
नेपाल में आंदोलन और कर्फ्यू से सीमावर्ती बाजारों का करोड़ों का नुकसान
संक्षेप: नेपाल में जारी आंदोलन और कर्फ्यू का असर सुरसंड जैसे भारतीय सीमावर्ती बाजारों पर पड़ा है। नेपाल के ग्राहक अब यहां नहीं आ रहे हैं, जिससे व्यापारियों को करोड़ों का नुकसान हो रहा है। कपड़ा, किराना, आभूषण,...
सुरसंड। नेपाल में जारी आंदोलन और कर्फ्यू का असर अब सीमावर्ती भारतीय इलाकों में देखा जा रहा है। विशेषकर सुरसंड जैसे प्रमुख बाजार, जो नेपाल के ग्राहकों पर निर्भर रहते हैं, वहां पिछले कई दिनों से सन्नाटा पसरा हुआ है। नेपाल के जलेश्वर, जनकपुर समेत कई क्षेत्रों में हुए जेलब्रेक और कैदियों के फरार होने के बाद हालात बेकाबू हो गए। इससे नेपाल प्रशासन ने कर्फ्यू लागू कर दिया है, जबकि भारतीय सीमा पर एसएसबी और पुलिस ने सुरक्षा कड़ी कर दी है। इसी कारण नेपाल के लोग भारतीय क्षेत्र में प्रवेश करने से परहेज कर रहे हैं। नेपाल के नागरिकों में यह भय गहराया हुआ है कि भारतीय क्षेत्र में प्रवेश के दौरान यदि वे एसएसबी अथवा पुलिस के हत्थे चढ़ गये तो उन्हें बेवजह कानूनी पचड़ों में फंसना पड़ सकता है।

सुरक्षा एजेंसियां उनसे यह साबित करने की मांग कर सकती हैं कि वे नेपाल की जेलों से फरार कैदी नहीं हैं। ऐसे में आम नेपाली नागरिक जोखिम उठाने के बजाय अपने घरों में ही रहने और सीमापार खरीदारी से दूरी बनाए हुए हैं। इस परिस्थिति का सीधा असर भारतीय व्यापार पर पड़ा है। सीमावर्ती बाजार सुरसंड, जो नेपाल के जनकपुर, जलेश्वर और आसपास के गांवों के लिए प्रमुख व्यापारिक केंद्र माना जाता है, वहां कारोबार पूरी तरह प्रभावित हो गया है। सुरसंड में आमतौर पर हजारों नेपाली ग्राहक रोजाना कपड़ा, किराना, दवा, खाद्यान्न और आभूषण की खरीदारी के लिए आते हैं। लेकिन आंदोलन और कर्फ्यू के कारण उनका आना लगभग बंद हो चुका है। सुरसंड के एक कपड़ा शोरुम के मालिक विमलेश कुमार ने बताया कि नेपाली ग्राहकों के नहीं आने से पिछले पांच दिनों में ही कपड़ा व्यवसाय को दो से तीन करोड़ का नुकसान हुआ है। इसी तरह अन्य व्यवसायियों ने बताया कि एक से डेढ़ करोड़ रुपये का किराना सामान, लगभग एक करोड़ का आभूषण व्यापार और करोड़ों रुपये का दवा व खाद्यान्न का धंधा ठप पड़ा है। व्यापारी वर्ग का कहना है कि यदि हालात जल्द नहीं सुधरे तो त्योहारों से पहले का पूरा सीजन चौपट हो जाएगा। गौरतलब है कि सुरसंड और आसपास का बाजार नेपाल के दर्जनों गांवों का प्रमुख केंद्र है। यहां से लोग अपनी दैनिक आवश्यकताओं से लेकर त्योहारों की खरीदारी तक करते हैं। नेपाली ग्राहकों के अभाव में न केवल व्यापारी, बल्कि रिक्शा चालक, मजदूर और छोटे दुकानदार भी प्रभावित हो रहे हैं। स्थानीय व्यापारियों ने उम्मीद जताई है कि नेपाल में स्थिति सामान्य होने और कर्फ्यू हटने के बाद धीरे-धीरे बाजार में रौनक लौटेगी। लेकिन फिलहाल, आंदोलन और जेलब्रेक के बाद की घटनाओं से उपजे डर और कर्फ्यू की सख्ती ने भारतीय सीमावर्ती बाजारों की आर्थिक गतिविधियों पर गहरा असर डाला है।

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