जिले में आयी बाढ़ के कहर से किसानों की टूटी कमर
जिले में आयी विनाशकारी बाढ़ की कहर से किसानों की कमर टूट गई है। लगभग 35 हजार हेक्टयर में लगी धान की फसल व बिचरा बाढ़ के पानी में डूब गया है। इससे किसानों को लाखों का नुकसान होना तय है। नये इलाके में...
जिले में आयी विनाशकारी बाढ़ की कहर से किसानों की कमर टूट गई है। लगभग 35 हजार हेक्टयर में लगी धान की फसल व बिचरा बाढ़ के पानी में डूब गया है। इससे किसानों को लाखों का नुकसान होना तय है। नये इलाके में बाढ़ का पानी फैलने की सिलसिला जारी है। बागमती समेत अन्य नदियां उफनाने से मेजरगंज, सुप्पी, बैरगनिया, बेलसंड, परसौनी, परिहार, सुरसंड, बथनाहा, रीगा प्रखंडों में शत प्रतिशत धान की फसल पानी में डूबी है। सुप्पी के किसान निवासी मुकेश सिंह व सुशील राउत बताया कि विगत आठ दिनों से धान की फसल पानी में डूबी है, इसे बचने का कोई उम्मीद नहीं है। क्षेत्र में धान व गन्ने की खेती होती है। गन्ने को छोड़ धान व साग-सब्जी की फसल बर्वाद हो गई है। इधर, बुढ़नद में आयी बाढ़ से पुपरी व बाजपट्टी में अधिकांश पंचायत बाढ़ की चपेट में है। इलाके में धान के अलावा साग-सब्जी की खेती सामान रूप से होती है। इधर, लखनदेई नदी में बाढ़ आने से डुमरा व रून्नीसैदपुर के दर्जनों गांव की फसल डूब गई है। डुमरा के रंजीतपुर पूर्वी, पश्चिमी, बेरबास, मुरादपुर पंचायत की फसल पानी में डूब गई है। बाढ़ का पानी नये इलाके में फैल रहा है। इससे बाजितपुर, हरिछपरा, लगमा गांव में साग-सब्जी के अलावा धान की फसल पूरी तरह डूब गई है। किसान बिरेंद्र कुमार ने बताया कि बाढ़ के पानी में धान व सब्जी की फसल डूब गई है। खासकर भिंडी, लौकी, बैगन, घिरा आदि की फसल सुख जाएगी। पहले किसान बारिश के लिए तरस रहे थे। बारिश हुई तो बाढ़ आ गई। डीएओ अनिल कुमार यादव ने बताया कि सिंचित क्षेत्र के लिए 13.5 हजार और असिंचित क्षेत्र के लिए 6.5 हजार मुआवाजा का प्रावधान है।