आलू बीज की बढ़ी कीमत ने बढ़ायी किसानों की मुसीबत
किसानों को पहले मक्का का सही रेट नहीं मिला। इसके बाद कोविड-19 के कारण गेहूं की फसल चौपट हो गई। जो फसल किसानों के घर पहुंचे उसका वाजिब दाम नहीं मिल सका। सरकारी खरीद केंद्र शुरू नहीं होने कारण अब धान...
किसानों को पहले मक्का का सही रेट नहीं मिला। इसके बाद कोविड-19 के कारण गेहूं की फसल चौपट हो गई। जो फसल किसानों के घर पहुंचे उसका वाजिब दाम नहीं मिल सका। सरकारी खरीद केंद्र शुरू नहीं होने कारण अब धान की फसल बिचौलियों के हाथ पहुंच रहे है। इन झंझावतों से जूझने के बाद अब जब आलू बुवाई का समय आया तो आलू बीज की बढ़ी कीमतों ने किसानों की मुसीबत बढ़ा दी है। किसान हर साल आलू की खेती से अपनी झोली भरते हैं। मगर आलू बीज महंगा होने पर उनके अरमानों पर पानी फिर सकता है। किसान महंगा बीज खरीदने से थोड़ा कतरा रहे हैं। संभावना जताई जा रही है कि इस बार आलू की खेती का क्षेत्रफल घट सकता है। लघु और सीमांत किसान आलू की बजाए सरसों, प्याज और लहसुन की खेती करने का मन बना रहे हैं। कृषि विभाग के आंकड़े पर जाएं तो पिछले वर्ष 30 हजार हेक्टेयर भूमि पर आलू की खेती हुई है। इस बार 15 से 20 हेक्टेयर में खेती होने का अनुमान लगाया जा रहा है। जिले में आलू एक प्रमुख फसल है।
कोल्ड स्टोरेज में रखे बीज का कर रहे उपयोग धान की कटाई के बाद कुछ किसानों ने आलू की बुआई शुरू कर दी है। कुछ तैयारी कर रहे हैं, लेकिन बीज महंगा होने के कारण छोटे व मझले किसानों के सामने आलू की खेती के लिए आर्थिक संकट खड़ा हो गया है। आलू के बीज खरीदने के लिए उनके पास धन की कमी है, जिस कारण आलू कम लगा पा रहे हैं। वहीं, बड़े किसान अपने उतने ही रकबे में आलू की फसल लगा रहे हैं, पर इस बार बाहर से नहीं खरीद कोल्ड स्टोरेज में रखे बीज लगा रहे हैं।
आलू की जगह सरसों व लहसून की खेती
किसानों की माने तो बीज महंगा होने पर इस बार अन्य वर्ष की तुलना में कम क्षेत्र में आलू की बुआई करेंगे। मरीचा पंचायत के किसान मनोज ने बताया कि हर वर्ष तीन बीघे आलू लगाते थे। बीज महंगा होने की वजह से इस बार एक बीघे की आलू की खेती करेंगे। इसी प्रकार किसान उमेश ने बताया कि बीज महंगा होने की वजह से इस बार आलू लगाना महंगा हो रहा है। आलू की जगह सरसों की खेती करेंगे। इसी प्रकार अन्य किसानों ने भी आलू की जगह प्याज, सरसों व लहसुन की खेती करेंगे।