में 46, मदनचक में 44 व सतकपुर में 36 समेत 126 बच्चों का इलाज किया। अस्पताल के बाहर ही स्वास्थ्य सेवाओं में उनकी सहभागिता ली जाती है। अन्य प्रखंडों में ग्रामीण अस्पतालों में ही वे सेवा दे रहे हैं।

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