Urgent Need for Food Safety Compliance in Samastipur Amid Rising Fake Food Sales मिलावटी मिठाइयों व खाद्य पदार्थों पर लगे रोक, नियमित कराई जाए जांच, Samastipur Hindi News - Hindustan
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मिलावटी मिठाइयों व खाद्य पदार्थों पर लगे रोक, नियमित कराई जाए जांच

समस्तीपुर जिले में खाद्य सुरक्षा अधिनियम का सही अनुपालन अत्यंत जरूरी हो गया है। नकली और मिलावटी खाद्य पदार्थों की बिक्री तेजी से बढ़ रही है, जिससे लोग अनजाने में जहरीले पदार्थों का सेवन कर रहे हैं।...

Newswrap हिन्दुस्तान, समस्तीपुरFri, 12 Sep 2025 11:51 PM
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मिलावटी मिठाइयों व खाद्य पदार्थों पर लगे रोक, नियमित कराई जाए जांच

जिले में खाद्य सुरक्षा अधिनियम का सही अनुपालन अब अत्यंत जरूरी हो गया है। जिले के बाजारों में नकली और मिलावटी खाद्य पदार्थों की बिक्री तेजी से बढ़ रही है। आलम यह है कि उपभोक्ता अनजाने में जहर जैसे खाद्य पदार्थों का सेवन करने को मजबूर हैं। शहर से लेकर ग्रामीण इलाकों तक मिलावटखोर सक्रिय हैं और विभागीय उदासीनता के कारण उनकी कमाई का धंधा दिन-ब-दिन फल-फूल रहा है। हिंदुस्तान अखबार द्वारा आयोजित बोले समस्तीपुर कार्यक्रम में लोगों ने खुलकर नकली और मिलावटी खाद्य पदार्थों की बिक्री पर रोक लगाने को लेकर चर्चा की। संजीव कुमार और पिंटू कुमार ने बताया कि जिले के विभिन्न हाट-बाजारों और दुकानों में तेल, घी, मसाले, पनीर, मिठाई और अन्य दैनिक उपयोग के खाद्य पदार्थों में बड़े पैमाने पर मिलावट हो रही है।

आधुनिक पैकेजिंग देखकर असली और नकली उत्पादों में फर्क करना बेहद मुश्किल हो गया है। नतीजा यह है कि लोग हानिकारक रसायनों से तैयार वस्तुएं खरीदने और सेवन करने के लिए विवश हैं। चंदू कुमार और सुधीर कुमार ने बताया की प्रशासनिक कार्रवाई केवल खानापूर्ति तक सीमित रहती है। छापेमारी और सैंपलिंग का दावा तो किया जाता है, लेकिन दोषियों के खिलाफ ठोस दंडात्मक कदम नहीं उठाए जाते। यही वजह है कि मिलावटखोरों के हौसले और बुलंद होते जा रहे हैं। साथ ही लोगों के स्वास्थ्य के साथ लगातर खिलवाड़ हो रहा है। इसे लेकर प्रशासन को भी गंभीर होने की जरूरत है। गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ा : चर्चा के दौरान उगण्र और जैकी कुमार ने बताया कि लंबे समय तक नकली और मिलावटी उत्पादों का सेवन लीवर, किडनी, हृदय, फेफड़े और पाचन तंत्र को बुरी तरह प्रभावित करता है। अस्पतालों में ऐसे मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है, जिनकी बीमारी का मूल कारण जहरीले तत्वों से युक्त खाद्य पदार्थ हैं। वहीं डॉ. आरके सिंह की मानें तो यदि स्थिति पर नियंत्रण नहीं पाया गया, तो यह समस्या एक जनस्वास्थ्य आपदा का रूप ले सकती है। मिलावटी दूध से बनी मिठाइयों के खाने से किडनी पर बुरा प्रभाव पड़ता है। हड्डी कमजोर होती है तथा बच्चों में कैल्शियम की कमी हो जाने के कारण उनका शारीरिक विकास बाधित हो जाता है। प्रशासन को समय-समय पर ग्रामीण इलाकों में छापेमारी कर दूध में मिलावट करने वालों अथवा उसकी पेराई कर मलाई निकालने वालों पर शिकंजा कसना चाहिए। रमेश कुमार और नवीन कुमार नेे बताया की खाद्य सुरक्षा अधिनियम में स्पष्ट प्रावधान है कि प्रत्येक जिले में नियमित रूप से सैंपलिंग और जांच की जाए तथा दोषियों पर सख्त कार्रवाई हो। इसमें जुर्माने से लेकर जेल तक की सजा का प्रावधान है। लेकिन समस्तीपुर में इस कानून का पालन बेहद लचर है। मिली जानकारी के अनुसार, समस्तीपुर जिले में खाद्य निरीक्षक का पद भी खाली है, दरभंगा के खाद्य निरीक्षक को समस्तीपुर का अतिरिक्त प्रभार है। समस्तीपुर के अलावे वह मधुबनी के भी अतिरिक्त प्रभार में हैं। ऐसे हालात में नियमित जांच और सैंपलिंग असंभव हो जाती है।

बोले जिम्मेदार-

यह एक गंभीर मामला है। जिला प्रशासन नियमित रूप से छापेमारी अभियान तो चलाता ही है, शीघ्र ही विशेष अभियान भी चलाकर मिलावटखोरों को चिन्हित कर उनपर कठोर विधि सम्मत कार्रवाई की जाएगी। आम जनता को सुरक्षित खाद्य सामग्री उपलब्ध कराना हमारी प्राथमिकता है। -रोशन कुशवाहा, डीएम, समस्तीपुर

बोले विशेषज्ञ-

आज ज्यादातर मिलावटी सामान और मसाले मिल रहे हैं, जो सीधे लीवर, किडनी और पाचन तंत्र को नुकसान पहुंचा रहे हैं। ऐसे मरीजों की संख्या बढ़ रही है। यदि तुरंत सख्त कार्रवाई नहीं हुई तो यह गंभीर जनस्वास्थ्य संकट बन सकता है। लोगों को भी खानपान को सर्तकता बरतनी चाहिए। -डाॅ. आरके सिंह

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