नव सुर, नव लय, छंद नवल ले रोम-रोम हर्षाया, वर्ष नवल है आया
रोसड़ा में साहित्य संगम द्वारा आयोजित मासिक काव्य गोष्ठी में कवियों ने अपनी रचनाओं से दर्शकों का मन मोह लिया। नव वर्ष के स्वागत में प्रस्तुत की गई रचनाओं ने तालियां बटोरी। गोष्ठी में कई कवियों ने...

रोसड़ा, निज संवाददाता। साहित्य संगम के बैनर तले आयोजित मासिक काव्य गोष्ठी में कवियों ने एक से बढ़कर एक रचनाएं प्रस्तुत कर खूब तालियां बटोरी। एक ओर जहां नव वर्ष के स्वागत और बीत रहे साल की विदाई में कवियों अपनी अपनी रचनाएं प्रस्तुत की तो दूसरी ओर कवियों ने जिंदगी के सफर को गजलों के माध्यम से प्रस्तुत कर खूब गुदगुदाया। गोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे अनिरुद्ध झा दिवाकर की नव वर्ष प्रस्तुत कविता नव सुर नव लय छंद नवल ले रोम रोम हर्षाया, मनोज झा शशि की रचना नव वर्ष मंगलमय हो, तृप्ति नारायण झा की रचना तुम साल दो हजार चौबीस हो यह आफत यार लिए जाना, संजीव कुमार सिंह की रचना ऐसे हीं छटेंगे दिन नव वर्ष कैसे मनाएंगे हम और राम स्वरूप सहनी रोसड़ाई की नव वर्ष पर प्रस्तुत रचनाओं ने खूब वाह वाही बटोरी। शंकर सिंह 'सुमन' की रचना कल तक थे दरवाजे तेरे खुले, आज बंद क्यों झरोखा किया तुमने पर खूब तालियां बजी। दिनेश्वर दिनेश की गजल दर्द है गम है और है सजा जिंदगी जीना आ गया तो है मजा जिंदगी को श्रोताओं ने खूब सराहा। त्रिलोक नाथ ठाकुर बृजभूषण की रचना चांद सितारों की मुझ को जरूरत नहीं तुम से बढ़ कर रिश्ता कोई खूबसूरत नहीं, विजय ब्रत कंठ की मैथिली रचना अहींक नाम ल माता हम विनती सुनावय छी, संतोष कुमार राय की रचना जीवन जी कर गिरते रहेंगे पेड़ पतझड़ ने भी लोगों को गुदगुदाने में कोई कसर नहीं छोड़ा। पांचूपुर भिरहा रोड स्थित मानस वाटिका परिसर में आहूत गोष्टी की उद्घाटन मंच के पद धारकों द्वारा मां सरस्वती की तस्वीर पर पुष्पार्चन व दीप प्रज्ज्वलन कर किया गया। संचालन रामस्वरूप सहनी रोसड़ाई व धन्यवाद ज्ञापन तृप्ति नारायण झा द्वारा किया गया।
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