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सहरसा में 8 वर्षों से बंद पड़ा है क्षेत्रीय डायग्नोस्टिक सेंटर

मरीजों को हर प्रकार की निशुल्क जांच के वर्ष 2011 में सदर अस्पताल में क्षेत्रीय डायग्नोस्टिक सेंटर खोला गया था। सेंटर में एक दो जांच को छोड़कर लगभग दो दर्जन से अधिक बीमारियों से जुड़े जांच की निशुल्क...

सहरसा में 8 वर्षों से बंद पड़ा है क्षेत्रीय डायग्नोस्टिक सेंटर
हिन्दुस्तान टीम,सहरसाTue, 11 Dec 2018 04:30 PM
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मरीजों को हर प्रकार की निशुल्क जांच के वर्ष 2011 में सदर अस्पताल में क्षेत्रीय डायग्नोस्टिक सेंटर खोला गया था। सेंटर में एक दो जांच को छोड़कर लगभग दो दर्जन से अधिक बीमारियों से जुड़े जांच की निशुल्क सुविधा थी। लेकिन कुछ ही दिनों के बाद यह बंद हो गया। सेंटर के बंद होने से सबसे ज्यादा परेशानी आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को उठाना पड़ रहा है।उन्हें जांच के लिए निजी सेंटर पर जाना पड़ता है। जो जांच काफी महंगा पड़ता है।

सदर अस्पताल परिसर में 17 जनवरी 11 को क्षेत्रीय डायग्नोस्टिक सेंटर का शुभारंभ किया गया था। लेकिन सरकार से अनुबंध समाप्त होने के बाद चार मार्च 11 से ही यह केन्द्र बंद हो गया।जबकि सेंटर खुलने से प्रतिदिन एक सौ से अधिक मरीजों को जांच का सुविधा मिलता था। राज्य सरकार की पहल पर पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप मॉडल पर स्थापित डोयेन डायग्नोस्टिक एंड रिसर्च सेंटर में इस जांच केंद्र में बायोप्सी, एफएनएसी सहित 14 तरह की जांच की निशुल्क व्यवस्था थी। इससे पहले इस तरह की जांच सुविधा स्थानीय स्तर पर उपलब्ध नहीं थी।

सेंटर में सदर अस्पताल में इलाजरत मरीजों के जांच अलावा पीएचसी केंद्रों से सैंपल जमाकर जांच करने की सुविधा भी थी। इसके लिए सभी पीएचसी में नमूना संग्रहण केंद्र खोले जाने की तैयारी थी। लेकिन सारी कवायद धरी रह गयी और गरीब मरीजों को उनके बदहाली पर छोड़ दिया गया। इस सेंटर को चालू करने के लिए आंदोलन भी किया गया था। जिसके बाद सेंटर खुला और फिर दुबारा बंद हो गया।

क्या कहते हैं सिविल सर्जन: केंद्र दुबारा शुरू करने के संबंध में सिविल सर्जन डॉ शैलेन्द्र कुमार गुप्ता ने बताया कि मेरे कार्यकाल से कई वर्ष पूर्व यह सेंटर बद हो गया था। किस वजहों से बंद हुआ। इसकी जानकारी लेने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है। राज्य स्वास्थ्य समिति से ही सेंटर के संचालन का अनुबंध होता है। इस मामले में राज्य स्तर से ही कोई निर्णय लिया जाएगा।उन्होंने बताया कि वह इसके लिए अपने स्तर से प्रयासरत है।जानकारी हो कि कोसी का पीएमसीएच कहा जाने वाला सदर अस्पताल में प्रतिदिन दो से तीन हजार मरीज इलाज के लिए भर्ती होते हैं। जिसमें ज्यादातर संख्या गरीब मरीजों की होती है। निशुल्क जांच केंद्र बंद होने से वैसे मरीजों को काफी परेशानी हो रही है। वैसे अस्पताल में व्यवस्था की कमी होना, सुविधा शुरू होने के बाद बंद होना एक परंपरा के रूप में स्थापित हो चुकी है। अस्पताल में स्थित आईसीयू भी बंद पड़ा हुआ है। वहीं स्वास्थ्य जैसी महत्वपूर्ण समस्या यहां के जनप्रतिनिधियों के लिए कभी भी चुनाव का मुद्दा नहीं बन सका है।

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