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दो की मौत, एक दर्जन संक्रमित, पर नहीं आयी जांच टीम

प्रखंड के रोहुआ पूर्वी पंचायत में कोरोना संक्रमण अव्पना पांव पसार चुका है। यहां दो लोगों की कोरोना से मौत हो चुकी हे जबकि संक्रमित होने के बाद एक...

दो की मौत, एक दर्जन संक्रमित, पर नहीं आयी जांच टीम
हिन्दुस्तान टीम,समस्तीपुरSun, 16 May 2021 10:01 PM
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वारिसनगर। निज सवांददाता

प्रखंड के रोहुआ पूर्वी पंचायत में कोरोना संक्रमण अव्पना पांव पसार चुका है। यहां दो लोगों की कोरोना से मौत हो चुकी हे जबकि संक्रमित होने के बाद एक दर्जन से अधिक लोग होम आइसोलेशन में हैं। लेकिन कोरोना की जांच के लिए अब तक स्वास्थ्य विभाग की टीम नहीं आयी है। दलित समुदाय की घनी आबादी वाले इस पंचायत में स्वास्थ्य उपकेन्द्र भी नहीं है। इससे लोग जैसे तैसे अपना इलाज कराने को विवश हैं। ग्रामीणों की शिकायत है कि स्वास्थ्य विभाग ने गांव के लोगों की अब तक कोई खोज खबर नहीं ली है। इससे सभी भगवान भरोसे रहने को विवश हैं। यहां के लोगों को जांच या इलाज के लिए प्रख्ंड मुख्यालय स्थित पीएचसी या फिर जिला मुख्यालय स्थित सदर अस्पताल जाना पड़ता है। जहां जाने में होने वाली कठिनाई के कारण लोग जाने से परहेज करते हैं। ग्रामीणों ने बताया कि यहां दो लोगों की कोरोना की चपेट में आने से मौत हो चुकी है। जबकि एक दर्जन से अधिक लोग अपने घर के क्वाटीन हैं। ग्रामीणों के अनुसार, कोरोना के टीकाकरण के लिए एक दिन कैम्प लगाया गया था लेकिन उसका भी प्रचार प्रसार नहीं किया गया था, जिससे कम संख्या में ही लोगों ने टीका लिया। मगर कोविड की जांच के लिए एक दिन भी कैम्प नहीं लगाया गया। शुरुआती लक्षण दिखने पर कुछ संपन्न परिवार के लोगों ने सदर अस्पताल जाकर अपनी जांच करायी थी। लेकिन मगर लॉकडाउन में सवारी गाड़ी के परिचालन पर रोक लगने के बाद लोगों का आवागमन मुश्किल हो गया है। एक तो सवारी गाड़ी मिलती नहीं है और जो मिलती है वह आवश्कता से इतना अधिक भाड़ा मांगती है कि उसकी सवारी करना सबके वश से बाहर हो गया है। इससे कोरोना का लक्षण दिखने के बावजूद लोग जांच कराने के बजाय घरेलू उपचार कराने को मजबूर है। ग्रामीणों का कहना है कि टीकाकरण की तरह जांच शिविर भी लगाया जाता तो कोरोना संक्रमण पर काफी हद तक काबू पाया जा सकता था। इस संबंध में मुखिया चंद्रभूषण ठाकुर ने बताया कि पंचायत में करोड़ों की लागत से बना पंचायत सरकार भवन है। जहां कोरोना जांच के लिए कैंप लगाया जा सकता है। इससे गरीब व दलितों को जांच कराने के लिए जिला मुख्यालय या प्रखंड मुख्यालय जाने की समस्या भी दूर हो सकती है। इस संबंध में वे स्वास्थ्य विभाग को अवगत करा चुके हैं, लेकिन उस पर अमल नहीं किया जा रहा है।

मौत के बाद लोग बना रहे दूरी

गांव में किसी अन्य बीमारी से मरने पर भी मृतक के परिवार से लोग दूरी बना लेते हैं। उन्हें यह भय सताता रहता है कि कहीं कोरोना से ही मौत तो नहीं हुई है। बताया गया है कि गांव में तीन चार लोगो कीं दूसरी बीमारी से मौत हुई है, मगर आसपास के लोग मृतक के दरवाजे पर जाने से परहेज करते हैं।

लॉकडाउन से बंद हो गयी कई की आजीविका

लॉकडाउन से इस गांव के दलित व महादलित के कई परिवार की आजीविका बंद हो गयी है। जिससे सभी कुछ पूंजी से किसी तरह परिवार का भरण पोषण कर रहे हैं। वे इस डर से बाहर नहीं निकलने है कि कहीं कोरोना की चपेट न आ जाय। दूसरे लॉकडाउन के कारण काम भी मिलना बंद हो गया है।

टीका के लिए जाना पड़ता है प्रखंड मुख्यालय

गांव में एक बार टीकाकरण के लिए कैंप लगा, लेकिन 18 से 44 वर्ष के लिए लोगों के लिए टीकाकरण के लिए कैम्प नहीं लगा है। इससे इस आयु वर्ग के लोगों को टीका लेने के लिए प्रखंड मुख्यालय जाना पड़ता है। लोगों का कहना था कि पंजीकरण करने के बाद प्रखंड स्थित पंचायत सरकार भवन गोही पर वैक्सीन दी जाती है। जहां भीड़ रहने के कारण लौट जाना पड़ता है।

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