Unity for Maithili Language Preservation Tribute to Prof Maya Nand Mishra प्रो. मायानंद की कृति पर शोध के लिए बने संस्थान: डॉ. रमण, Saharsa Hindi News - Hindustan
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प्रो. मायानंद की कृति पर शोध के लिए बने संस्थान: डॉ. रमण

सहरसा में प्रो. मायानंद मिश्र की पुण्यस्मृति में कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसमें साहित्यकारों ने मैथिली भाषा के संरक्षण के लिए एकजुटता दिखाई। समारोह में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की आत्मा की...

Newswrap हिन्दुस्तान, सहरसाMon, 30 Dec 2024 12:13 AM
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प्रो. मायानंद की कृति पर शोध के लिए बने संस्थान: डॉ. रमण

सहरसा, हमारे प्रतिनिधि। मैथिली एवं हिन्दी के प्रख्यात रचनाकार प्रो. मायानंद मिश्र की पुण्यस्मृति में शनिवार को आयोजित कार्यक्रम में मैथिली भाषा के संरक्षण एवं उत्थान के संदर्भ में साहित्यकारों एवं भाषा अभियानियों ने एकजुटता प्रदर्शित किया। विद्यापति नगर स्थित एक सेलिब्रेशन हॉल में आयोजित कार्यक्रम में प्रो. मायानंद के तैल चित्र पर पुष्पांजलि के बाद पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की आत्मा की शांति हेतु एक मिनट का मौन रखा गया। समारोह का उद्घाटन बीएनएमयू के पूर्व कुलपति प्रो. डॉ. आर. के. पी रमण, श्रीकृष्णा विश्वविद्यालय मधेपुरा के कुलपति प्रो. डॉ. अशोक कुमार यादव, डॉ. के. एस. ओझा, पूर्व प्राचार्य डॉ. पी. सी. खां, पूर्व प्राचार्य डॉ. देवनारायण साह, राष्ट्रपति से सम्मानित शिक्षक विक्रमादित्य खां, प्रो. डॉ. भवानंद मिश्र, कार्यक्रम संयोजक गोसाई मंडल, रामेश्वर मंडल, दिग्विजय सिंह ने दीप प्रज्वलित कर किया। किसलय कृष्ण एवं डॉ. अक्षय कुमार चौधरी के संचालन में साहित्यकार डॉ. महेंद्र द्वारा प्रो. मायानंद मिश्र के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर रचित पुस्तक ह्यतोहर सरिसह्ण का विमोचन हुआ। अध्यक्षता कर रहे प्रो. कुलानंद झा ने सहरसा में प्रो. मायानंद चेतना मंच के स्थापना का सुझाव दिया। वहीं पूर्व कुलपति डॉ. रमण ने मायानंद के बहुआयामी व्यक्तित्व, कृतित्व एवं भाषायी आंदोलन के अध्ययन पर विभिन्न विश्वविद्यालयो में शोध संस्थान स्थापित किए जाने की बात कही। भाषायी आंदोलन पर चर्चा के क्रम में डॉ. नारायण झा, डॉ. अमोल राय और रामचैतन्य धीरज ने भी सहित्य के क्षेत्र में मायानंद के विभिन्न महत्वपूर्ण योगदानों पर विस्तृत विमर्श प्रस्तुत किया। प्रो. भवानंद मिश्रा ने कहा कि मैथिली भाषा एवं मिथिलांचल के उत्थान में सभी जातियों को एकजुट होकर आंदोलन में सक्रिय होना होगा। इस अवसर पर कुमार विक्रमादित्य, रामकुमार सिंह, कमल किशोर चौधरी, दीपिका चंद्रा, डॉ. रेणु, पल्लवी मंडल, अंजली ठाकुर, शशिप्रभा तथा अंजू झा ने कवितापाठ किया। मौके पर डॉ. शांतिलक्ष्मी चौधरी, डॉ आलोक कुमार झा, प्रो. अशोक कुमार झा, निर्मल झा, संजय वशिष्ठ, डॉ. सविता मिश्रा, राधा कुमारी भगत, केशव कुमार सिंह, प्रशांत सिंह राजू, प्रो. दीनबंधु, मुखिया धनंजय कुमार झा थे।

सगर राति दीप जरय कार्यक्रम हुआ आयोजित: दूसरे सत्र में संध्याकाल से शुरू हुए सगर राति दीप जरय कार्यक्रम में लगभग पचास नामवर साहित्यकारों की कथा-रचना का पाठ और तदोपरान्त समीक्षा आलोचना हुई। डॉ. उमेश मंडल के संचालन में हुए इस सत्र में साहित्य अकादमी से सम्मानित जगदीश प्रसाद मंडल, रामेश्वर प्रसाद मंडल, नारायण यादव, डॉ. राम आशीष सिंह, रविन्द्र नारायण मिश्र आदि लेखकों की कुल आठ पुस्तकों का लोकार्पण किया गया। कार्यक्रम मे दुर्गानंद मंडल, उमेशनारायण कर्ण, शशिप्रभा राय, लालदेव कामत के अलाबे बड़ी संख्या में दरभंगा, मधुबनी, सुपौल, मधेपुरा और सहरसा के कई नामचीन साहित्यकार, विभिन्न विश्वविद्यालयों के रिसर्च स्कॉलर और साहित्यानुरागी ने अपना कथा पाठ किया।

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