ट्रिपल ड्रग थेरेपी से फाइलेरिया का उन्मूलन होगा आसान
शिवहर। हिन्दुस्तान प्रतिनिधि आइईडीए कार्यक्रम की सफलता के लिए जिला स्वास्थ्य समिति के सभागार...
शिवहर। हिन्दुस्तान प्रतिनिधि
आइईडीए कार्यक्रम की सफलता के लिए जिला स्वास्थ्य समिति के सभागार में सोमवार को ट्रेनिंग ऑफ ट्रेनर का आयोजन हुआ। जिसकी अध्यक्षता सिविल सर्जन डॉ. राजदेव प्रसाद सिंह ने की। मौके पर सिविल सर्जन ने कहा कि शिवहर जिले को फाईलेरिया मुक्त बनाने के लिए जिले में 21 दिसंबर से आइडीए कार्यक्रम की शुरूआत हो रही है। इसमें ट्रिपल ड्रग थेरेपी के तहत डीइसी, अलवेंडाजोल, और आईवरमेक्टिन की गोली खिलाई जाएगी। यह थेरेपी फाइलेरिया रोग की जड़ पर गहरा प्रहार करेगा। इसके सेवन से व्यक्ति के शरीर में फाइलेरिया के पारासाइट्स के प्रजनन और संक्रमण को कम किया जा सकेगा। जिला भीबीडीसी पदाधिकारी डॉ केके सिंह ने कहा कि फाईलेरिया पर प्रहार के लिए पहले भी एमडीए कार्यक्रम चलाया जा रहा था। जिसके तहत डीईसी और अलवेंडाजोल की दवा खिलाई जाती थी। इसमें एक और दवा आइवरमेक्टिन जोड़ा गया है, जो कोशिका से वायरस को न्यूक्लियस में पहुंचने से रोक देती है। ऐसे में वायरस मरीज के डीएनए से मिलकर मल्टीप्लाय नहीं कर पाता है।
ट्रेनिंग ऑफ ट्रेनर का हुआ आयोजन
भीबीडीसी मोहन कुमार ने कहा कि आइडीए कार्यक्रम की सफलता और रूप रेखा बनाने के लिए ट्रेनिंग ऑफ ट्रेनर का आयोजन किया गया। इसमें प्रत्येक पीएचसी के चिकत्सिा पदाधिकारी, बीसीएम, बीएचएम एवं केटीएस के साथ माइक्रोप्लान पर चर्चा की गयी। जल्द ही ड्रग सुपरवाइजर यानि आशा फैसिलिटेटर उसके बाद आशा दीदीयों का प्रशक्षिण होगा। उनको यह बात खास तौर पर बतायी जाएगी कि दवा स्वास्थ्यकर्मियों के सामने ही खिलानी है। भीबीडीसी मोहन कुमार ने कहा कि जिले में नाईट ब्लड सर्वे का कार्य चल रहा है। जिसमें रात के नौ बजे के बाद व्यक्ति का ब्लड सैंपल लिया जाता है। ऐसा इसलिए कि फाइलेरिया के पारासाइट रात में ही ज्यादा एक्टिव होते हैं। यह नाईट ब्लड सर्वे का कार्य स्वास्थ्य विभाग एवं केयर इंडिया के संयुक्त दल के द्वारा किया जा रहा है। अभी तक जिले में 976 मरीजों की सूची उपलब्ध है।
डोज पोल के तहत दवा
भीबीडीसी मोहन कुमार ने कहा कि चूंकि यह एमडीए से थोड़ा अलग है इसलिए इसके सेवन की उम्र भी अलग है। इस तीनों दवाओं को 5 वर्ष के उपर वैसे बच्चों को देना है जिनकी लंबाई 90 सेमी या उससे ज्यादा हो। अगर कोई बच्चा 5 वर्ष का है और उसकी लंबाई डोज पोल के मुताबिक नहीं है तो उसे वह दवा नहीं खिलाई जाएगी। आइडीए कार्यक्रम के तहत 2 वर्ष से कम उम्र, गर्भवती, महिला, गंभीर रोग से ग्रसित व्यक्ति को यह दवा नहीं खिलानी है। वहीं दो से 5 वर्ष के बच्चे कों आईवरमेक्टिन नहीं देना है। मौके पर सिविल सर्जन डॉ राजदेव प्रसाद सिंह, डीभीबीडीसीओ डॉ. केके सिंह, भीबीडीसी मोहन कुमार, सभी पीएचसी के चिकत्सिा पदाधिकारी, बीसीएम, बीएचएम, केयर के डीपीओ ब्रजेन्द्र प्रताप सिंह, केयर के एमडीए कोओर्डिनेटर, पीसीआई के प्रतिनिधि समेत अन्य लोग मौजूद थे।
