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वीडियो, किरोड़ी अदालत में मौके पर सुनाई गई ‘सजा

आज के इस दौर में भी समस्तीपुर में कबीलाई संस्कृति जिंदा है। जहां उसकी अपनी अदालत होती है और अपना फैसला। रविवार को जिले के शंभूपट्टी में किरोड़ी समाज की जन अदालत में कई ऐसे फैसले सुनाए गए जो...

आज के इस दौर में भी समस्तीपुर में कबीलाई संस्कृति जिंदा है। जहां उसकी अपनी अदालत होती है और अपना फैसला। रविवार को जिले के शंभूपट्टी में किरोड़ी समाज की जन अदालत में कई ऐसे फैसले सुनाए गए जो कबीलाई...
1/ 2आज के इस दौर में भी समस्तीपुर में कबीलाई संस्कृति जिंदा है। जहां उसकी अपनी अदालत होती है और अपना फैसला। रविवार को जिले के शंभूपट्टी में किरोड़ी समाज की जन अदालत में कई ऐसे फैसले सुनाए गए जो कबीलाई...
आज के इस दौर में भी समस्तीपुर में कबीलाई संस्कृति जिंदा है। जहां उसकी अपनी अदालत होती है और अपना फैसला। रविवार को जिले के शंभूपट्टी में किरोड़ी समाज की जन अदालत में कई ऐसे फैसले सुनाए गए जो कबीलाई...
2/ 2आज के इस दौर में भी समस्तीपुर में कबीलाई संस्कृति जिंदा है। जहां उसकी अपनी अदालत होती है और अपना फैसला। रविवार को जिले के शंभूपट्टी में किरोड़ी समाज की जन अदालत में कई ऐसे फैसले सुनाए गए जो कबीलाई...
निज संवाददाता,समस्तीपुरMon, 22 Jul 2019 08:15 PM
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आज के इस दौर में भी समस्तीपुर में कबीलाई संस्कृति जिंदा है। जहां उसकी अपनी अदालत होती है और अपना फैसला। रविवार को जिले के शंभूपट्टी में किरोड़ी समाज की जन अदालत में कई ऐसे फैसले सुनाए गए जो कबीलाई संस्कृति को याद दिलाते हैं। भरी ‘अदालत में महिला मुजरिम के बाल काट दिए गए और पुरुष मुजरिमों को पहले खंभे में बांधा गया और बाद में उनके चेहरे पर कालिख पोत दी गई। शनिवार से घुमंतू खानाबदोश कुररियाड़ महासंघ का पांच दिवसीय सम्मेलन स्थानीय शंभूपट्टी ग्रामीण हाट परिसर में शुरू हुआ। दूसरे दिन रविवार को जन अदालत लगाई गई। अदालत का नेतृत्व महासंघ के अध्यक्ष व बिहार राज्य खाद्य आयोग के पूर्व सदस्य कमल करोड़ी कर रहे थे। समाज की ओर से चिन्हित जज व पंचों ने मामले सुने गए। सुनवाई के दौरान कुल सात मुजरिमों को सजा सुनायी गई। उन्हें शारीरिक दंड के अलावा आर्थिक दंड भी दिया गया। मुजरिमों पर 51 हजार रुपये से लेकर दो लाख के बीच जुर्माना भी लगाया गया। सभी पुरुष मुजरिमों को सजा सुनाने तक खंभे से बांध कर रखा गया। कमल करोड़ी ने बताया कि हमारा समाज वर्षों से ऐसी अदालत लगाता रहा है। यहां निष्पक्ष फैसला होता है। (हिन्दुस्तान के पास महिला के बाल काटने वाली तस्वीर है, मगर सामाजिक पक्षों को देखते हुए हम इसे प्रकाशित नहीं कर रहे हैं।

कुररियाड़ महासंघ के लोगों ने जातीय बैठक की सूचना दी थी। यह उनकी जातीय अदालत है। इसमें प्रशासन हस्तक्षेप नहीं कर सकता है। -अशोक मंडल, एसडीओ

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