सहरसा के महिषी स्थित हाईस्कूल गंडौल में एक कमरे में पढ़ते 250 बच्चे
चहार दीवारी की कमी , एकमात्र जर्जर कमरा और बरामदा के भरोसे दो वर्गों के करीब 250 बच्चों की पढ़ाई के कारण हाईस्कूल गंडौल पठन पाठन की भीषण समस्या का सामना करना पड़ता है। गंडौल विरौल सड़क निर्माण के क्रम...
चहार दीवारी की कमी , एकमात्र जर्जर कमरा और बरामदा के भरोसे दो वर्गों के करीब 250 बच्चों की पढ़ाई के कारण हाईस्कूल गंडौल पठन पाठन की भीषण समस्या का सामना करना पड़ता है। गंडौल विरौल सड़क निर्माण के क्रम में स्कूल का दो कमरा तोड़ दिया गया था, जिसकारण यह स्थिति उत्पन्न हुई है। कोसी बीच बसे एकमात्र हाईस्कूल गंडौल को फ़िलहाल मात्र दो कमरे उपलब्ध है, जिसमे से एक कमरा का उपयोग कार्यालय कार्यों के लिए किया जाता है, जबकि एक कमरा तथा एक बरामदा में किसी तरह बच्चों को पढ़ाया जाता है।स्कूली बच्चे सहित शिक्षकों ने बताया कि मौजूद कमरों की स्थिति भी काफी जर्जर है। बारिस होने पर सारा पानी कमरा के अंदर हीं रिसकर गिरता है। इतना हीं नहीं छत टपकने के अलावा छत का चट्टा भी गिरने का डर हमेशा बच्चों व शिक्षकों के हृदय में बना रहता है। बाढ़ के समय में स्कूल परिसर पानी से भर जाता है, जिससे कुछ माह स्कूल का पठन पाठन ठप पड़ जाता है| वैसे हाल में परिसर में कुछ मिट्टी डाली गयी है| स्कूल सूत्रों के अनुसार करीब 200 बच्चों की नियमित स्कूल आते है, जिन्हें स्कूल में कार्यरत हेडमास्टर सहित 7 शिक्षक किसी तरह पढाते हैं। कमरों की कमी के कारण बच्चों को प्रायोगिक विषयों की पढ़ाई भी बाधित होती है। एक चापाकल की पेयजल सुविधा वाले स्कूल के शौचालय की स्थिति भी ठीक नहीं है। स्कूल में अध्ययनरत छात्र छात्राओं ने बताया कि स्कूल में अंग्रेजी एवं शारीरिक शिक्षक नहीं रहने से हमारी पढ़ाई बाधित होती है। पूर्व में इस विद्यालय से शिक्षा प्राप्त करने वाले राकेश रौशन चौधरी, प्रवीन चौधरी, गौरी शंकर चौधरी ने बताया कि जब इस स्कूल की पढ़ाई की चर्चा आस पास के गांवों में होती थी, लेकिन आज स्थिति अच्छ्ही नहीं है| स्कूल में संसाधनों की भी काफी कमी है| सूत्रों के अनुसार करीब एक वर्ष पूर्व तक स्कूल में 4 कमरे थे, लेकिन गंडौल विरौल सड़क निर्माण के दौरान स्कूल के उत्तर के दो कमरों को तत्कालीन जिलाधिकारी के मौखिक आदेश पर तोड़कर हटा दिया गया। स्थानीय अभिभावकों को यह उम्मीद था कि सड़क निर्माण के लिए तोड़े गए कमरों के बदले प्रशासन द्वारा भवन निर्माण करा दिया जाएगा,लेकिन करीब एक वर्ष बीत जाने के बाद भी भवन निर्माण नहीं होने से अभिभावकों में बच्चों के भविष्य को लेकर चिंता बढ़ गयी है।