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सहरसा : ऑयरनयुक्त पानी से लोग हो रहे बीमार

सहरसा | निज प्रतिनिधि आयरनयुक्त पानी से सहरसा जिले के अधिकांश लोग बीमार हो...

सहरसा : ऑयरनयुक्त पानी से लोग हो रहे बीमार
हिन्दुस्तान टीम,सहरसाTue, 25 May 2021 04:31 AM
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सहरसा | निज प्रतिनिधि

आयरनयुक्त पानी से सहरसा जिले के अधिकांश लोग बीमार हो रहे हैं। अस्पताल पहुंचने वाले मरीजों में 60 प्रतिशत लोग आयरनयुक्त पानी के सेवन से ग्रसित मरीज होते हैं।

चिंता यह कि यहां की पानी में अधिक आयरन की मात्रा अधिक रहने के कारण लिवर तक पर खतरा बन आता है। डॉक्टर की राय में आयरनयुक्त पानी लोगों के पाचन तंत्र को प्रभावित कर रहा है। पीएचईडी विभाग का भी मानना है कि सहरसा जिले की पानी में आयरन की मात्रा काफी अधिक है। यहां की पानी में अधिकतम सात पीपीएम आयरन की मात्रा है जो सामान्य से काफी अधिक है। इधर जानकारों की मानें तो पानी में आयरन की मात्रा एक पीपीएम से कम होनी चाहिए।

फिजिशियन डॉ. विनय कुमार सिंह का कहना है कि सहरसा की पानी में आयरन की मात्रा अधिक रहने के कारण पेट की गड़बड़ी से संबंधित 60 से 70 प्रतिशत मरीज इलाज कराने आते हैं। आयरनयुक्त पानी का सेवन करने की वजह से लोगों को अपच और भूख कम लगने की परेशानी आती है। पानी सेवन के दौरान आयरन के जमा होने की वजह से लिवर पर खतरा बन आता है। बेचैनी और चिड़चिड़ापन की परेशानी भी बन आती है। उन्होंने कहा कि आयरनयुक्त पानी को उबाल कर पिए।

मजबूरी में लोग बोतलबंद पानी खरीद मिटा रहे प्यास : मजबूरी में लोग बोतलबंद पानी खरीदकर प्यास मिटा रहे हैं। करीब 20 लीटर के बोतलबंद पानी की मांग शहर ही नहीं ग्रामीण इलाकों तक है। मांग को देखते हुए पानी को फिल्टर कर 20 लीटर के गैलन में भरकर घर-घर टेम्पो से पहुंचाने का कारोबार खूब चल गया है। मांग और बिक्री ठीकठाक देखकर इस कारोबार से जुड़ने वालों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है। लेकिन आश्चर्यजनक पहलू यह आयरनमुक्त समझ सेवन किए जा रहे पानी के पीपीएम की मात्रा की जांच सरकारी स्तर पर की ही नहीं जा रही है। सूत्रों की माने तो इक्के दुक्के को छोड़कर बोतलबंद पानी की आपूर्ति करने वाले प्लांट के लिए लाइसेंस तक नहीं लिया गया है। बिना लाइसेंस के संचालित प्लांट के पानी की गुणवत्ता विभागीय मानक मुताबिक होगी कि नहीं। क्या नियमित रूप से पीपीएम की मात्रा की जांच कर पानी आपूर्ति की जा रही, सभी बातें सवालों के घेरे में है। फिलहाल आयरनमुक्त पानी सेवन की सोचकर कई लोग आरओ मशीन लगा चुके हैं।

पाइपलाइन से पानी पहुंचाने की रफ्तार हैं धीमी : पाइपलाइन से पानी पहुंचाने की रफ्तार धीमी है। हालांकि शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में इसी साल पाइपलाइन से शुद्ध पानी आपूर्ति के सरकारी दावे किए जा रहे हैं। शहरी क्षेत्र में तो बुडको अक्टूबर तक हर घर में पाइपलाइन से शुद्ध पानी पहुंचाने का दावा कर रहा। लेकिन कार्य की वर्षों से चल रही सुस्त रफ्तार से नहीं लगता इतना जल्दी पाइपलाइन से पानी मुहैया हो पाएगा। पीएचईडी विभाग के दावे से उलट ग्रामीण इलाके में भी पाइपलाइन जोड़ने का काम रफ्तार नहीं पकड़ रही। पीएचईडी विभाग ग्रामीण क्षेत्र के हर वार्ड में एक जलमीनार, एक बोरिंग, दो पांच-पांच हजार लीटर का पानी टंकी, आयरन रिमूवल प्लांट और हर घर तक नल लगाने की योजना के तहत काम कर रहा है। बुडको की देखरेख में कार्यएजेंसी शहरी क्षेत्र के हर वार्डों के घरों तक पाइपलाइन के जरिए पानी पहुंचाने का काम कई वर्षों के बाद भी पूरा नहीं कर पाया है। जिले में पीएचईडी विभाग के 19 हजार चापाकल ग्रामीण इलाकों में है। जिसकी पीपीएम की मात्रा की जांच कराए जाने की बात कही जा रही है।

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