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कोसी नदी में छोटी मछलियों की उपलब्धता ने बढ़ाई डॉल्फिनों की संख्या

सहरसा | निज प्रतिनिधि कोसी नदी में छोटी मछली की उपलब्धता, लोगों में शिकार...

कोसी नदी में छोटी मछलियों की उपलब्धता ने बढ़ाई डॉल्फिनों की संख्या
हिन्दुस्तान टीम,सहरसाThu, 25 Mar 2021 04:22 AM
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सहरसा | निज प्रतिनिधि

कोसी नदी में छोटी मछली की उपलब्धता, लोगों में शिकार नहीं करने के प्रति जागरूकता और अनुकूल पर्यावरण ने डॉल्फिन की संख्या बढ़ा दी। यह भी माना जा रहा कि लॉकडाउन से भी अंतर पड़ा और कम मछली मरने के कारण डॉल्फिन को पर्याप्त भोजन मिला व संख्या बढ़ी।

पांच साल पूर्व में 28 से 31 मार्च 2016 तक किए गए सर्वे के मुकाबले इस बार लगभग चार गुना अधिक डॉल्फिन की संख्या में इजाफा हुआ है। इसे वन विभाग के अधिकारी और लोग सुखद संकेत मानते हैं। खुद वन विभाग के अधिकारी भी मानते हैं कि डॉल्फिन के संरक्षण की व्यवस्था रहती तो संख्या दर और भी बढ़ सकती थी। हाल में हुए सर्वेक्षण का नेतृत्व करने वाले जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के क्षेत्रीय निदेशक वरीय वैज्ञानिक डॉ. गोपाल शर्मा कहते हैं कि डॉल्फिन का भोजन छोटी मछली है। उसे खाने के लिए पर्याप्त मात्रा में छोटी मछली कोसी नदी में मिली और इस कारण उसने खुद का ठिकाना कोसी नदी को बनाया। मछुआरे की हलचल कम रहने और पर्याप्त मछली मिलने के कारण डॉल्फिन की संख्या में वृद्धि होती गई। हालांकि डॉल्फिन की संख्या बढ़ने के मामले में वे लॉकडाउन को खास प्रभावी नहीं मानते है। सुपौल जिले के वन प्रमंडल पदाधिकारी सुनील कुमार शरण ने कहा कि डॉल्फिन की संख्या बढ़ने में सबसे बड़ी वजह कोसी नदी में छोटी मछली को नहीं मारना और डॉल्फिन को शिकार नहीं बनाना रही। लॉकडाउन के दौरान कम मछली मरने का भी फायदा हुआ और पर्याप्त भोजन मिलने से भी डॉल्फिन की संख्या बढ़ी। कोसी नदी आसपास के लोगों की जागरूकता भी डॉल्फिन के सुरक्षित रहने की वजह है। उन्होंने कहा कि डॉल्फिन के संरक्षण की व्यवस्था रहती तो हो सकता है संख्या अधिक देखने को मिलती। सहरसा के वन प्रमंडल पदाधिकारी आर. के. सिन्हा ने कहा कि कोसी नदी में डॉल्फिन का बड़ी संख्या में मिलना सुखद समाचार है। 194 की संख्या में डॉल्फिन का नेपाल बॉर्डर से सुपौल, सहरसा, नवगछिया होते कुरसेला तक किए गए सर्वेक्षण में कोसी नदी में मिलना दर्शाता कि डॉल्फिन का शिकार नहीं के बराबर हो रहा है। लोगों में डॉल्फिन को कोई हानि नहीं पहुंचे उसके प्रति जागरूकता आई है।

डॉल्फिन व अन्य जलीय जीवों के संरक्षण को बनेगी कार्ययोजना: डॉल्फिन सहित अन्य जलीय जीवों के संरक्षण के लिए वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग कार्ययोजना बनाएगा। सहरसा और सुपौल के डीएफओ ने कहा कि सर्वेक्षण टीम की रिपोर्ट आने के बाद डॉल्फिन, घड़ियाल, मगरमच्छ और बहुतायत संख्या में मिले पक्षियों के संरक्षण की विस्तृत कार्ययोजना तैयार करते राज्य सरकार को प्रस्ताव भेजी जाएगी। प्रस्ताव को मंजूरी और राशि आवंटन मिलने के बाद संरक्षण से संबंधित काम किए जाएंगे।

अब तक कागजों में ही सिमटी रही है संरक्षण की योजना: अब तक कागजों में ही सिमट कर रह गई है कोसी नदी में पल रहे डॉल्फिन, घड़ियाल, कछुआ, पक्षी सहित अन्य जलीय जीवों के संरक्षण की योजना। पांच साल पूर्व किए गए सर्वेक्षण के बाद कई बार जलीय जीवों के संरक्षण व पुनर्वास का प्रस्ताव तैयार कर सूबे के मुख्य वन प्रतिपालक को भेजा गया पर कुछ नहीं हुआ। पिछले साल सितंबर माह में सहरसा के तत्कालीन डीएफओ ने 25 लाख राशि खर्च कर जलीय जीवों के संरक्षण का प्रस्ताव बनाकर भेजा जो फाइलों तक सिमटकर रह गई। जरूरत है संरक्षण के लिए ठोस कदम उठाकर उसे अमलीजामा पहनाने की।

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