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बक्सर के लाल ने बिहार की परिकल्पना को किया साकार

टो सुधार के तहत 1910 ई. में प्रथम चुनाव कराया गया। जिसमें उन्होंने चार महाराजाओं को हराकर बंगाल विधान परिषद की ओर सेटो सुधार के तहत 1910 ई. में प्रथम चुनाव कराया गया। जिसमें उन्होंने चार महाराजाओं को...

बक्सर के लाल ने बिहार की परिकल्पना को किया साकार
हिन्दुस्तान टीम,बक्सरTue, 22 Mar 2022 11:50 AM
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बक्सर। निज संवाददाता

बिहार को अलग राज्य का दर्जा दिलाने में डॉ. सच्चिदानंद सिन्हा की अहम भूमिका रही है। बक्सर जिला अंतर्गत डुमरांव अनुमंडल का मुरार गांव डॉ.सिन्हा की जन्म भूमि है। उनका महत्वपूर्ण योगदान न केवल स्वतंत्रता संघर्ष में रहा है, बल्कि उनकी परिकल्पना व अथक प्रयास के बदौलत 22 मार्च 1912 को इस नए प्रांत का जन्म भी हुआ था।

मार्ले मिंटो सुधार के तहत 1910 ई. में प्रथम चुनाव कराया गया। जिसमें उन्होंने चार महाराजाओं को हराकर बंगाल विधान परिषद की ओर से केन्द्रीय विधान परिषद में विधि सदस्य के रूप में नियुक्त हुए। इसके बाद 1911 में दिल्ली दरबार में जार्ज पंचम के आगमन पर केन्द्रीय परिषद के अधिवेशन हुआ। जिसमें डॉ.सिन्हा ने जोरदार ढंग से पृथक बिहार की आवाज बुलंद की थी। लिहाजा दिल्ली दरबार द्वारा बिहार व उड़ीसा को मिलाकर एक नया प्रांत की घोषणा की गई।

बिहार राज्य की मांग

मुगल शासन की समाप्ति के दौरान बिहार बंगाल के नवाबों के अधीन चला गया था। इससे पहले बिहार का अस्तित्व अलग सूबा के रूप में था। लार्ड कर्जन द्वारा 1905 ई.में बंगाल को पूर्वी व पश्चिमी भाग में बांटने पर इसका विरोध किया गया तथा सर्व प्रथम बिहार राज्य की मांग उठाई गई। तब डॉ.सिन्हा ने अखबरों में बंगाल के वैकल्पिक विभाजन की की रूपरेखा देते हुए लेख लिखा था। जिसका प्रकाशन 1906 में पार्टिशन ऑफ बिहार व सेपरेशन ऑफ बिहार में हुए थे।

बिहार टाइम्‍स के माध्यम से चलाई मुहिम

बिहार को बंगाल से अलग करने की मुहिम को तेज करने के लिए डॉ. सिन्हा ‘द बिहार टाइम्स के नाम से अंग्रेजी अखबार निकाले। इसके पहले अखबारों में बंगाली पत्रकारों का ही दबदबा था। पत्र-पत्रिकाओं में बंगाली पत्रकार बिहार के हितों की बात तो करते थे, लेकिन अलग राज्य का दर्जा देने के खिलाफ थे। डॉ. सिन्हा के इनके प्रयास से गर्वनर जनरल लॉर्ड हार्डिंग ने 22 मार्च 1912 को दिल्ली दरबार में अलग बिहार एवं उड़ीसा प्रांत के गठन की घोषणा की।

गांव में हुई थी प्राथमिक शिक्षा

डॉ. सिन्‍हा का जन्‍म तत्‍कालीन शाहाबाद व मौजूदा बक्सर जिले के डुमरांव अनुमंडल अंतर्गत चौंगाईं प्रखंड के मुरार गांव में 10 नवंबर 1871 में हुआ था। उनके पिता बख्शी शिव प्रसाद सिन्हा डुमरांव महाराज के मुख्य तहसीलदार थे। उनकी प्राथमिक शिक्षा-दीक्षा गांव में हुई थी। जिला स्कूल आरा से डॉ. सिन्हा ने मैट्रिक की परीक्षा पास की तथा 18 साल की उम्र में 26 दिसंबर 1889 को वे बैरिस्टर की उच्च शिक्षा के लिए इंग्लैंड चले गए। वहां से लौटने पर इलाहाबाद हाईकोर्ट में 10 साल तक प्रैक्टिस की। फिर उन्होंने इंडियन पीपुल्स एवं हिंदुस्तान रिव्यू नामक समाचार पत्रों का कई वर्षों तक संपादन किया और पत्रकारिता के माध्यम से उन्होंने पृथक बिहार के लिए मुहिम छेड़ दिया। वे संविधान सभा के प्रथम अध्यक्ष (कार्यकारी) थे।

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