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बाहर की तरह अंदर भी चकाचक दिखे ट्रेन

सहरसा | निज प्रतिनिधि रेल मंत्री ने सहरसा में बने बिहार के पहले ऑटोमेटिक कोच

बाहर की तरह अंदर भी चकाचक दिखे ट्रेन
हिन्दुस्तान टीम,सहरसाSat, 20 Mar 2021 04:10 AM
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सहरसा | निज प्रतिनिधि

रेल मंत्री ने सहरसा में बने बिहार के पहले ऑटोमेटिक कोच वाशिंग प्लांट की वीडियो ट्िवटर पर पोस्ट कर उसकी विशेषता के बखान किए हैं। रेल मंत्री पीयूष गोयल के पोस्ट को जबरदस्त लाइक मिल रही है उतनी ही तेजी से प्रतिक्रिया भी आ रहे हैं।

कई लोगों ने तो अपनी प्रतिक्रिया देते यह लिख डाला कि बाहर की तरह ट्रेन के कोच अंदर भी चकाचक दिखते। बाहर जिस तरह से कोच चकाचक दिखते उस तरह की व्यवस्था कोच के अंदर भी की जाय। हालांकि इस पोस्ट के जवाब में कुछ लोगों ने प्रतिक्रिया देते लिखा है कि रेलवे ही नहीं यात्रियों की भी जवाबदेही है सफर के दौरान कोच में गंदगी नहीं फैलाए। इसी बीच रेलवे के कई आधिकारिक पोस्ट की तरफ से मिली शिकायत पर संज्ञान लेते समस्या को दूर करने की बात भी कही गई है। लेकिन इस बीच एक सवाल जरूर छनकर आया है कि कहीं ना कहीं ट्रेन की कोच के अंदर सफाई के मामले में कोताही बरती जाती है। सहरसा ही नहीं अन्य जगहों की सफाई व्यवस्था से लोग नाखुश होकर जिस तरह से प्रतिक्रिया जता रहे थे वह सोचनीय विषय है। इस पर ध्यान देने की जरूरत है।

रेल मंत्री ने यह लिखकर किया ट्वीट: रेल मंत्री पीयूष गोयल ने ट्िवटर पर ट्रेन के बाहरी हिस्से की हो रही सफाई की वीडियो पोस्ट करते लिखा- स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण के लिये भारतीय रेल द्वारा निरंतर कदम उठाये जा रहे हैं, जिसका एक उदाहरण है बिहार के सहरसा स्टेशन पर शुरु हुआ ऑटोमेटिक कोच वाशिंग प्लांट। यहां 24 कोच की ट्रेन की धुलाई 7 से 8 मिनट में पूर्ण होती है, जिसमें पानी भी कम लगता है।

हाल ही में मिली है सहरसा को यह सुविधा: सूबे का सहरसा पहली जगह है जहां स्वचालित तरीके से ट्रेन के सभी कोच के बाहरी हिस्से की धुलाई और सफाई की सुविधा हाल ही में बहाल हुई है। सहरसा के बाद आने वाले दिनों में जयनगर को यह सुविधा मिलेगी। ऑटोमेटिक व्यवस्था के कारण ट्रेनों के कोच के बाहरी हिस्से पूरी तरह से चमकते नजर आने लगे हैं। ऑटोमेटिक कोच वाशिंग प्लांट पर महज सात से आठ मिनट में ट्रेन की सभी 24 बोगियों के बाहरी हिस्से की धुलाई और सफाई होने लगी है। सबसे खास बात यह कि सफाई कार्य में लगने वाले 80 प्रतिशत पानी का दोबारा उपयोग हो रहा है। एक कोच की धुलाई और सफाई में लगने वाली 250 से 300 लीटर पानी की बजाय मात्र 50 से 60 लीटर पानी लगेंगे। उसमें से भी 80 प्रतिशत पानी रिसाइकिल होकर दोबारा उपयोग में लाया जाने लगा है। प्लांट में 30-30 हजार लीटर क्षमता वाले इफलयुइंड ट्रीटमेंट प्लांट(ईटीपी) लगाए गए हैं। जिसके जरिए धुलाई और सफाई में लगे पानी को ट्रीटमेंट करते दोबारा उपयोग में लाया जाता है। प्लांट अधिष्ठापन से कोच के बाहरी हिस्से की सफाई मैन्युअल नहीं करानी पड़ती और करीब सवा घंटे समय बचते। उसमें लगने वाले सफाईकर्मी को ट्रेन के अंदरूनी हिस्से की सफाई में लगाया जाने लगा है।

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