कीट से बचाव लिए धान पर दवा का छिड़काव जरूरी
सूखे की स्थिति में धान की फसल पर कीट व रोग का प्रकोप शुरू हो गया है। जिससे धान की फसल पीले पड़ने लगे हे। कृषि वैज्ञानिकों ने फसल को रोग से बचाव के...

सूखे की स्थिति में धान की फसल पर कीट व रोग का प्रकोप शुरू हो गया है। जिससे धान की फसल पीले पड़ने लगे हे। कृषि वैज्ञानिकों ने फसल को रोग से बचाव के लिए सलाह दी है।
वैज्ञानिक सच्चिदानन्द प्रसाद ने बताया कि पानी के अभाव में धान की फसल पर कीट एवं रोग का प्रकोप बढ़ रहा है। बैक्टीरियल लीफ ब्लाईट, जीवाणु झुलसा रोग लगने पर पत्तिया दोनों किनारे या एक किनारे से सूखने लगती है। पत्तियां तांबे के रंग जैसा दिखता है। ऐसे में किसान स्ट्रेप्टो सायक्लीन 5 ग्राम के साथ कॉपर ऑक्सी क्लोराइड 2 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करें।
पत्ती पर हरे भूरे रंग का धब्बे बनने पर सर्प के केंचुल जैसे दिखाई पड़े तो हेक्साकोनाजोल 2 एमएल प्रति लीटर पानी की दर से प्रयोग कर सकते हैं। जब धान 50 से 60 दिन का हो जाता है तब झोंका रोग दिखाई देता है। इसमें पत्तियों पर आंख या नाव के आकार के धब्बे बन जाते हैं। पत्तियां झुलस जाय तो प्रोपिकोनाजोल 25 ईसी का एक एमएल प्रति लीटर पानी की दर से प्रयोग करें।
