पुनौरा धाम से डोला निकालकर ले जाया गया हलेश्वर स्थान
जानकी जन्मोत्सव के पूर्व दिवस पर परंपरागत ढंग से निकलनेवाली पंचकोसी परिक्रमा जानकी डोला को वैदिक मंत्र के साथ जानकी कुंड से जगदगुरु रामभद्राचार्य ने महंथ कौशल किशोर दास और उपस्थित संतों के सानिध्य...
जानकी जन्मोत्सव के पूर्व दिवस पर परंपरागत ढंग से निकलनेवाली पंचकोसी परिक्रमा जानकी डोला को वैदिक मंत्र के साथ जानकी कुंड से जगदगुरु रामभद्राचार्य ने महंथ कौशल किशोर दास और उपस्थित संतों के सानिध्य में शुरू कराया। संत अपने कंधों पर जानकी जी का डोला को लेकर जानकी मंदिर पुनौरा धाम से पुडरिक ऋषि आश्रम, पंच मंदिर , खैरवा बाल हनुमान मंदिर होते हलेश्वर स्थान पहुंचे। डोला के साथ- साथ विभिन्न अलग- अलग रथों पर क्रमश: राजा जनक द्वारा पूजित शिव लिंग फिर हल परिचालन के दौरान धरती के गर्भ से प्रकट होती जानकी , नवजात जानकी को सुनैना माता को समर्पित करते राजा जनक, जन्मकाल के बाद जानकी का जयकारा लगाते संतजन की अलग- अलग प्रतिमाएं जानकी डोला के साथ परिक्रमा में चल रहे थे। विविध वाद्य यंत्रों और गाजे- बाजे के साथ जय सीताराम जय सीताराम का जप करते संत श्रद्धालु स्त्री- पुरुष पंचकोसी परिक्रमा रथयात्रा की शोभा बढ़ा रहे थे। रास्ते में जगह- जगह लोग पुष्प वर्षा कर डोला यात्री का अभिनंदन करते नजर आए। वहीं हलेश्वर स्थान से मंदिर पर न्यास समिति के सचिव सुशील कुमार, बगहीं धाम के संत द्वय रामाज्ञा दास , सुबोध दास जी महाराज, रामउदार दास, पुरनहिया महंथ समेत दर्जनों मठ मंदिर के महंथों ने जानकी डोला का स्वागत किया। इसमें विशेष रूप से विधान पार्षद देवेशचंद्र ठाकुर, पूर्व मंत्री सुनील कुमार पिंटू, सूर्यदेव राय और विभिन्न दलों के पदाधिकारी और नेता जानकी डोला का स्वागत और अभिनंदन किए। मंदिर परिसर में जन सहयोग, मंदिर सेवा न्यास समिति, मां सिया मानस संस्थान, मां जानकी जनसेवा ट्रस्ट आदि के सहयोग से तैयार महाप्रसाद पांच हजार लोगों को ग्रहण कराया गया। महाप्रसाद के बाद हलवा भी दिया गया। भोजन विश्राम के बाद डोला कपिल मुनि आश्रम कपरौर, भवदेपुर, किरण चौक होते नगर की परिकमा करते पुन: जानकी कुंड पहुंचा, जहां उसकी महाआरती के बाद डोला को प्रतिष्ठित किया गया।