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बनगांव में जमकर खेली पारंपरिक होली

कहरा | एक संवाददाता बुराई पर अच्छाई व असत्य पर सत्य के जीत का प्रतीक

बनगांव में जमकर खेली पारंपरिक होली
हिन्दुस्तान टीम,सहरसाWed, 31 Mar 2021 04:00 AM
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कहरा | एक संवाददाता

बुराई पर अच्छाई व असत्य पर सत्य के जीत का प्रतीक रंग-अबीर का मदमस्ती भरा बसंती पर्व बनगांव मेंपरम्परा का निर्वाह करते हुए मनाया गया। रंग (होली) खेलने के बाद तय समय के अनुसार ही श्रद्धालुओं द्वारा भजन कीर्तन करते हुए होलिका दहन किया गया।

यह बतादें कि 1810 के दशक में सिद्धि प्राप्त महान संत गोस्वामी लक्ष्मीनाथ गोस्वामी द्वारा एक दिन पूर्व सभी सम्प्रदाय व जाति के साथ गले से गले मिलकर विशेष तरीका से होली खेलने की शुरुआत किया गया था। रविवार के दिन करीब एक बजे गांव के सभी टोलों में युवाओं द्वारा अलग-अलग टोली बना मुख्य मार्गों से गुजरते हुए सभी सार्वजनिक स्थल पर होली है का उद्घोष करते हुए एक दूसरे से गले मिल होली खेला। फिर करीब साढ़े तीन बजे के लगभग भगवती स्थान परिसर में एकत्र हो एक दूसरे के गले मिल एक दूसरे के कंधे पर चढ़ होली है का उद्घोष करते हुए सभी रंगों के मिश्रण की तरह अनुसूचित जाति, अति पिछड़े व पिछड़ी जाति व मुसलमान भी घण्टों होली खेलते दिखे। होली खेलने बाले लोगों पर छिड़काव के लिए पानी का विशेष व्यवस्था किया गया था। शाम में बाबाजी कुटी जा लक्ष्मीनाथ गोसाईं को प्रणाम कर होली खेलने का समापन किया गया। कोविड-19 के कारण इस वर्ष प्रथमवार राज्य सरकार द्वारा बनगांव में आयोजित किए जानेवाले होली महोत्सव तथा ग्रामीण द्वारा आयोजित तीन दिवसीय शास्त्रीय संगीत समारोह भी नहीं हुआ।

महिषी से ए.सं. के अनुसार महिषी सहित अन्य गांव में रंग गुलालों का त्योहार होली हर्षोल्लासपूर्ण माहौल में सम्पन्न हुआ। कुछ जगहों पर शनिवार एवं रविवार तो कुछ जगहों पर रविवार एवं सोमवार को दो दिवसीय होली मनाया गया। होली के प्रथम दिन ग्रामीणों ने धूड़ा धूड़खेल का जमकर आनन्द उठाया, वही दूसरे दिन रंग गुलाल एक दूसरे को लगा होली त्योहार का आनन्द उठाया। स्थानीय कीर्त्तन मण्डली द्वारा होली के पारंपरिक लोक गीत के साथ बज रहे ढोल, मृदंग व झाल के धुनों पर बच्चे, बूढ़े सहित जवान मिलकर थिरकते ग्रामीणों के दरवाजे पर जाकर धूड़खेल एवं होली का मुबारकबाद देते देखे गए। इस मौके पर छोटों ने बड़ों के पैरों पर धूल व अबीर देकर आशीर्वाद लिया, महिषी में धूड़खेल और होली का अंत ग्रामीणों ने मां उग्रतारा मन्दिर में माता का दर्शन कर किया।

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