जनऔषधि केंद्रों की संख्या व दवाओं की उपलब्धता बढ़े तो होगी सहूलियत
प्रधानमंत्री जनऔषधि योजना के तहत सस्ती और गुणवत्तापूर्ण जेनरिक दवाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। यह योजना गरीब और मध्यमवर्गीय परिवारों के लिए वरदान साबित हो रही है। लोगों ने स्वास्थ्य विभाग से सामुदायिक...
देशभर में स्वास्थ्य सेवाओं को सुलभ और सस्ती बनाने के उद्देश्य से केंद्र सरकार द्वारा चलाई जा रही प्रधानमंत्री जनऔषधि योजना धीरे-धीरे लोगों के जीवन में अहम भूमिका निभा रही है। इस योजना के तहत स्थापित जनऔषधि केंद्रों के माध्यम से अब आमजन को गुणवत्तापूर्ण जेनरिक दवाइयां बाजार मूल्य से काफी कम कीमत पर उपलब्ध हो रही हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञ मानते हैं कि यह पहल गरीब और मध्यमवर्गीय परिवारों के लिए वरदान साबित हो रही है, क्योंकि पहले सामान्य बीमारियों जैसे बुखार, ब्लड प्रेशर और डायबिटीज के इलाज में ही दवाइयों पर खर्च बहुत अधिक हो जाता था। लेकिन अब इन केंद्रों से मिलने वाली सस्ती दवाओं के कारण रोगियों का आर्थिक बोझ काफी हद तक कम हुआ है।बोले समस्तीपुर अभियान के तहत लोगों ने अपनी समस्याओं को विस्तार से बताया। रामचंद्र राम और जितेंद्र राम ने बताया कि ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में इन केंद्रों का विस्तार इस उद्देश्य से किया जा रहा है ताकि हर वर्ग का मरीज सस्ती और गुणवत्तापूर्ण दवा प्राप्त कर सके। निजी मेडिकल स्टोरों पर मिलने वाली दवाइयों की कीमतें अक्सर बाजार में कई गुना अधिक होती हैं। वहीं, जनऔषधि केंद्रों पर वही दवाइयां 50 फीसदी से लेकर 90 फीसदी तक सस्ती दरों पर उपलब्ध हैं। सुमन यादव और विजय राय ने बताया कि कई बार मरीजों को जरूरी दवा लेने के लिए जनऔषधि केंद्र का रुख करना पड़ता है, लेकिन वहां आवश्यक दवा उपलब्ध न होने पर उन्हें निराश लौटना पड़ता है। ऐसे में मजबूरीवश गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों को महंगी दवाइयां खरीदनी पड़ती हैं। बोले समस्तीपुर कार्यक्रम के दौरान लोगों ने इस समस्या पर खुलकर चर्चा की। इस दौरान सुमन यादव ने बताया कि उनके एक रिश्तेदार को ब्लड प्रेशर की दवाई की जरूरत थी। लेकिन जब वह समस्तीपुर स्टेशन पर स्थित जनऔषधि केंद्र गये तो वहां वह दवा उपलब्ध नहीं थी। मजबूरी में उन्हें निजी मेडिकल स्टोर से महंगे दामों पर दवा खरीदनी पड़ी। सभी सीएचसी व सरकारी अस्पतालों में केंद्र खोलने की मांग : लोगों ने ने स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन से मांग की है कि जिले के सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) में जनऔषधि केंद्र खोले जाएं। ग्रामीण क्षेत्रों में दवाओं की महंगाई पहले से ही बड़ी समस्या रही है। अगर सीएचसी पर ये केंद्र खुल जाते हैं तो गांव-देहात में रहने वाले लोगों को भी सस्ते दामों पर बेहतर दवाइयां मिल सकेंगी। डॉक्टरों की मनमानी बनी बड़ी बाधा :जनऔषधि केंद्रों के संचालकों ने बताया कि मरीज तो उनकी दुकानों पर आते हैं, लेकिन जब उन्हें बताया जाता है कि डॉक्टर द्वारा लिखी गई दवा की जगह उसी साल्ट की सस्ती जेनरिक दवा उपलब्ध है, तो अधिकांश लोग लेने से मना कर देते हैं। इसका मुख्य कारण है कि डॉक्टर अपनी पर्चियों में महंगी ब्रांडेड दवाओं के नाम ही लिखते हैं। समस्तीपुर स्टेशन पर स्थित जन औषधि केंद्र के संचालक ने कहा की लगभग 10 प्रतिशत पढ़े-लिखे और जागरूक ग्राहक ही जेनरिक दवाओं की ओर रुख करते हैं। बाकी लोग डॉक्टर के लिखे नाम पर ही अड़े रहते हैं।
बोले जिम्मेदार-
स्टेट से ही जिले में प्रधानमंत्री जनऔषधि केंद्र खोलने का ठेका मिला है। जिले में कई जगह जनऔषधि केंद्र संचालित हैं और वहां दवाओं का स्टॉक है। अगर शिकायत मिलती है तो इसकी जांच की जाएगी। लोगों से अपील है की जन औषधि केंद्र से सस्ती दवाएं खरीदें। -डॉ. एसके चौधरी, सिविल सर्जन, समस्तीपुर
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।




