जीरो टिलेज विधि व बहुफसलीय खेती समय की मांग : डॉ.दीपक
कृषि के बदलते परिवेश में जीरो टिलेज विधि एवं बहुफसलीय कृषि प्रणाली समय की मांग है। वर्तमान में जीरो टिलेज विधि से गेहूं व मक्का की बुआई कृषि को लाभकारी बनाने का बेहतर विकल्प है। बीसा-सीमिट-सीकैफ के...
कृषि के बदलते परिवेश में जीरो टिलेज विधि एवं बहुफसलीय कृषि प्रणाली समय की मांग है। वर्तमान में जीरो टिलेज विधि से गेहूं व मक्का की बुआई कृषि को लाभकारी बनाने का बेहतर विकल्प है। बीसा-सीमिट-सीकैफ के बैज्ञानिक डॉ. दीपक ने बताया कि जीरो टिलेज यानी शून्य जुताई। यह विधि इन दिनों किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है। यह खेती की लागत को कम कर बेहतर मुनाफा दे रहा है। वही बहुफसली कृषि प्रणाली के तहत एक से अधिक फसलों की खेती कर खेती से बेहतर लाभ कमाया जा सकता है।
उन्होंने बताया कि बीसा-सीमिट-सीकैफ की एक परियोजना के तहत इसका सफल परिक्षण कई गांवों में चल रहा है। बीसा फार्म में भी अरहर की पंक्ति के मध्य गेहूं की बुआई जीरो टिलेज मशीन से की जा रही है। इससे पूर्व इसमे जीरो टिलेज मशीन से सोयाबीन की बुआई की गई थी। उन्होंने बताया कि सोयाबीन की कटनी के बाद बगैर जुताई के अरहर की मेड़ पर गेहूं की बुआई की जाती है। इस तरह किसान एक खेत से बगैर जुताई के तीन फसल ले सकते हैं। इससे उत्पादन के साथ किसान बेहतर लाभ भी कमा सकते हैं।